गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर के शहर गाजियाबाद में लगातार ब्लैक फंगस का काला साया लोगों पर मंडरा रहा है. जहां पहले इक्का-दुक्का मरीज ही सामने आ रहे थे, वहीं अब लगभग 24 मरीज गाजियाबाद में मिल चुके हैं, जो कि काफी चिंताजनक है. लेकिन प्रशासन के वादे उनसे भी ज्यादा चिंताजनक दिखाई दे रहे हैं. मरीज लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनको ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन इंफोटेरेसीन बी भी नहीं मिल रहा है. जिसके चलते वह लगातार गाजियाबाद प्रशासन के हेल्पलाइन नंबरों पर घंटी बजा रहे हैं. बावजूद इसके उनको किसी भी तरह से कोई मदद नहीं मिल रही है. अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं और उधर उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं... कि स्थिति कंट्रोल में है. और सभी अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है और अब हम ब्लैक फंगस बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.
व्हाइट फंगस का असर
पहले तो लोग कोरोना से परेशान थे, उसके बाद ब्लैक फंगस ने उनके इस संघर्ष भरी जिंदगी को हिला कर रख दिया. लेकिन लोग ब्लैक फंगस की बीमारी से उबर पाते कि उन्हें अब व्हाइट फंगस बीमारी का सामना भी करना पड़ रहा है. गाजियाबाद में भी व्हाइट फंगस ने दस्तक दे दी है और मरीज का इलाज बेहद ही खतरनाक होता जा रहा है.
डॉक्टर ने हमें बताया कि व्हाइट फंगस उन लोगों को भी हो रहा है, जिनको पहले कोरोना था. उसके बाद मरीज को ब्लैक फंगस हुआ और अब ब्लैक फंगस और व्हाइट संघर्ष के एक साथ लक्षण मिल रहे हैं. ऐसे में अब इलाज दोगुना हो गया है, क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाली दवाइयां महंगी हैं और वह आसानी से मिल नहीं रही है.
बाजार से इंजेक्शन गायब
गाजियाबाद के हमारे संवाददाता शक्ति सिंह ने आज गाजियाबाद की दवाइयों की मार्केट में इंफोटेरेसीन बी इंजेक्शन की पड़ताल की... कि क्या मरीजों को यह इंजेक्शन आसानी से मिल रहा है या फिर रेमडेसीविर इंजेक्शन के तरह इसकी भी काला बाजारी शुरू हो गई है. इन तमाम सवालों को अपने जहन में लिए हमारे संवाददाता शक्ति सिंह गाजियाबाद के घंटाघर स्थित नई बस्ती पहुंचे, जहां पर पूरे गाजियाबाद में दवाइयां सप्लाई की जाती है. दर्जनों दुकानों पर पूछताछ के बावजूद भी उन्हें एक भी दुकान पर ब्लैक फंगस में मरीज के लिए इस्तेमाल किया जाता है वह इंजेक्शन नहीं मिला.
मरीजों के परिजन धक्के खा रहे हैं
इसके बाद हमारे संवाददाता ने ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर बीपी त्यागी के पास पहुंचे और उनसे हालात जानने की कोशिश की. जिसके बाद जो सच सामने आया वह मरीजों के परिजन के लिए बेहद ही खौफनाक था. एक तरफ तो इंजेक्शन नहीं मिल रहा है, दूसरी तरफ नए नियम आए हैं कि जिसको भी इंजेक्शन की जरूरत है वह गाजियाबाद सीएमओ और मंडलायुक्त के पास जाकर इन इंजेक्शनओं को ले सकता है. लेकिन मरीजों के परिजनों का कहना है हम सिर्फ धक्के खा रहे हैं, लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सभी दावे सिर्फ कागजों पर ही दिखाई दे रहे हैं. जमीनी हकीकत में हमें ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां नहीं मिल रही है. हम अपनों को मरता हुआ देख रहे हैं. गाजियाबाद में एक व्यक्ति की ब्लैक फंगस के कारण मौत हो चुकी है. लेकिन उसके बावजूद भी प्रशासन पूरी तरह से सोया हुआ है. डीएम साहब फोन नहीं उठाते हैं, सीएमओ साहब फोन नहीं उठाते हैं. मंडलायुक्त साहब फोन नहीं उठाते हैं. अब जरा आप अंदाजा लगाइए जब यह अधिकारी खुद घोड़े बेच कर सोए हुए हैं. तो जिला किसकी जिम्मेदारियों पर चल रहा है.
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