प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही सुशासन के दावे करती हो, लेकिन प्रयागराज में बीजेपी विधायक को अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ धरने पर बैठना पड़ा है। विधायक जी न सिर्फ कर्मचारियों के धरने में शामिल हुए, बल्कि उन्होंने माइक पर कर्मचारियों के समर्थन में हुंकार भी भरी।
बीजेपी विधायक ने सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के मुख्यालय को प्रयागराज से लखनऊ शिफ्ट किये जाने के प्रस्ताव का खुलकर विरोध भी किया। हालांकि मामला तूल पकड़ने के बाद वह बैकफुट पर आ गए और यह सफाई दी कि वह सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि व्यवस्था और अफसरशाही के मनमाने रवैये के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए हैं।
विधायक ने एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों बार कहा कि ब्यूरोक्रेट्स मनचाहे फैसले ले रहे हैं और अपनी मनमानी से सरकार की फजीहत करा रहे हैं। हालांकि जब उनसे यह पूछा गया कि पूर्ण बहुमत की उनकी सरकार नौकरशाहों को काबू में क्यों नहीं कर पा रही है, तो वह साफ तौर पर कोई जवाब नहीं दे सके।
दरअसल, यूपी की योगी सरकार ने सूबे के बेसिक शिक्षा विभाग के मुख्यालय को प्रयागराज से लखनऊ शिफ्ट किये जाने का फैसला किया है। इसकी कागजी कार्रवाई जोरों पर चल रही है। प्रयागराज स्थित मुख्यालय में काम कर रहे कर्मचारी इससे खुश नहीं है और पिछले तकरीबन 10 दिनों से आंदोलन की राह पर हैं।
कर्मचारी कलमबंद हड़ताल पर हैं और कैंपस गेट पर ही पूरे दिन धरने पर बैठे रहते हैं। यूपी सरकार के खिलाफ चल रहे कर्मचारियों के इस धरने में शुक्रवार को कौशांबी जिले की मंझनपुर सीट से बीजेपी के विधायक लाल बहादुर भी शामिल हुए। वह दोपहर करीब साढ़े बारह बजे पहुंचे और तकरीबन डेढ़ घंटे तक वहां मौजूद रहे। विधायक के सामने ही कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की।
बीजेपी विधायक लाल बहादुर ने न सिर्फ खुद भी भाषणबाजी की, बल्कि कर्मचारियों के आंदोलन को खुलकर अपना समर्थन भी दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बेसिक शिक्षा समेत कई विभागों के दफ्तर ही प्रयागराज की पहचान हैं और इसे किसी कीमत पर लखनऊ शिफ्ट नहीं होना चाहिए।
बीजेपी विधायक ने माना कि वो कर्मचारियों के समर्थन में उनके धरने में शामिल हुए हैं। हालांकि, सरकार का सवाल आने पर वह अफसरों के खिलाफ मोर्चा खोलने लगे। विधायक लाल बहादुर ने साफ तौर पर कहा कि सूबे में अफसर अपनी मनमानी कर रहे हैं। वह जनता के बजाय सिर्फ अपने हितों का ध्यान रख रहे हैं।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के एलान के बावजूद अफसरान लगातार इस मामले में कागजी कार्रवाई करते जा रहे हैं। मीडिया के तमाम लोगों के पहुंचने पर उन्होंने कहा कि व इस बारे में खुद सीएम योगी से बात करेंगे और बेसिक शिक्षा के मुख्यालय को कतई लखनऊ शिफ्ट नहीं होने देंगे।
बहरहाल, अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ चल रहे धरने में बीजेपी विधायक लाल बहादुर का शामिल होना आने वाले दिनों सियासी गलियारों में चर्चा का सबब जरूर बनेगा। विधायक के धरने पर भले ही सियासी कोहराम मचना शुरू हो गया हो, लेकिन धरने पर बैठे कर्मचारियों के आंदोलन को तो इससे संजीवनी सी मिल गई है।