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UP News: रामपुर में जीत संयोग या प्रयोग, अब मुसलमानों को लेकर BJP ने बनाया बड़ा प्लान?

Pasmanda Muslims: बीजेपी ने मुस्लिमों समुदाय के पसमांदा के बीच रणनीतिक तरीके से काम शुरू कर दिया है. पार्टी से जुड़े कई नेता इस बिरादरी के मुसलमानों के बीच लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. हैदराबाद में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी ने अल्पसंख्यक समुदाय के कमजोर तबकों तक भी बात पहुंचाने की बात कही. पीएम मोदी ने यह बात कहते हुए मुसलमानों के पसमांदा बिरादरी (Pasmanda Muslims) का भी जिक्र किया. 

भारतीय मुसलमानों में भी तीन वर्ग कहे जाते हैं. जिनमें अशराफ, अजलाफ और अरजाल शामिल हैं.  मुसलामानों की सामाजिक और आर्थिक हैसियत इसके हिसाब से देखी जाती है. अशराफ मुसलमानों को एक तरह से ऊंची जाति वाला माना जाता है. जो मुस्लिम राजाओं के वंश से ताल्लुक रखते हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि इनमें वो लोग शामिल हैं जो हिंदुओं की ऊंची जातियों में थे और मुसलमान बन गए.  समुदाय में इस वर्ग के मुसलमानों की आर्थिक और सामाजिक हैसियत हमेशा ज्यादा रही है. इनमें सैय्यद, शेख, सिद्दीक़ी, मुग़ल, पठान शामिल हैं.

बाकी अजलाफ और अरजाल समुदाय के लोगों को हम पसमांदा में शामिल करते हैं. पसमांदा जो कि एक फारसी शब्द है जिसका मतलब पिछड़े हुए या पीछे छूट गए लोग होता है. मुस्लिम समाज की पसमांदा बिरादरी में कई जातियों शामिल हैं जिनमें क़साई, नाई, तेली, धोभी, मोची, सकके, लुहार, बढ़ई, धुनें, रंगरेज़, गाड़ा, झोझा, राईन, रंगरेज़, बंजारे फ़क़ीर, वन ग़ुज्जर, कसगर, नट, डोम, मिरासी शामिल हैं. अंसारी पसमंदा समाज में सबसे ऊपरी पायदान पर हैं.

हाल ही में हुए रामपुर लोकसभा उपचुनाव पर नजर डालें तो बीजेपी से जुड़े और पसमांदा मुस्लिमों के बीच काम कर रहे आतिफ रशीद का दावा है कि इस सीट में बंजारा मुसलमानों ने बीजेपी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है. उनका कहना है कि इस सीट को आजम खान परिवार का गढ़ माना जाता है जो खुद को मुस्लिम नेता की तौर पेश करते हैं. लेकिन यहां पर भी हमेशा की तरह ऊंची जाति वाले मुसलमानों ने ही तरक्की की है. पसमांदा मुसलमानों का सिर्फ इस्तेमाल किया गया.

आतिफ रशीद का दावा है कि मुसलमानों में कई ऐसी जातियां हैं जहां से आज तक कोई पार्षद तक नहीं बना है. इस बात पर उन्होंने मुसलमानों की कसघर जाति का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हिंदुओं में इनको कुम्हार कहा जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इनकी अच्छी-खासी संख्या है लेकिन इनका अपना कोई नेता ही नहीं है. 

रशीद ने कहा कि उनकी पार्टी (बीजेपी) पसमांदाओं के उस वर्ग तक पहुंच रही है जिसे हाल ही में कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है. इसके साथ ही इनके समुदाय से ही अब नेता गढ़ने की योजना पर काम रही है. 

बता दें कि यूपी में योगी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल एक मात्र मुस्लिम दानिश अंसारी पसमांदा समाज से ही आते हैं और बीजेपी उनको पार्टी का मुस्लिम चेहरा के तौर पर आगे लाई है. 

हालांकि बीजेपी की इस कवायद को वरिष्ठ कांग्रेस नेता राशिद अल्वी पूरी तरह से खारिज करते हुए कहते हैं कि बीजेपी पर कोई कैसे विश्वास करे. एबीपी न्यूज से बातचीत में अल्वी ने कहा कि एक ओर तो उन्होंने मुसलमानों को संसद से बाहर कर दिया. लोकसभा में बीजेपी की ओर से कोई भी मुस्लिम सांसद नहीं है. दलितों के लिए भी कुछ नहीं किया. 

कांग्रेस नेता ने कहा, 'बीजेपी सिर्फ विभाजनकारी राजनीति करती है. अब मुसलमानों को भी अपर कास्ट और लोअर कास्ट में बांटना चाहती है.' लेकिन जब रामपुर में बीजेपी जीत में पसमांदाओं की भूमिका पर सवाल किया गया तो राशिद अल्वी ने कहा कि सिर्फ 20-30 फीसदी वोट पड़ा है.वहां जनता ने नहीं डीएम और एसपी ने चुनाव लड़ा था. बीजेपी ने इस सीट पर पुलिस के दम पर चुनाव जीता है. 

इसी मुद्दे पर सपा प्रवक्ता मनोज काका ने एबीपी न्यूज से कहा कि बीजेपी को अगर अल्पसंख्यकों की इतनी ही चिंता हो रही है तो हर तरफ उनको क्यों टारगेट किया जा रहा है. सपा प्रवक्ता ने कहा, 'सामान्य अपराधों में भी मुस्लिम युवकों को आतंकी बता दिया जाता है'.  मनोज ने कहा कि क्यों नहीं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में से प्रोफेसर या अन्य शासकीय व्यवस्था में उनकी भागीदारी बढ़ाई जा रही है.

लेकिन जब सपा प्रवक्ता से पूछा गया कि जिस आक्रमक तरीके से बीजेपी पसमांदा के बीच काम कर रही है तो उसको सपा कैसे काउंटर करेगी, इस पर उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से मेंबरशिप अभियान चलाया जा रहा है और सभी समुदायों की भागीदारी उनकी सामाजिक स्थिति के हिसाब से सुनिश्चित की जाएगी. सपा नेता ने इसके साथ ही जातीय जनगणना की भी मांग की. 

दूसरी ओर मुसलमानों को बांटने के आरोप पर बीजेपी नेता आतिफ राशिद कहते हैं कि पूरे मस्लिम समुदाय में 80 फीसदी पसमांदा हैं लेकिन नौकरियों और कॉलेज की सीटों पर सिर्फ अपर कास्ट अशराफ समुदाय के मुसलमानों का कब्जा है. उन्होंने कहा कि इस्लाम में जातियों का कोई जिक्र नहीं है लेकिन जमीन में इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है. उनका कहना है कि जब भी पसमांदा अपने अधिकारों की बात करते हैं उनके सामने विभाजन का सवाल खड़ा कर दिया है. 

 

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