उत्तर प्रदेश से खास रहा अरुण जेटली का नाता, दिल में बसता था लखनऊ, रायबरेली को दिखाई विकास की राह
अरुण जेटली का यूपी से गहरा संबंध था। जेटली उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य थे और लखनऊ जाने का कौई मौका नहीं छोड़ते थे।
लखनऊ, एबीपी गंगा। बीजेपी नेता सुषमा स्वराज के निधन के बाद अरुण जेटली के निधन से भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। जेटली का यूपी से बेहद खास रिश्ता था। जेटली उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य थे और उन्होंने सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली को अपना नोडल जिला चुना था।
जेटली मानते थे कि रायबरेली में विकास कार्यों को गति देना आवश्यक और उन्होंने इसके लिए प्रयास भी किए थे। वित्त तथा रक्षा मंत्री रहे जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में हर मसले पर अपनी राय दी थी। इस बार खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से इन्कार कर दिया था।
अरुण जेटली का लखनऊ से भी गहरा संबंध था। वह अटल जी के चुनाव प्रचार से जुड़े रहते थे और अटल जी के नामांकन से एक दिन पहले ही लखनऊ आ जाते थे। जेटली खुद अटल जी के नामांकन पत्र की बारीकी से जांच करते थे और नामांकन के समय वकील की हैसियत से मौजूद रहते थे। जेटली वकीलों के बीच जाकर बीजेपी के लिए वोट मांगते थे। जेटली को चौक की चाट खूब भाती थी और सर्दियों में वो काली गाजर का हलवा खाना पसंद करते थे।
लंबे समय से टिश्यू कैंसर से जूझ रहे अरुण जेटली ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कभी कोई लोकसभा चुनाव नहीं जीता, बावजूद उन्हें राजनीति का पुरोधा माना जाता है। अरुण जेटली, मुश्किल वक्त में हमेशा पार्टी के खेवनहार रहे।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के सााथ-साथ वह पेशे से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता भी थे। उन्होंने अपने राजनीतिक अनुभव से जहां बड़े-बड़े मामलों में पार्टी और सरकार को राह दिखाई, वहीं कानूनी मसलों पर भी पार्टी के लिए बखूबी काम किया।
15 अप्रैल 2018 को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने वाले अरुण जेटली को बीजेपी भाजपा ने अपना नेता चुना था। लोकसभा चुनाव 2014 में जेटली ने अमृतसर से चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद राज्यसभा से वह सदन में गए थे।
28 दिसंबर 1952 को जन्मे अरुण जेटली ने 24 अगस्त 2019 को अंतिम सांस ली। उन्होंने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आखिरी सांस ली। सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ अरुण जेटली की पहचान एक बेहद सफल वकील के रूप में भी रही है। वह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील थे।