UP Politics: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने लखनऊ में पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ सदस्यों संग बैठक के दौरान अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है. एक ओर जहां आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इसे बसपा प्रमुख मायावती का बेहद अहम फैसला माना जा रहा है. वहीं सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. बीजेपी से लेकर समाजवादी पार्टी ने मायावती के इस फैसले पर उन्हें निशाने पर लेती नजर आ रही है.


बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है. इस घोषणा के बाद एक तरफ जहां बसपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं में खुशी देखी जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मायावती के इस फ़ैसले पर तंज कसा है. बीजेपी ने इसे जहां मुगलिया सल्तनत की जैसा फैसला बताया है, तो वहीं सपा ने इसको परिवारवाद की पराकाष्ठा तक बता दिया है.


समाप्ति की ओर चल रही बसपा
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ ने मायावती के इस फैसले को लेकर कहा कि मायावती के इस फ़ैसले के बाद पार्टी में खुशी की लहर है. वहीं BJP प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि यह कदम बसपा की समाप्ति की तरफ है. उन्होंने कहा कि 'उत्तराधिकारी परिवार में होता है, राजनीतिक दल में नहीं होता है. राजनीतिक दल जनता से बनते हैं, कार्यकर्ताओं से बनते हैं. पार्टी का अध्यक्ष लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुना जाता है. किसी उत्तराधिकार से नहीं, यह राजवंशों में होता था. मुगलिया सल्तनत में होता था.


परिवारवाद में डूब गई बसपा
BJP प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने आगे कहा कि बहुजन समाज पार्टी जो मान्यवर कांशीराम ने एक मिशन के रूप में शुरू की थी. वो कमीशन में बदली और अब पूरी तरह से परिवारवाद में डूब गई और यहीं कारण भी है कि बहुजन समाज पार्टी की हालत लगातार खस्ता हुई है. पार्टी के संस्थापक सदस्य एक-एक करके पार्टी को छोड़कर चले गए और आज बहुजन समाज पार्टी ने जिस तरह से उत्तराधिकारी घोषित किया है, स्पष्ट है कि बसपा अब पूरी तरह से समाप्त होने वाली है.'


परिवारवाद की पराकाष्ठा


वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'मायावती का जो परिवारवाद है, जो परिवारवाद की पराकाष्ठा है, जो केवल जो उनका मैं है, आज जो वह छुपा कर रखी थी, वह जनता के सामने और उनकी पार्टी के सामने स्पष्ट हो गया है. उन्होंने उम्मीदवार घोषित किया है. यह कोई राजशाही नहीं है. लोकतंत्र में पार्टी के नेता चुनाव से चुने जाते हैं, लेकिन मायावती को लोकतंत्र से कोई मतलब नहीं है.


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