(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Election 2022: पीलीभीत पहुंचे बीजेपी सांसद वरुण गांधी, अपनी ही सरकार पर साधा निशाना, जानिए क्या कहा
दो दिन के दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र पीलीभीत आए वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए निजीकरण का विरोध किया.
Varun Gandhi Target BJP Government: दो दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र पीलीभीत पहुंचे बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने करीब दो दर्जन से अधिक गावों का दौरा कर जनसभाओं को सम्बोधित करते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ जमकर निशाना साधा. मंच से जनता को सम्बोधित करते वरुण गांधी ने कहा कि आज देश मे जब कोई पूंजीपति लोन लेता है तो उसको बोला जाता है कि जब चाहे वापस कर दीजिएगा. हमारी देश में सबसे बड़ी समस्या है कि व्यवस्थाएं सब लोगों के लिए एक समान नहीं है. अगर कोई बड़ा आदमी पुलिस थाने में जाता है तो पुलिस कहती है आइए बैठिएगा इन साहब के लिए चाय लाइएगा जरा और यदि कोई आम आदमी जाए तो उससे कहा जाता है हां भाई क्यों आए जान खाने आये हो,, ऐसा क्यों है? आज देश की आजादी के बाद भी अपने अधिकारों के लिए किसी की सिफारिश करनी पड़ती है जिसके कारण एक व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान नही कर पाता है.
व्यवस्थाओं पर उठाए सवाल
बीजेपी सांसद वरुण गांधी कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि हम लोगों के देश हित के मुद्दे उठाए कुछ नेता लोगों को यह अच्छा नहीं लगा. हम राष्ट्रहित के लिए राजनीति में आए हैं हम दल नीति के लिए नहीं आए है. हम भारत मां, हिंदुस्तान का झंडा पकड़कर राजनीति के आगे आये हैं और यदि हमे भारत मां के झंडे को ऊंचा करने के लिए जान की बाजी भी लगानी पड़े तो हम पीछे नही हटेंगे. हमारे देश की असली समस्या बेरोजगारी है, महंगाई है किसान को उसकी उपज का समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. मजदूर को उसकी दिहाड़ी कमतर करके दी जा रही है. हम सब मिलकर देश की आवाज को बुलंद करने का काम करेंगे.
हमसब मिलकर देश का भविष्य बनाएंगे
वरुण गांधी ने हमसब का मतलब समझाते हुए बोला कि ह मतलब हिन्दू, म से मुसलमान, स से सिख, ब से बाकी सब हिन्दुस्तान हमसब मिलकर इस देश का भविष्य बनाएंगे और उस पर ध्यान दें. जिनके पास 5 रोटी है उनमें से दो रोटी उस जरूररत मंद गरीब को दें जिसके घर दीवाली की मिठाई बांटकर खुशियां मिले. मैंने बोला है ये जो सरकार निजीकरण कर रही है. ये निजीकरण अपने आप में खराब है ये मैं नही कह रहा हूं लेकिन ये निजीकरण पूंजीवादी करण के रूप में तब्दील नहीं होना चाहिए. बल्कि कम्पनियों सौंपा जाए तो उसमे काम करने वाले मजदूरों को बेरोजगार न किए जाए और ग्रामीण इलाको भी रोजगार दिया जाना चाहिए. अगर ये रेल बिक जाएंगे, हवाई जहाज बिक जाएंगे, तो क्या ये लोग ग़ांव के लोगों को रोजगार देंगे कभी नहीं देंगे. इसलिए मैं निजीकरण का विरोध करता हूं.
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