आखिर क्यों इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस के साथ काम करने के बाद भी रामानंद सागर की Ramayan के 'मेघनाद' को नहीं मिल पाई फिल्मों में कामयाबी
विजय अरोड़ा अपने दौर के एक टैलेंटिड, यंग और हैंडसम एक्टर थे। उनके अभिनय की हर तरफ तारीफ भी होती थी। विजय में एक सुपरस्टार बनने के सारे गुण मौजूद थे
बॉलीवुड की दुनिया में सफलता हासिल करने के लिए टैलेंट के साथ-साथ किस्मत की भी जरूरत होती है। अब तक फिल्म इंडस्ट्री में हजारों लोग अपनी किस्मत आज़मा चुके हैं लेकिन सफलता कुछ ही को मिली। कड़ी मेहनत के बावजूद लोग अक्सर यहां अपनी किस्मत से मात खा जाते हैं। आज की इस खास स्टोरी में हम आपको ऐसे ही एक एक्टर के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने करियर में बड़े कलाकारों और बड़े निर्माता-निर्देशकों के साथ काम किया लेकिन वो नाम और शोहरत उन्हें नहीं मिल सका जिसके वो हकदार थे। हम यहां बात कर रहे हैं एक्टर विजय अरोड़ा की जिन्होंने रामानंद सागर की रामायण में मेघनाद की भूमिका निभाई थी और खूब वाहवाही लूटी थी।
विजय अरोड़ा अपने दौर के एक टैलेंटिड, यंग और हैंडसम एक्टर थे। उनके अभिनय की हर तरफ तारीफ भी होती थी। विजय में एक सुपरस्टार बनने के सारे गुण मौजूद थे, लेकिन कहते हैं ना कि किस्मत से ज्यादा कहां किसी को कुछ मिलता है, इसीलिए सब कुछ होने के बाद भी वो फिल्म इंडस्ट्री के टॉप एक्टर की लिस्ट में अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सके। गुजरात के रहने वाले विजय अरोड़ा ने पुणे से एक्टिंग में डिप्लोमा किया, जिसके बाद एक हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे गए। मुंबई पहुंचकर विजय भी स्ट्रगल में लग गए और फिर साल 1972 में विजय का स्ट्रगल खत्म हुआ और बीआर इशारा की फिल्म में काम करने का मौका मिला, बीआर इशारा ने अपनी फिल्म 'जरूरत' के लिए कास्ट कर लिया, जिसमें वो जरीना वहाब के साथ लीड रोल में नजर आए, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास चल नहीं पाई। फिर साल 1973 में विजय को नासिर हुसैन की फिल्म 'यादों की बारात' मिली जिसमे वो जीनत अमान के साथ रोमांस करते दिखे। इस फिल्म से वो लोगों की नजरों में आ गए साथ ही उनके काम की तारीफ भी हुई।
जिसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की तमाम हसीनाओं के साथ नाटक में काम किया जिनमे परवीन बॉबी, मौसमी चटर्जी, जया भादुड़ी, वहीदा रहमान, शबाना आजमी जैसी अदाकारा शामिल थीं लेकिन फिर भी विजय अरोड़ा को बॉलीवुड में वो पहचान नहीं मिल सकी जो उन्हें मिलनी चाहिए थी।जब विजय को अच्छे किरदार नहीं मिले तो उनके फिल्मी करियर ने धीरे-धीरे दम तोड़ दिया। लेकिन जिंदगी गुजारने के लिए उन्हें कुछ तो करना ही था तो उन्होंने लीड हीरो की जगह कैरेक्टर रोल प्ले करने शुरू कर दिए।
फिर जब रामानंद सागर अपनी रामायण बना रहे थे तो उन्होंने विजय को मेघनाथ का रोल ऑफर किया और विजय ने भी अपनी शानदार एक्टिंग से इस किरदार को हमेशा के लिए अमर बना दिया। साल 2007 में विजय अरोड़ा का देहांत हो गया, उस वक्त उनकी उम्र 62 साल की थी।