Project Cheetah: दक्षिण अफ्रीका से और अधिक चीते लाने की योजना का केंद्र सरकार के खुलासा करने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने शनिवार को कहा कि भारत को अपनी लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अफ्रीका से चीतों को मंगाना और उनमें से नौ को एक अलग परिवेश में मरने के लिए छोड़ देना सिर्फ क्रूरता नहीं है; यह सरासर लापरवाही, बेरूखी है.’’
‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रमुख एस पी यादव ने एक साक्षात्कार में कहा है कि चीतों के अगले समूह को दक्षिण अफ्रीका से लाकर मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में बसाया जाएगा. इस अभयारण्य को साल के अंत तक चीतों को बसाने के लिए तैयार करने की संभावना है.
कांग्रेस ने भी किए सवाल
वरूण ने कहा, ‘‘हमें इन प्राणियों की पीड़ा को बढ़ाने के बजाय अपनी लुप्तप्राय प्रजातियों और पहले से मौजूद जंतुओं के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. विदेशी जंतुओं को लाने की यह लापरवाह कवायद तुरंत समाप्त होनी चाहिए और हमें इसके बजाय अपने मूल वन्यजीवों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए.’’
कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने और चीतों को लाए जाने की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘नामीबिया से चीतों को लाने की बेहद सफल परियोजना के बाद (9 पहले ही मर चुके हैं) अब दक्षिण अफ्रीका के चीतों को देखो.’’
कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने सरकार से ‘‘चीतों को बख्शने’’ का आग्रह किया, जिसे ‘एक्स’ के कई उपयोगकर्ताओं ने दोहराया. हालांकि, कई लोगों ने इस कदम का समर्थन किया.
‘एक्स’ पर एक उपयोगकर्ता ने लिखा, ‘‘मैं इसका पूरी तरह से समर्थन करता हूं. लोगों को भावनाओं में बहना बंद कर देना चाहिए. भारत बहुत मुश्किल काम कर रहा है, यानी चीतों को जंगल में फिर से बसाने का काम. इसके लिए सभी आवश्यक प्रयास करने चाहिए.’’
देश में चीतों के विलुप्त होने के बाद उन्हें फिर से बसाने की भारत की महत्वाकांक्षी पहल ‘प्रोजेक्ट चीता’ को रविवार को एक साल हो जाएंगे. यह पहल पिछले साल 17 सितंबर को शुरू हुई जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए चीतों के एक समूह को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान के एक बाड़े में छोड़ा. तब से, इस परियोजना पर दुनिया भर के संरक्षणवादियों और विशेषज्ञों द्वारा पैनी नजर रखी जा रही है.
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो में दो समूहों में 20 चीते लाए गए थे. पहला समूह पिछले साल सितंबर में और दूसरा फरवरी में लाया गया था.
मार्च के बाद से इनमें से छह वयस्क चीतों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है. मई में, मादा नामीबियाई चीता से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की अत्यधिक गर्मी के कारण मृत्यु हो गई.