अलीगढ़, एबीपी गंगा। अलीगढ़ में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारीयों ने ऐसा कदम उठाया कि सैकड़ों स्कूली बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के सरकारी निर्देश के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारीयों ने रेमेडियल क्लासों के नाम पर कई ब्लॉक के कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी स्कूल खुलवा दिए हैं। इन स्कूलों को खोलने के निर्देश बाकायदा ब्लॉक लेवल पर बने स्कूलों के व्हाट्सएप ग्रुप में एक जॉइंट मजिस्ट्रेट, खंड शिक्षा अधिकारी, उप बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दिए। इसमें स्कूल खुलने के बाद बच्चों को कक्षा में पास-पास बैठा दिया गया।



स्कूलों के खुलने की बात जब सोशल मीडिया पर फैली, तो अलीगढ़ के बीएसए अंत तक मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करते रहे। पहले तो उन्होंने बीएसए के मीडिया ग्रुप में लिख डाला की बेसिक के स्कूल खुलने की न्यूज गलत है।  फिर उन्होंने अख़बारों में छपी खबर का एक विज्ञप्ति के माध्यम से खंडन किया। जब कैमरे पर मीडिया ने उनसे पूछा तो उन्होंने गलतफहमी में स्कूल खुलने की बात कुबूल की, लेकिन हैरानी की बात है कि इतने बड़े मामले में कार्रवाई किसी पर नहीं की गई।



देश में कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर लॉकडाउन लागू है। ऐसे में शासनादेश के अनुसार, सभी शिक्षण संस्थान बंद रखने हैं। मगर अलीगढ़ में एक जॉइंट मजिस्ट्रेट पी बोरा (आईएएस), खंड शिक्षा अधिकारीयों व उप बेसिक शिक्षा अधिकारीयों ने परसों (7 मई) ब्लॉक स्तर पर बने मिशन प्रेरणा के व्हाट्सएप ग्रुप पर स्कूल खोलने के लिए संदेश प्रसारित किया। इसमें रेमेडियल कक्षा चलाने के लिए स्कूल खोलने को कहा। इसके लिए बाकायदा लिस्ट भी जारी की गई कि किस स्कूल में कौन शिक्षण कार्य कराएगा। संदेश में यह भी लिखा कि छात्र-छात्राओं को मास्क पहनाकर एक-दूसरे से दूरी बनाकर बैठाया जाए। एक अध्यापक, शिक्षा मित्र शिक्षण कार्य कराएंगे।



इस पर अलीगढ़ के जवा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर के बेसिक स्कूल में कक्षाएं चली। इसी तरह से अन्य स्कूलों में भी कक्षाएं संचालित हुईं। इसके फोटो सोशल मीडिया पर आने के बाद परसों बीएसए ने खबर को गलत बताया।  फिर आज जब स्थानीय अख़बारों में खबर छपी तो इस पूरे मामले पर पहले तो अलीगढ़ के बीएसए लक्ष्मी कांत पांडे ने खंडन आदेश जारी कर दिया और फिर जब मीडिया ने उनसे बात की तो उन्होंने माना कि गलतफहमी में यह स्कूल खुलने की बात टीचरों तक पहुंची।





मीडिया के सवालों का भी बेसिक शिक्षा अधिकारी लक्ष्मी कांत पांडे गोलमोल जवाब देते हुए नजर आए और बताया कि कुछ अध्यापकों को कंफ्यूजन हो गया था। बहुत सारे बच्चे जो ऑनलाइन या किसी भी तरह के शिक्षा से वंचित हैं। उसमें यह था कि जहां पर कोई टीचर या शिक्षामित्र गांव में रह रहा है, तो वह बच्चों को खुद जाकर के उनके घर पर बता सकता है। लेकिन कुछ टीचरों को कन्फ्यूजन हुआ और उन्होंने जाकर के दो-तीन स्कूल खोल दिए थे। स्पष्ट आदेश जारी करके और खंड शिक्षा अधिकारियों को भी कह दिया गया है कि किसी भी तरह का स्कूल नहीं खोला जाएगा।  यह खंड शिक्षा अधिकारियों ने कन्फ्यूजन में निर्देशित कर दिया था।  या अपने मन से स्कूल परिसर का यूज कर लिया। जो गलत है इसको तत्काल सब को निर्देशित कर दिया गया है कि स्कूल नहीं खोला जाएगा।



यानी बीएसए खुद मान रहे हैं कि उनके खंड शिक्षा अधिकारियों के द्वारा गलती की गई। इतनी बड़ी गलती पर पहले तो बीएसए पर्दा डालने में लगे रहे, लेकिन बाद में उन्होंने खुद माना कि हां गलती हुई है।  क्या ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।



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