Basti News: बीजेपी विधायक अजय सिंह के बाद अब पूर्व ब्लॉक प्रमुख राना दिनेश प्रताप सिंह ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर बस्ती का नाम वशिष्ठ नगर किए जाने की मांग किया है. उन्होंने पत्र में अवगत कराते हुए लिखा है कि पूर्व में कई बार जिला प्रशासन की तरफ से इस आशय का प्रस्ताव भेजा गया है परंतु शासन स्तर पर निर्णय लंबित है. उन्होंने लिखा है कि महर्षि वशिष्ठ आश्रम बढ़नी मिश्र में प्रभु श्री राम सहित चारों भाइयों ने शिक्षा दीक्षा प्राप्त किया था, जहां पर्यटन विभाग की तरफ से करोड़ों रुपए से निर्माण कार्य चल रहा है. बस्ती के मेडिकल कॉलेज का नाम भी महर्षि वशिष्ठ के नाम पर शासन की तरफ से रखा गया है.


बीजेपी नेता राना ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि गुरु वशिष्ठ की पावन भूमि बस्ती का नाम बदलने से जनपद के गौरवशाली इतिहास को जहां सम्मान मिल सकेगा वहीं बस्ती वासियों की वर्षों पूर्व मांग पूरी हो सकेगी. बीजेपी नेता राना दिनेश प्रताप सिंह ने कहा है कि बस्ती को वशिष्ठ नगर किए जाने के लिए मुहिम की शुरुआत की जाएगी. जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किए जायेंगे और शीघ्र ही मुख्यमंत्री योगी से मिल कर मांगों के समर्थन से अवगत कराया जाएगा.


नाम बदलने में आएगा एक करोड़ रुपये का खर्चा?


बीजेपी नेता राना ने कहा कि वर्ष 2020 में जिला प्रशासन की तरफ से राज्य के राजस्व परिषद को इस आशय की रिपोर्ट भेजी गई कि जिले का नाम बदल कर वशिष्ठ नगर करने के लिए कम से कम 1 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. इसके बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे कि जल्द ही जिले का नाम बदल दिया जाएगा. हालांकि राजस्व बोर्ड ने जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर आपत्ति जता दी और कहा कि इस प्रस्ताव पर फिर से विचार करें. 


क्या है बस्ती का इतिहास 


माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और उनके तीन अन्य भाईयों, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के जन्म के लिए गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था. यहां गुरु वशिष्ठ का आश्रम था. इस जगह को बाद में मखौड़ा के नाम से जाना गया, जहां आज भी साल में एक बार गंगा दशहरा का मेला भी लगता है. वर्तमान में हर्रैया तहसील स्थित मखौड़ा धाम के बारे में कहा जाता है कि यह बस्ती जिले में के सबसे प्राचीन स्थानों में से एक है, जहां राजा दशरथ ने महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर ऋषि श्रृंग की मदद से पुत्रेष्टि यज्ञ किया था. मान्यता है कि दशरथ और कौशल्या की बेटी जिनका नाम शांता है, जो ऋषि श्रृंग की पत्नी थीं. यज्ञ के बाद कुंड से बाहर खीर का बर्तन निकला और ऋषि श्रृंग ने दशरथ को खीर का बर्तन दिया, जिसे उन्होंने रानियों के बीच वितरित करने की सलाह दी. 


श्री राम के गुरु का नाम था वशिष्ठ ऋषि 


प्राचीन काल में बस्ती को भगवान राम के गुरु वशिष्ठ ऋषि के नाम पर वाशिष्ठी के नाम से जाना जाता रहा. कहा जाता है कि उनका यहां आश्रम था. अंग्रेजों के जमाने में जब यह जिला बना तो निर्जन, वन और झाड़ियों से घिरा था. लोगों के प्रयास से यह धीरे-धीरे बसने योग्य बन गया. तत्कालीन राजा नाम राजाकल्हण द्वारा चयनित किया गया था.


1997 में बना बस्ती जिला मुख्यालय


सन् 1801 में बस्ती तहसील मुख्यालय बना और फिर 6 मई 1865 को जनपद मुख्यालय बनाया गया. इसके बाद सन् 1988 में उत्तरी हिस्से को काटकर सिद्धार्थनगर जिला बनाया गया, जिसे पहले डुमरियागंज नाम से जाना जाता था. इस जिले में बांसी और नौगढ़ भी आते हैं. यहां कपिलवस्तु भी हैं, जहां बुद्ध ने अपने जीवन के शुरुआती समय व्यतीत किये थे. यहां से 10 किलोमीटर पूर्व लुंबिनी में बुद्ध का जन्म हुआ था. सन् 1997 में पूर्वी हिस्से को काटकर संतकबीरनगर जिला बनाया, जिसे खलीलाबाद के नाम से भी जाना जाता है. यहां कबीर ने प्राण त्यागे थे. इसके बाद जुलाई 1997 में बस्ती मंडल मुख्यालय बना दिया गया. फिलहाल इसे मंडल में बस्ती, संतकबीरनगर और सिद्धार्थनगर आते हैं.


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