कानपुर: उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं वैसे वैसे सभी पार्टियों के नेताओं ने सूबे की कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करना शुरू कर दिया है. लेकिन ऐसे में रनिया विधानसभा क्षेत्र से आने वाली बीजेपी विधायक प्रतिभा शुक्ला ने भ्रष्टाचार व अवैध वसूली को लेकर हर विभाग में प्रतिदिन मोर्चा खोल दिया है. अपनी ही सरकार में तैनात अधिकारियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. 


कभी यह बीजेपी विधायक जनपद की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को लेकर धरना देती नजर आती हैं तो कभी अपनी ही सरकार के अधिकारियों पर अवैध वसूली का आरोप लगाते हुए जिसके चलते इन्हें इन दिनों सत्ता में होते हुए भी अधिकारियों के खिलाफ धरने पर बैठना पड़ रहा है. लेकिन जिले के अधिकारी इनकी एक नहीं सुन रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब सत्ताधारी बीजेपी विधायक की फरियाद जिले के अधिकारी ही नहीं सुनते तो आम जनता का क्या सुनते होंगे. 


क्या है पूरा मामला
जनपद कानपुर देहात के आरटीओ कार्यालय पर अवैध वसूली के विरोध को लेकर अकबरपुर रनिया बीजेपी विधायक प्रतिभा शुक्ला व उनके पति पूर्व सांसद धरने पर बैठे हैं. आरोप है कि रोजाना आरटीओ ऑफिस में लाखों रुपए की अवैध वसूली होती है. वह कई बार जिले के अधिकारियों और विभागीय अधिकारियों को लिखित व मौखिक अवगत कराया लेकिन यहां पर अवैध वसूली का खेल बंद नहीं हुआ. जिसके बाद उन्हें मजबूरन धरने पर बैठना पड़ा और उनके साथ बीजेपी के सैकड़ों कार्यकर्ता भी धरने पर बैठे हैं.


एबीपी गंगा से बातचीत करते हुए पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी ने बताया कि आरटीओ ऑफिस में अवैध वसूली का खेल बुरी तरह से जारी है. वह लिखित अवगत कराने पर भी यहां के अधिकारी अवैध वसूली बंद नहीं कर रहे हैं जिसको लेकर वह बीजेपी विधायक प्रतिभा शुक्ला के साथ धरने पर बैठे हैं. जैसे ही इस धरने के बारे में कार्यकर्ताओं को पता चला कि बीजेपी विधायक प्रतिभा शुक्ला आरटीओ ऑफिस में पहुंचकर धरने पर बैठ गई है, कार्यकर्ता भी धरने पर बैठ गए.


पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी और बीजेपी विधायक प्रतिभा शुक्ला का आरोप है कि यहां पर रोज लाखों रुपए की अवैध वसूली होती है और जिले का कोई भी अधिकारी उनकी नहीं सुनता है. विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं और जनता के बीच वोट मांगने उन्हें जाना है, अधिकारियों को नहीं. जिसको लेकर वह सभी धरने पर बैठे हैं.


RTO ने सभी आरोपों को नकारा
परिवहन विभाग के आरटीओ मनोज वर्मा की माने तो उनका साफ तौर से कहना है कि दलाली जैसा कोई भी कार्य विभाग में नहीं हो रहा है. यदि कोई बाहरी व्यक्ति कार्यालय के बाहर किसी से कार्य कराने का पैसा लेता है या कोई सांठगांठ करता है और वह शख्स बाहरी दलाल के माध्यम से कार्यालय में आ जाता है तो उसकी जिम्मेदारी विभाग की नहीं है और अगर किसी को विभाग के किसी कर्मचारी से कोई दिक्कत है तो वह मुझसे आकर मिले और मैं उसकी समस्या का समाधान करूंगा.


ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार के लिए जब उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार में मौजूदा विधायक मोर्चा खोल दें तो इस बात का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि सत्ता दल के विधायक का आरोप सच है या फिर प्रदेश सरकार में कार्यरत है अधिकारियों की बात. फिलहाल आरोप कितना सच्चा है और कितना झूठा यह जांच के बाद पता चलेगा लेकिन इस मामले को देखकर इस बात को कहना गलत नहीं होगा कि धुआं वहीं उठता है जहां पर आग लगी होती है.


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