UP Politics: भारतीय जनता पार्टी (BJP) 2024 में यूपी (UP) की सभी 80 सीटें जीतने का प्लान बना चुकी है. इसी के तहत बीजेपी माइक्रो मैनेजमेंट कर रही है, क्योंकि वो 2024 में यूपी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. इसी के चलते भारतीय जनता पार्टी इन दिनों यूपी में महाजन संपर्क अभियान चला रही है. वहीं इसके नीति निर्धारक नेताओं ने यह तय किया है कि जो भी नेता मंडल से राष्ट्रीय स्तर तक का पदाधिकारी रह चुका है और अब निष्क्रिय हो चुका है, उनकी सेवाएं भी 2024 के एजेंडे को पूरा करने के लिए ली जाएंगी.
यानी एक वक्त पार्टी में महत्वपूर्ण पद पर रहकर काम करने वाला व्यक्ति जो अब किसी भी पद पर नहीं है, उसके लिए भी भारतीय जनता पार्टी ने काम सोच लिया है. साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को बीजेपी अगले 100 साल को बदल देने वाला चुनाव बता रही है. विपक्षी पार्टियों में अभी जहां नए-पुराने साथियों को दल में लेने की गुणा गणित चल रही है. वहीं बीजेपी मोदी सरकार के नौ साल के कामकाज को जन जन तक ले जाने के लिए एक महीने का महाजन संपर्क अभियान चला रही है.
बीजेपी ने दिया 80 सीटें जीतने का नारा
भारतीय जनता पार्टी ने यूपी में मिशन लोकसभा के तहत इस बार 80 में से 80 सीटें जीतने का नारा दिया है, इसीलिए महाजन संपर्क अभियान के तहत पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर मोदी सरकार की योजनाओं का बखान कर रहे हैं. सबसे ज्यादा खास बात तो ये है कि पार्टी ने इस महाजन संपर्क अभियान के लिए उन बुजुर्ग नेताओं की तरफ भी रुख किया है, जो अब निष्क्रिय हो चुके हैं. ऐसा ही एक नेता हैं जगतवीर सिंह द्रोण. जगतवीर सिंह द्रोण पहले जनसंघ से जुड़े. वो तीन बार कानपुर से सांसद भी रहे. आर्मी में कैप्टन रह चुके द्रोण 84 वर्ष के हो चुके हैं. वो पार्टी की इस योजना से बहुत खुश हैं.
बीजेपी के बुजुर्ग नेता अपनी भूमिका निभाने को हैं तैयार
उनका कहना है कि जनसंघ द्वारा जो परिवर्तन लाने का सपना देखा गया था, वह आज राष्ट्रीय फलक में दिख रहा है. बीजेपी को उन जैसे अनुभवी लोगों से जो भी अपेक्षाएं होंगी. वो उसे पूरा करने की कोशिश जरूर करेंगे. कुछ यही कहना बीजेपी की दिग्गज बुजुर्ग नेता 77 वर्षीय प्रेमलता कटियार का भी है. प्रेमलता कटियार पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रह चुकी हैं. उनका कहना है कि वो अब संरक्षक की भूमिका में है, लेकिन उम्र के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारी बड़ी है और यह भी आवश्यक है कि 2024 का जो संघर्ष उसमें वो अपनी भूमिका अदा करें. एक तरफ बीजेपी के नेता अपनी पार्टी के लिए आज भी काम करने को तैयार हैं. वहीं नेता इसके उलट बुजुर्ग कांग्रेसी नेता पार्टी को नसीहत दे रहे हैं.