वरुण गांधी ने अपनी सरकार पर साधा निशाना, बोले- 'देश में अरबपति की तो गिनती होती है, लेकिन...'
राजस्थान के अलवर के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक दीपचंद शर्मा ने पीएमओ को एक लाख रुपये का चेक भेजा था और इसे देश के सबसे गरीब इंसान को देने का आग्रह किया. वरुण गांधी ने इसी मामले का जिक्र कर निशाना साधा.
Varun Gandhi News: पीलीभीत से बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने एक रिटायर्ड टीचर का जिक्र करते हुए अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया है. वरुण गांधी ने कहा कि राजस्थान के अलवर के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक दीपचंद शर्मा ने पीएमओ को खत लिखा कि मैं देश के सबसे गरीब आदमी को एक लाख रुपये का चेक देना चाहता हूं. उन्हें ये चेक वापस लौटा दिया गया और कहा कि हम नहीं जानते कि देश में सबसे ज्यादा गरीब कौन है.
बीजेपी सांसद ने आगे बताया कि उन्होंने फिर से ये चेक भेजा और कहा कि देश के जो 100 सबसे गरीब हैं उनको ये पैसा दे दो. सरकार के पास ये आंकड़ा भी नहीं था. फिर एक दिन मैंने एक अखबार में खबर पढ़ी कि बधाई हो, भारत को 70वां करोड़पति मिल गया है और मुझे लगा कि पैसे के इस विशिष्ट उपभोग और वल्गर सेलिब्रेशन में समाज के अंतिम व्यक्ति को राष्ट्रीय नेरेटिव से पूरी तरह गायब कर दिया गया है. देश में अरबपति की तो गिनती होती है कि किनके पास सबसे अधिक संपत्ति है, लेकिन कौन सबसे गरीब है इसका कोई डेटा नहीं है.
रिटायर्ड टीचर ने पीएमओ को भेजा एक लाख का चेक
दीप चंद शर्मा को प्रधानमंत्री कार्यालय को दान के रूप में भेजे गए एक लाख रुपये वापस लौटाए गए हैं. 63 वर्षीय दीप चंद शर्मा ने कहा कि सरकार उन्हें देश के सबसे गरीब 100 लोगों की सूची उपलब्ध नहीं करा पाई. सरकारी स्कूल में संस्कृत के शिक्षक रहे शर्मा ने द टेलीग्राफ से कहा कि जब सभी सरकारें कहती हैं कि वे समाज के अंतिम सबसे गरीब व्यक्ति तक पहुंचना चाहती हैं और भुखमरी को जड़ से खत्म करने का संकल्प लेती हैं, तो मैंने देश के 100 सबसे गरीब लोगों की सूची मांगने का फैसला किया, लेकिन मुझे कभी कोई जवाब नहीं मिला.
प्रधानमंत्री राहत कोष में भेजा गया पैसा
उन्होंने बताया कि मैंने एक लाख रुपये का चेक सबसे गरीब आदमी को देने के लिए कहा था. एक महीने के बाद, मुझे पीएमओ से एक रसीद और पत्र मिला, जिसमें कहा गया था कि मेरी मदद की बहुत सराहना की गई है. साथ ही, यह पैसा प्रधानमंत्री राहत कोष में दान किया जा रहा है. फिर मैंने ये जानने के लिए एक आरटीआई दायर की कि पैसा समाज के सबसे गरीब लोगों को क्यों नहीं दिया जा रहा है और राहत कोष में क्यों स्थानांतरित किया जा रहा है.
टीचर ने पैसा वापस मांगा
शर्मा ने बताया कि फिर पीएमओ से अवर सचिव (फंड) पी.के. बाली का फोन आया. जिन्होंने मेरे प्रयास की सराहना करते हुए, सबसे गरीब लोगों को ढूंढने में असहायता व्यक्त की. जब सरकार ने कहा कि गरीबों में सबसे गरीब व्यक्ति की पहचान करना मुश्किल होगा, तो शर्मा ने अपना पैसा वापस चाहा. सरकार ने 18 मार्च 2016 को पैसा लौटा दिया और कहा कि नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सशर्त योगदान, जहां दाता विशेष रूप से उल्लेख करता है कि राशि किसी विशेष उद्देश्य के लिए है, फंड में स्वीकार नहीं किया जाता है.
पिछले साल अक्टूबर में जारी विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 2012 में किसी भी देश में सबसे ज्यादा गरीब लोग भारत में थे, लेकिन बड़ी संख्या में गरीब लोगों वाले देशों में इसकी गरीबी दर सबसे कम थी.
ये भी पढ़ें-