लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ऐसी सियासी पार्टी है जो हर वक्त चुनावी मोड में रहती है, और जब बात उत्तर प्रदेश में साल 2022 के विधानसभा चुनाव की बात हो तो भला बीजेपी कैसे इसमें पीछे रह सकती है. यही वजह है कि चुनाव से तकरीबन 8 महीने पहले ही पार्टी उत्तर प्रदेश में लगातार सियासी मंथन करने में जुट गई है. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगातार बैठकें हो रही हैं. पीएम से लेकर सीएम तक इन बैठकों में शामिल हो रहे हैं, और एक बार फिर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बी एल संतोष दो दिन के लखनऊ दौरे पर आ रहे हैं. उनके इस दौरे की असल वजह क्या है ये आपको हम अपनी इस रिपोर्ट में बताते हैं.
दो दिन के दौरे पर आ रहे हैं बीएल संतोष
बीजेपी के नेशनल जनरल सेक्रेटरी बी एल संतोष लखनऊ के दौरे पर आ रहे हैं. इस बार उनका यह दौरा 21 और 22 जून यानी दो दिनों का है. उनके साथ यूपी बीजेपी के प्रभारी राधा मोहन सिंह दो दिन के लखनऊ दौरे पर रहेंगे. अभी दो जून को ही संतोष तीन दिन लखनऊ में रहकर बैठकें करके दिल्ली गए थे, लेकिन अचानक अब 19 दिन बाद एक बार फिर वह लखनऊ मंथन करने के लिए आ रहे हैं. बीजेपी का अब सारा फोकस 2022 के विधानसभा चुनाव पर हो गया है. और शायद पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी आलाकमान यूपी के बारे में बेहद गम्भीर है. यही वजह है कि, 2022 के विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिए रणनीतिकार दिल्ली से लखनऊ आ रहे हैं. हालांकि इससे पहले भी जब बीएल संतोष जब लखनऊ आए, सरकार से लेकर संगठन तक का फीडबैक लिया था और उसके आधार पर एक रिपोर्ट भी तैयार की थी. जिसमें इस बात पर फोकस था कि 2022 का सियासी संग्राम कैसे जीता जाएगा?
कई मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
बीएल संतोष के दो दिन के लखनऊ दौरे में माना जा रहा है कि, ज्यादातर फोकस 2022 के चुनाव में संगठन की तैयारियों को लेकर समीक्षा होगी. वहीं, कुछ और महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर इन बैठकों में चर्चा सम्भव है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण संगठन ने पार्टी के विधायकों और मंत्रियों का एक साल कामकाज पर जो इंटरनल रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है, उस पर चर्चा संभव है. माना जा रहा है कि, 2022 में टिकट पाने का एक बड़ा आधार यह रिपोर्ट होगी और इसीलिए बैठक में इसकी समीक्षा की जाएगी. इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के आगामी जो कार्यक्रम होंगे, चुनावी रैलियां चुनावी सभाएं उन पर भी चर्चा संभव है और वह कार्यक्रम भी तय हो सकते हैं. इसके अलावा बीएल संतोष ने लखनऊ में जब पिछली बैठक की थी तो उसमें जो निर्देश जारी किए गए थे, उन पर भी अमल होना अभी बाकी है. साथ ही प्रदेश में 5 जुलाई को विधान परिषद की चार सीटें खाली हो रही हैं उन पर पार्टी किसे विधान परिषद भेजें, इसमें जातिय क्षेत्रीय समीकरण और संतुलन को देखते हुए भी चर्चा संभव है. लगातार बीजेपी इस कोशिश में जुटी है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल की जाए और इस बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की रणनीति और उम्मीदवारों के नाम पर फाइनल मुहर भी लग सकती है. इतना ही नहीं हाल ही में बीजेपी के सहयोगी दलों ने दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर तमाम दावे भी किए. उन दावों की हकीकत क्या है, इसे भी स्थानीय स्तर पर माना जा रहा है कि वहां के पदाधिकारियों के जरिए परखने की कोशिश करेंगे.
लगातार बैठकें कर रहा है संगठन
हालांकि, सरकार के कैबिनेट मंत्री साफ तौर पर कह रहे हैं, अब यूपी में चुनाव में छह महीने का ही वक्त बचा है और संगठन लगातार बैठकें कर रहा है. इसमें कुछ भी नया नहीं है, ऐसा पहले भी होता आया है और इस बार भी हो रहा है. वो इसे पार्टी का रूटीन काम बता रहे हैं. लेकिन वो ये भी कहते हैं कि, इस बैठक में विधायकों के बारे में भी विचार किया जाएगा. जाहिर है, तमाम विधायकों का काम संतुष्ट करने वाला नहीं रहा है और इसीलिए बैठक में माना जा रहा है कि इसकी भी समीक्षा की जाएगी. उनका यह भी कहना है कि, अभी तक मंत्रियों के साथ बीएल सन्तोष कोई बैठक करेंगे, इसकी सूचना उन्हें नहीं है.
2022 के विधानसभा चुनाव के लेकर बीजेपी अब इलेक्शन मोड में नजर आ रही है. बैठकें, मीटिंग, चर्चा लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हर जगह पार्टी इन चुनाव को जीतने की रणनीति बनाती नजर आ रही है. वहीं, दूसरे सियासी दल ट्विटर पर ही ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं, बजाए इसके कि वह भी फील्ड में नजर आते, उनकी सक्रियता ट्विटर तक ही सिमटी नजर आती है.
केशव प्रसाद मौर्य बोले
इस पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का साफ तौर पर कहना है कि, बीजेपी तो यही चाहेगी कि दूसरे दल बुरी तरह से हारे और बीजेपी को 2017 से भी बड़ी सफलता 2022 में हासिल हो. उनका कहना है कि, अगर दूसरे सियासी दल तैयारी नहीं कर रहे हैं तो ये बीजेपी के और भी फायदेमंद है, वो कहते हैं कि, दूसरे सियासी दल केवल टि्वटर छाप राजनीति कर रहे हैं और समाज को भड़काने बरगलाने का काम कर रहे हैं. उनका यही एजेंडा है. जबकि बीजेपी का एजेंडा है, जमीन पर काम करना और इसके लिए संगठन लगातार काम कर रहा है. वो ये भी कह रहे हैं कि अखिलेश यादव और उनके सहयोगी मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं, और वो सपने चकनाचूर होंगे.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब सियासी दलों के पास तैयारी के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा है. कोरोना के चलते पहले 2020 में सियासी गतिविधियां ठप हो गई थी और फिर इस साल कोरोना की दूसरी लहर ने भी पॉलिटिकल एक्टिविटी पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. जिसके चलते उत्तर प्रदेश में जो चुनावी माहौल अब तक बन जाता वो नहीं बन पाया है. लेकिन बीजेपी ने एक बार फिर से इन चुनाव की तैयारियों को लेकर जो तेजी दिखाई है उससे यह लग रहा है कि बीजेपी इस बार 2017 से ही ज्यादा मेहनत 2022 के लिए कर रही है.
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