राम मंदिर ट्रस्ट की पहली बैठक से पहले स्वामी वासुदेवानंद से मिले बीजेपी के बड़े नेता, बंद कमरे में हुई चर्चा
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह दोपहर करीब तीन बजे स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती से मिलने उनके आश्रम पहुंचे। यहां स्वागत और आशीर्वाद की औपचारिकताओं के बाद बंद कमरे में करीब आधे घंटे तक बैठक हुई।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने आज प्रयागराज में श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती से मुलाकात कर उनसे देर तक चर्चा की। 19 फरवरी को होने वाली ट्रस्ट की पहली बैठक से पहले इस मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है।
मुलाकात में सूबे के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना और वीएचपी के कई पदाधिकारी भी शामिल थे। इस मुलाकात में मंदिर निर्माण समेत कई अहम मसलों पर चर्चा हुई। हालांकि, बैठक में शामिल लोगों ने बातचीत का ज्यादा ब्यौरा मीडिया के सामने सार्वजनिक नहीं किया।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह दोपहर करीब तीन बजे स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती से मिलने उनके आश्रम पहुंचे। यहां स्वागत और आशीर्वाद की औपचारिकताओं के बाद बंद कमरे में करीब आधे घंटे तक बैठक हुई। राम मंदिर ट्रस्ट की पहली बैठक 19 फरवरी को दिल्ली में होनी है।
बैठक में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास की तारीख से लेकर मंदिर के मॉडल और बोर्ड आफ ट्रस्टीज द्वारा नामित दो सदस्यों के नाम तय होने हैं। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि बैठक में स्वामी वासुदेवानंद को ट्रस्ट का अध्यक्ष भी चुना जा सकता है। ऐसे में चर्चा इस बात की है कि बैठक से पहले यूपी सरकार और बीजेपी ने स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को अपनी भावनाओं से अवगत कराया है।
इस बारे में स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का कहना है कि कई अहम मसलों पर बातचीत हुई है। ट्रस्ट की पहली बैठक को लेकर भी कुछ सुझाव रखे गए हैं, लेकिन उन मुद्दों को ट्रस्ट की बैठक में ही रखा जाएगा। ट्रस्ट के एक सदस्य को यूपी सरकार द्वारा भी नामित किया जाना है। चर्चा यह भी है कि केशव मौर्य और स्वतंत्र देव ने उस बारे में भी स्वामी वासुदेवानंद से मशविरा किया है।
इस मुलाकात में प्रयागराज की फूलपुर की सांसद केशरी देवी पटेल भी शामिल थीं। माना यह जा रहा है कि बीजेपी राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को बनाए रखना चाहती है, इसलिए ट्रस्ट के जरिए अपना दखल जरूर बनाए रखना चाहेगी। बीजेपी से जुड़े पूर्व सीएम कल्याण सिंह और उमा भारती ने पिछले दिनों ट्रस्ट में ओबीसी सदस्य को रखे जाने की मांग उठाई थी, जिस पर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कड़ा एतराज जताया था और कहा था कि ट्रस्ट के सदस्य जाति से नहीं बल्कि अपनी योग्यता व काम से हैं।