UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने इस बार उन 80 सीटों पर खास फोकस किया है जहां 2017 में पार्टी चुनाव नहीं जीत पाई थी. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अभियान की शुरुआत की है. वह उन जिलों में जा रहे हैं और जनसभाएं कर रहे हैं जिस सीट पर पार्टी 2017 में चुनाव नहीं जीती थी. इस अभियान के पीछे एक खास रणनीति है और वो रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रणनीति से काफी हद तक मेल भी खाती है .


सीएम योगी ने बदायूं और शाहजहांपुर को दी करोड़ो की सौगात


बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदायूं में सहसवान विधानसभा और शाहजहांपुर में जलालाबाद विधानसभा में जनसभाएं की और दोनों ही जिलों को करोड़ो की सौगात दी. दरअसल मुख्यमंत्री पिछले कुछ दिनों से लगातार अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं, चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं, करोड़ो की सौगात दे रहे हैं. लेकिन इनमें वो सीटें ज्यादा है जहां बीजेपी 2017 में चुनाव नहीं जीत पाई थी. बदायूँ और शाहजहांपुर से पहले मुख्यमंत्री सीतापुर बाराबंकी कुशीनगर कानपुर और उन्नाव में भी जनसभा कर चुके हैं.


2017 के चुनाव में 78 सीटें बीजेपी नहीं जीत पाई थी


गौरतलब है कि 2017 में 78 ऐसी सीटें ऐसी थी जहां बीजेपी और उसके सहयोगी नहीं जीत पाए थे, फिर उसके बाद ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा गठबंधन से अलग हो गई तो उसकी 4 सीटों को भी पार्टी ने हारी हुई सीटों में शामिल कर लिया जिसके बाद ऐसी सीटों की संख्या 82 हो गयी थी.  वहीं उपचुनाव में 2 सीट गंवाने के बाद इन सीटों की संख्या बढ़कर 84 हो गई.  अब इन 84 सीटों पर जीत की अलग रणनीति तैयार की गई है.बता दें कि 84 सीटों में भी 60 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी का कमल आज तक नहीं खिला है और पार्टी का पूरा फोकस है कि कैसे 2022 में इन सीटों पर भी कमल खिलाया जाए.


ये है रणनीति


 मुख्यमंत्री ने यह अभियान शुरू किया है दरअसल रणनीति के पीछे वजह साफ है 80 से ज्यादा सीटों पर 2017 में जब बीजेपी नहीं जीती तो यहां जिस पार्टी का विधायक जीता है उसके खिलाफ कहीं ना कहीं एक माहौल जनता के बीच बना है, और उसी का फायदा बीजेपी उठाना चाहती है. बीजेपी इस कोशिश में जुटी है कि 80 सीटों में से अगर उसे 50 से 60 सीटों पर जीत हासिल होती है तो लगभग 300 सीटों पर उसके जो वर्तमान में विधायक है अगर वहां उसे एंटी इनकंबेंसी के चलते कोई नुकसान होता है तो उसकी भरपाई इन 80 से ज्यादा सीटों से हो सकती है


पीएम मोदी की भी लोकसभा चुनाव में ऐसी ही रणनीति रहती है


इसी तरह की रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी लोकसभा चुनाव में रहती है. कई बार वो हिंदी भाषी प्रदेश के अलावा ऐसे राज्यों में काफी मेहनत करते है जहां बीजेपी पहले चुनाव नहीं जीत पाती थी. और इसका फायदा 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिला भी था. कुछ ऐसी ही कोशिश 2022 के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, केवल जनता का पैसा हवा में बीजेपी उड़ा रही है. 


इन सीटों पर नहीं खिला आज तक कमल


चलिए जानते हैं आखिर वो कौन सी सीटें हैं जहां आज तक कमल नहीं खिला है. इनमें अंबेडकरनगर की अकबरपुर, आजमगढ़ की निजामाबाद सीट, सीतापुर की सिधौली सीट, रायबरेली की हरचंदपुर सीट, लखनऊ की मोहनलालगंज सीट, रायबरेली की रायबरेली सदर सीट, कानपुर की सीसामऊ सीट, आजमगढ़ की आजमगढ़ सदर सीट,  प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट, इटावा की जसवंतनगर सीट, रायबरेली की ऊंचाहार सीट, जौनपुर की मल्हनी सीट, आजमगढ़ की अतरौलिया सीट, आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट आजमगढ़ की गोपालपुर सीट शामिल है. जौनपुर की मल्हनी सीट जो पहले रारी विधानसभा थी वहां भी बीजेपी आज तक कभी नहीं जीती. वहीं  बाराबंकी सदर सीट, इसके अलावा प्रतापगढ़ की कुंडा सीट बीजेपी 1993 के बाद कभी नहीं जीत पाई.


ये भी पढ़ें


UP Sahaswan Election 2022: SP की गढ़ सहसवान सीट पर कभी नहीं जीती BJP, इस बार होगा क्या? जानें भविष्यवाणी


Chhath Puja 2021: देश में छठ पूजा की धूम, यूपी के घाटों पर सरकार ने किए सुरक्षा के कड़े इंतजाम