बॉलीवुड का 'सिंघम' अब 'मैदान' में दिखाएगा दम, शुरू हुई इस बायॉपिक की शूटिंग
बॉलीवुड के 'सिंघम' अजय देवगन ने अपनी अपकमिंग स्पोर्ट्स बायॉपिक फिल्म 'मैदान' की शूटिंग शुरू कर दी है। इस फिल्म में फुटबॉल कोच रहे सैयद अब्दुल रहीम का रोल निभाते दिखेंगे।
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। बॉलीवुड में स्पोर्ट्स बायॉपिक बनाने का ट्रेंड पिछले कुछ समय से चल रहा है। जिसमें एमएस धोनी, अजहर, गोल्ड, मैरी कॉम, दंगल, जैसी कई स्पोर्ट्स बायॉपिक हिट भी रही हैं। अब बॉलीवुड के 'सिंघम' अजय देवगन भी फिल्म 'मैदान' के साथ स्पोर्ट्स बायॉपिक लेकर आ रहे हैं। इस फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो गई है। फिल्म फुटबाल के खेल पर बेस्ड हैं, जिसमें अजय फुटबॉल के कोच रहे सैयद अब्दुल रहीम का रोल निभाते दिखेंगे। कहा जा रहा है कि फिल्म अगले साल रिलीज होगी।
मैदान का पोस्टर हुआ आउट
फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले इसका पोस्टर जारी किया गया है। फिल्म के पोस्टर में लिखा है, 'The Golden Era Of Indian Football 1952-1962।' इस फिल्म में भारतीय फुटबॉल के उस दौर को दिखाया जाएगा, जिसे गोल्डन एरा (सुनहरा दौर) करते थे। बता दें कि रहीन के नेतृत्व में ही 1956 में भारतीय फुटबॉल टीम ओलिंपिक्स में सेमीफाइनल तक पहुंची थी।
#maidaankicksoff today! pic.twitter.com/hbkzd727rh
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) August 19, 2019
2020 में रिलीज होगी फिल्म
फिल्म में अजय के साथ कीर्ति सुरेश नजर आएंगी। फिल्म को बोनी कपूर, आकाश चावला और अरुणावा जॉय सेनगुप्ता प्रोड्यूस कर रहे हैं, जबकि 'बधाई हो' फेम डायरेक्टर अमित रविंद्रनाथ शर्मा इसे डायरेक्ट कर रहे हैं। 2020 में मैदान रिलीज होगी।
कौन थे सैयद अब्दुल रहीम
- 1909 में हैदराबाद में जन्में सैयद अब्दुल रहीम को 1940 में हैदराबाद सिटी पुलिस टीम का कोच बनाया गया था।
- 1950 में उन्हें भारतीय फुटबॉल टीम का हेड कोच बनाया गया।
- 1951 में उनके नेतृत्व में भारतीय फुटबॉल टीम को एशियन गेम्स में गोल्ड मिला।
- ये भारतीय फुटबॉल का वो दौर था, जब खिलाड़ी नंगे पैर खेला करते थे।
- 1952 में हेलिंस्की ओलंपिक्स में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था।
- 1956 में मेलबर्न ओलंपिक्स में भारतीय टीम ने अपने प्रदर्शन से दुनिया को चौंकाया और क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मात देते हुए सेमीफाइनल्स में जगह बनाई। हालांकि सेमीफाइनल में युगोस्लाविया से हार का सामना करना पड़ा।
- छह साल बाद टीम जकार्ता एशियन गेम्स तक पहुंची, ये उनके करियर का आखिरी टूर्नामेंट साबित हुआ, क्योंकि वो उस वक्त कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। साल 1963 में उनकी मौत हो गई।
- 1950 से 1960 का दौर भारतीय फुटबॉल का सफल दौर कहा जाता है।
- सैयद अब्दुल रहीम को मॉर्डन इंडियन फुटबॉल का आर्किटेक्ट भी कहते हैं।