UP News: लखनऊ के सरोजनीनगर विधायक राजेश्वर सिंह ने समाजवादी पार्टी के मुखिया और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव के थाने की दीवार कूदने वाले भ्रष्ट दरोगा वाले ट्वीट पर पलटवार किया है. बीजेपी विधायक राजेश्वर सिंह ने कहा कि थाने की दीवार कूदने वाला ये भ्रष्ट दरोगा, 2005 की भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी सपा सरकार की देन है, जिसके बारे में आप लंबा चौड़ा ट्वीट कर रहे हैं.


दरअसल, बरेली के फरीदपुर थाने में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर रामसेवक के घर पर कल छापा पड़ा था, इंस्पेक्टर को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई थी तो वो थाने की दीवार कूदकर भाग गया था. जिस पर सपा चीफ अखिलेश यादव ने ट्वीट कर योगी सरकार को घेरा था. अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, ''अभी तो बस दीवार कूदी है, यदि भ्रष्टाचार का ओलंपिक होता तो भाजपा राज में ऐसी विशेष्य योग्यता रखने वाले कुछ कृपा प्राप्त पुलिसवाले ‘हाई जंग’ में प्लेटिनम मेडल ले आते.''


राजेश्वर सिंह का सपा चीफ अखिलेश यादव पर पलटवार 


लखनऊ के सरोजनीनगर विधायक राजेश्वर सिंह ने अब अखिलेश यादव के ट्वीट पलटवार किया है. राजेश्वर सिंह ने एक्स पर लिखा-"2005 से 2007 तक समाजवादी पार्टी की सरकार ने पैसा और भाई-भतीजावाद की फेहरिस्त बना कर भ्रष्टाचार की जो पौध यूपी पुलिस में भर्ती कर उगाई, वो अब वटवृक्ष बन गई है। योगी सरकार को अब इन रख़्तबीजों का संहार करना मजबूरी है.''


राजेश्वर सिंह ने कहा, ''थाने की दीवार कूदने वाला ये भ्रष्ट दरोगा, 2005 की भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी सपा सरकार की देन है, जिसके बारे में आप लंबा चौड़ा ट्वीट कर रहे हैं. अब जब बात भ्रष्टाचार की चली ही है तो सपा सरकार की भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त तो प्रदेश की जनता को भी याद है. सपा पर तंज कसते हुए कहा कि पिछली सभी सपा सरकारों में कोई डिपार्टमेंट बचा नहीं है, जिसमें स्कैम नहीं हुआ है.''


सपा पर लगाया गंभीर आरोप 


बीजेपी विधायक राजेश्वर सिंह ने कहा, ''सरकारी योजनाओं के नाम पर ₹97,000 करोड़ की भारी लूट की गई, जिसका पर्दाफाश देश की प्रमुख ऑडिट एजेंसी, CAG की 2018 की रिपोर्ट में हुआ. तो जब खुद के घर में घोटालों की फसल लहलहा रही हो, तो दूसरों को नैतिकता की उपदेश देना हास्यास्पद है. पुलिस भर्ती में लुटेरों को वर्दी पहनाना, और अपने ही लोगों को पदों पर बैठाना, सपा सरकार का तो असली ‘विकास’ मॉडल ही यही था.''


राजेश्वर सिंह ने आगे कहा, ''यूपीपीएससी भर्ती घोटाले में 86 चयनित उम्मीदवारों में से 50 एक ही जाति के थे. आपराधिक पृष्ठभूमि वालों भी सिपाही बना दिया गया था, जिन पर छेड़खानी, दहेज हत्या, मारपीट, लूट और चोरी जैसे गंभीर आरोप में मुकदमें दर्ज थे. आपकी सरकार में हुई 600 से अधिक भर्तियों को रद्द करवाने और जांच की मांग को लेकर करीब 700 से अधिक याचिकाएं हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी.''


क्या है पूरा मामला?


दरअसल बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य को पता चला की फरीदपुर थाने में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर रामसेवक पर स्मैक तस्करों को रिश्वत लेकर छोड़ने का काम किया है तो उन्होंने एसपी साउथ से इंस्पेक्टर के आवास पर छापा पाड़वाया. इस दौरान इंस्पेक्टर के बेड से 9 लाख 96 हजार रुपये नगद मिले. इसकी खबर जैसे ही इंस्पेक्टर को लगी तो वह थाने की दीवार कूदकर भाग निकला था. 


ये भी पढ़ें: खाना लेट पहुंचा तो डिलीवरी बॉय को युवकों ने बंधक बनाकर पीटा, मुंह पर फेंकी शराब