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UP: दलितों के गढ़ आगरा में BJP ने किया BSP का सफाया, ऐसे लगाई दलित वोट बैंक में बड़ी सेंध

Agra: दलितों का गढ़ कहे जाने वाले आगरा में दलितों की सबसे बड़ी पार्टी बसपा का सफाया हो गया. भाजपा ने बसपा के दलित वोट बैंक में जबर्दस्त सेंध लगाई है और दलितों के बीच एक नए विकल्प के तौर पर उभरी है.

UP Election Results 2022: कभी उत्तर प्रदेश की सबसे मजबूत राजनीतिक दल रही बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) का इस बार के चुनावों में बुरा हाल हो गया. पूरे प्रदेश में सिर्फ एक ही सीट पर बसपा को जीत मिली, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात ये हैं कि जिस आगरा (Agra) का दलितों का गढ़ कहा जाता है वहां पर भी उसका खाता नहीं खुल पाया और भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) दलितों के बीच एक बड़ा विकल्प बनकर उभरी. बीएसपी की इस हार का सबसे बड़ा कारण उसका जनता के मुद्दों से अलग हो जाना रहा. यही नहीं दलितों के मुद्दों पर भी पार्टी पदाधिकारियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. 
 
दलितों के गढ़ आगरा में भाजपा की सेंध
बीएसपी की स्थापना के समय से आगरा दलितों से जुड़े आंदोलनों का एक बड़ा केंद्र बिंदु रहा है. यही वजह है कि प्रदेश के अन्य इलाकों की तुलना में आगरा में दलित तुलनात्मक तौर पर ज्यादा सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर संपन्न हैं. आगरा में 1989 विधानसभा चुनाव से बहुजन समाज पार्टी ने दलितों के बीच पैठ बनाना शुरू किया और धीरे धीरे बीएसपी के लिए आगरा का दलित वर्ग पुख्ता वोट बैंक बन गया. नतीजा ये रहा साल 2007 हो या 2012 विधानसभा चुनाव बीएसपी का हाथी जिले में खूब दौड़ा. दोनों चुनावों में से बीएसपी ने 9 में 6 सीटें जीती.
 
बसपा से दूर हुए दलित वोटर्स
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने लगी और मोदी का करिश्माई नेतृत्व हाथी की मस्त चाल पर भारी पड़ने लगा, साल 2017 आते आते सपा सरकार की कानून व्यवस्था और अन्य मुद्दों को लेकर सत्ता में आने का ख्वाब देख रही बीजेपी इसे हथियार बनाकर सड़कों पर उतरने लगी लेकिन वहीं बीएसपी पूरी तरह निष्क्रिय ही बनी रही. ऐसे में एक तरफ दलितों को सुरक्षा और केंद्र की सामाजिक योजनाएं जैसे स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर घर शौचालय, उज्जवला योजना के तहत फ्री सिलेंडर दिए गए. जिसके बाद पहली बार ऐसा हुआ कि बीएसपी के दलित वोट बैंक में बीजेपी बड़े स्तर पर से सेंध लगाने में कामयाब हुई. इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां की सभी नौ सीटों पर जीत दर्ज की. 
 
आगरा से बसपा का हुआ सफाया
बीएसपी को उम्मीद थी कि आगरा में उसका प्रदर्शन अच्छा रहेगा, लेकिन फ्री राशन और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार के सख्त कदमों से बीएसपी के परंपरागत वोट बैंक छिटक भाजपा के पाले में चला गया. यही वजह है कि आगरा के कई सारे विधानसभा क्षेत्रों में बीएसपी नंबर दो की लड़ाई पर तो रही लेकिन जीत दर्ज करने में नाकामयाब रही. ये हाल तब है जब बीएसपी सुप्रीमो ने अपने चुनावी कार्यक्रम का आगाज 2 फरवरी को आगरा से ही किया था और कोठी मीना बाजार मैदान में बड़ी जनसभा भी की थी.  
 
भाजपा ने जीती जिले की सभी 9 सीटें
बीएसपी के लगातार गिरते प्रदर्शन को बीजेपी भांप रही है, यही वजह है कि अनुसूचित जाति वर्ग की सबसे बड़ी जाति जाटव से आने वाली बेबी रानी मौर्या को बीजेपी ने आगरा ग्रामीण सीट से उतारा, इससे पहले वो उत्तराखंड की राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. आगरा छावनी सीट से भाजपा ने डॉ जी एस धर्मेश को चुनावी मैदान में उतारा. दोनों ही प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है और दलितों की सबसे बड़ी जाति के नेता के तौर पर इन्होंने अपने आप को स्थापित किया.  
 
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