UP BJP State President: उत्तर प्रदेश में रविवार को बहुप्रतिक्षित नए जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर दी गई है. बीजेपी ने 98 जिलों में से 70 जिलों में नए जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान कर दिया है. इस सूची के आने के बाद अब नए प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव का रास्ता भी साफ हो गया है, माना जा रहा है कि जल्द ही भाजपा अब नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगा सकती है. पार्टी के और से पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को इसका चुनाव अधिकारी बनाया गया है. 


पीयूष गोयल अब यूपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मंथन के लिए जल्द ही लखनऊ जा सकता है. बीजेपी की नज़र 2027 के विधानसभा चुनाव पर हैं. ऐसे में पार्टी किसी ओबीसी या ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है. इस लिस्ट में कई नामों को लेकर चर्चा भी की जा रही है. बीजेपी की कोशिश है कि जाति और तमाम समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. 


बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का जल्द होगा चुनाव
भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक दृष्टि से उत्तर प्रदेश को 98 जिलों में बांटा हुआ है. पार्टी की ओर से अब 70 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया गया है. नियमों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए 50 फ़ीसद से अधिक जिलाध्यक्षों का चुनाव होना जरूरी है. जिसके बाद नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर फैसला हो सकता है. इस लिहाज़ से पार्टी अब तक 71.42 प्रतिशत जिलाध्यक्षों के नाम का घोषणा कर चुकी है. यानी नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया. 



जिलाध्यक्षों की ऐलान होने के बाद अब नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं. पिछले दो बार के चुनाव पर नज़र डाली जाए तो बीजेपी ने ओबीसी वर्ग से मौका दिया था, जिसका पार्टी को फायदा भी हुआ और बड़ी संख्या में पिछड़ा वर्ग के लोग भाजपा के साथ जुड़े, साल 2017 में केशव प्रसाद मौर्य और 2022 के चुनाव में स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. दोनों बार बीजेपी को अच्छी जीत मिली. 


इन्हें मिल सकता है मौका
यूपी में समाजवादी पार्टी जिस तरह से पीडीए के सहारे आगे बढ़ रही है, ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी एक बार फिर से पिछड़ा वर्ग से ही मौका दे सकती है. इस रेस में कई नाम आगे चल रहे हैं, इनमें पहला नाम पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह का है. इनके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के नाम पर भी चर्चा की जा सकती है. वहीं बीजेपी अपने परंपरागत वोटरों को साधने के लिए ब्राह्मण चेहरे पर भी दांव लगा सकती है, इनमें पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी और दिनेश शर्मा के नाम भी आगे चल रहे हैं. 


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