(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gita Press: गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर वरुण गांधी बोले- 'अकारण आलोचना नकारात्मकता'
UP Politics: गीता प्रेस (Gita Press) को गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize) दिए जाने के एलान होने के बाद बीजेपी (BJP) के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) की प्रतिक्रिया आई है.
Gandhi Peace Prize: वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस (Gita Press), गोरखपुर (Gorakhpur) को प्रदान किया जाएगा. गीता प्रेस को यह पुरस्कार 'अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान' के लिए दिया जाएगा. गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने पर पीलीभीत (Pilibhit) से बीजेपी (BJP) के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) की प्रतिक्रिया आई है.
बीजेपी सांसद ने कहा, "एक दूसरे की आस्था का परस्पर सम्मान ही एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की पहचान है. गीताप्रेस सिर्फ एक प्रकाशक नहीं, एक संपूर्ण आंदोलन है. जिसने गरीब से गरीब परिवार को उनके धर्म से उच्चस्तरीय भाषा में लिखी त्रुटिहीन पुस्तकों के माध्यम से जोड़ा. अकारण आलोचना नकारात्मकता का आधार बनती है." संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया.
योगदान के लिए किया जाता है याद
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति एवं सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान को याद किया. बयान में कहा गया है कि मोदी ने कहा कि गीता प्रेस को उसकी स्थापना के सौ साल पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किए गए कार्यों की पहचान है.
गीता प्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं. गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरूआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की थी.
मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो.