कानून मंत्रालय वापस लिए जाने के बाद एसपी सिंह बघेल की पहली प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा?
कानून मंत्रालय की जगह स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने के बाद राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल (SP Singh Baghel) की पहली प्रतिक्रिया आई है.
UP News: कानून मंत्रालय से किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) को हटाए जाने के कुछ घंटे बाद ही इस महत्वपूर्ण मंत्रालय के राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल (SP Singh Baghel) को स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्यमंत्री का जिम्मा सौंप दिया गया. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में गुरुवार को ये जानकारी दी गई. जिम्मेदारी बदले जाने पर एसपी सिंह बघेल ने पहली प्रतिक्रिया दी है.
एसपी सिंह बघेल ने कहा, "माननीय पीएम नरेंद्र मोदी और किरेन रिजिजू के मार्गदर्शन में राज्यमंत्री के रूप में सेवा करना एक सौभाग्य और सम्मान की बात रही है. मैं भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों, मुख्य न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, निचली न्यायपालिका और पूरे कानून अधिकारियों एवं कर्मचारियों को न्याय की आसानी करने और हमारे नागरिकों के लिए कानूनी सेवाएं प्रदान करने में समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं."
नियुक्त करने का निर्देश
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एस पी सिंह बघेल को विधि व न्याय मंत्रालय में राज्यमंत्री के स्थान पर स्वास्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्यमंत्री नियुक्त करने का निर्देश दिया है." इससे पहले, रिजिजू की जगह मेघवाल को विधि एवं न्याय मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार) का जिम्मा सौंपा गया था.
लोकसभा में उत्तर प्रदेश के आगरा संसदीय क्षेत्र (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) का प्रतिनिधित्व करने वाले बघेल को जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया था. इसके बाद उन्हें विधि एवं न्याय मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बघेल को आगरा के तत्कालीन सांसद व दलित नेता रामशंकर कठेरिया का टिकट काटकर मैदान में उतारा गया था.
समाजवादी पार्टी से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले बघेल पांचवी बार सांसद हैं. हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में उन्होंने एक विवादास्पद बयान दिया था. उन्होंने दावा किया था कि बहुत कम मुसलमान सहिष्णु हैं, यहां तक कि जो सहिष्णु दिखाई देते हैं वे भी इसे एक ‘मास्क’ की तरह इस्तेमाल करते हैं.