UP Politics: भारतीय जनता पार्टी (BJP) मुस्लिमों को रिझाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है, पसमांदा मुस्लिमों (Pasmanda Muslim) को लेकर बीजेपी ने कई जगह सम्मेलन किए और उन्हें बीजेपी की रीति-नीति समझाने की कोशिश की, अब इसी कोशिश को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी ने सूफी विचारधारा को भी अपने साथ लाने पर का काम शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में यूपी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी (Danish Azad Ansari) अपने सहयोगियों के साथ यूपी में कौमी चौपाल करते भी दिखेंगे. इस बीच बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने कानपुर (Kanpur) में होने जा रहे मुस्लिम महासम्मेलन को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है.


बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा कानपुर के जाजमऊ में सीटीआई ग्राउंड पर एक बड़ा मुस्लिम महासम्मेलन का 26 फरवरी को आयोजन करने जा रहा है. मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सलीम अहमद की माने तो मुस्लिमों की बड़ी तादाद इस सम्मेलन में शिरकत करने जा रही है. पार्टी ने अनुमान लगाया है कि करीब 30-40 हजार मुस्लिम बीजेपी के इस महासम्मेलन में शिरकत करते हुए पार्टी के साथ खड़े होने का बड़ा संदेश देंगे. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा इसमें मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ-साथ मदरसे के उन बच्चों को भी लाने की रूपरेखा पर काम कर रहा है जिन्हे पार्टी ने अपनी तरफ आकर्षित करने का पूरा प्लान खींच लिया गया है.


बीजेपी के 'मुस्लिम प्लान' से परेशान सपा
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी का मुस्लिम महासम्मेलन समाजवादी पार्टी को अखरने लगा है. सपा विधायक मोहम्मद हसन रूमी का कहना है कि बीजेपी की तरफ मुसलमान कभी भी रुख नहीं कर सकता क्योंकि वो मुसलमानों की कभी भी हमदर्द नहीं बन सकती. जानकारों का कहना है कि बीजेपी एक-एक कर मुसलमानों को अपने पक्ष में लाने में जुटी हुई है, पसमांदा सम्मेलन, सूफी विचारधारा, कौमी चौपाल और मुस्लिमों का महासम्मेलन करते हुए बीजेपी 2024 की लड़ाई को अपने लिए आसान करने में जुटी हुई है.

बीजेपी जिस तरह से धीरे-धीरे मुसलमानों की तरफ अपने कदम बढ़ा रही है ऐसे में विपक्ष में खलबली मचना तय है, शायद इसीलिए सपा लगातार ये मुसलमानों को लेकर ये कहकर निशाना साध रही है कि बीजेपी का सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास का नारा झूठ और फरेब जैसा है. 


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