बॉलीवुड (Bollywood) फिल्मों में अपनी खूबसूरत मुस्कुराहट से करोड़ों दिलों को धड़काने वाली मोहब्बत की देवी मधुबाला ने हर किरदार में दर्शकों का दिल जीता। लेकिन बेहतरीन एकट्रेस होने के बावजूद उन्हें भी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था। कई सुपरहिट फिल्में देकर दर्शकों का मनोरंजन करने वाली मधुबाला की लाइफ में एक दौर वो भी था जब वो बाल कलाकार के रूप में बेबी मुमताज नाम से काम किया करती थीं। तो आज की इस स्पेशल स्टोरी में हम आपको मधुबाला से जुड़ा एक अनोखा किस्सा शेयर करने जा रहे हैं।
ये बात है साल 1940 की उस दौर में डायरेक्टर केदार शर्मा का बड़ा नाम था। एक बड़े फिल्म प्रड्यूसर चंदू लाल शाह ने एक फिल्म बनाने के लिए केदार शर्मा को 75 हजार रुपये एडवांस दिए थे और जानते हैं वो फिल्म कौनसी थी, उस फिल्म का नाम था नीलकमल जो साल 1947 में आई थी। फिल्म के डायरेक्टर केदार शर्मा ने इस फिल्म के लिए बेगम पारा और कमला चटर्जी को लीड रोल के लिए साइन भी कर लिया था। इस दौरान उनके और कमला चटर्जी के बीच नजदीकियों की खबरें खूब उड़ रही थी। इतना ही नहीं दोनों ने गुपचुप शादी भी कर ली थी। शादी के बाद कमला की तबियत खराब रहने लगी जिसकी वजह से उन्होंने ऐक्टिंग छोड़ दी।
अब केदार शर्मा को फिल्म के लिए नई हीरोइन की तलाश थी तो कमला ने बेबी मुमताज यानि मधुबाला का नाम सुझाया, उस वक्त मधुबाला सिर्फ 14 साल की थीं। फिल्म के मुहूर्त वाले दिने कमला चटर्जी की मृत्यु हो गई। लेकिन मरने से पहले कमला ने केदार से वचन लिया कि वो फिल्म नीलकमल में मेरी जगह बेबी मुमताज को हीरोइन लेंगे। उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री में मुमताज शांति नाम की एक मशहूर एक्ट्रेस हुआ करती थी। प्रड्यूसर को लगा कि फिल्म में मुमताज शांति काम करने वाली हैं। लेकिन जब उन्हें पता लगा कि बेबी मुमताज की बात हो रही है तो वो भड़क गए। क्योंकि बेबी मुमताज कभी उन्हीं की कंपनी में 300 रुपये महीने पर बतौर बाल कलाकार का काम किया करती थीं। इसपर उन्होंने केदार शर्मा से कहा कि- तुम्हारा दिमाग खराब है क्या। एक बच्ची को इस फिल्म की हीरोइन बनाना चाहते हो। फिर हीरो भी नया ले रहे हो।
आपको बता दें कि नीलकमल राज कपूर की भी बतौर हीरो पहली फिल्म थी। हालांकि केदार शर्मा के लाख समझाने पर भी शाह नहीं माने और उन्होंने अपने 75 हजार रुपये वापस मांग लिए। केदार शर्मा के पास उतने पैसे नहीं थे तो उन्होंने अपने घर की कीमती चीजें और गहने गिरवी रख कर चंदू लाल शाह के पैसे वापस किये और एक प्लॉट बेचकर खुद फिल्म को प्रोड्यूस करने की ठानी ताकि वो आखिरी वक्त में कमला चटर्जी को दिए अपने वचन को पूरा कर सकें। फिर फिल्म बनी और इसके कलाकारों की हर तरफ तारीफ हुई। इतना ही नहीं इस फिल्म को देखने के बाद खुद चंदू लाल शाह भी मधुबाला के फैन बन गए। जिसके बाद उन्हें अपने पैसे वापस मांगने पर इतना अफसोस हुआ कि 3 साल बाद साल 1950 में उन्होंने मधुबाला और देव आनंद को लेकर मधुबाला नाम से ही एक फिल्म बना डाली। हालांकि फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई।