चकाचौंध भरी फिल्मी दुनिया में काम करने वाले कलाकारों की जिंदगी के पन्ने भी ब्लैक एंड व्हाइट होते हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी अदाकारा की जिनकी मौत रहस्य बनकर रह गई। परवीन बॉबी फिल्मी दुनिया को वो नाम है जिन्हें लेकर मिस्ट्री या फिर रहस्य की बातें आज भी होती हैं।




परवीन का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। परवीन अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। उनकी शिक्षा माउंट कार्मेल हाई स्कूल, अहमदाबाद से हुई और बाद में उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, अहमदाबाद से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की। दस साल की उम्र में ही परवीन के सिर से पिता का साया उठ गया था।



परवीन बॉबी की जिंदगी का कारवां आगे बढ़ता गया। उनकी खूबसूरती के दीवनों की कोई कमी न थी। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उनको टीवी ADs मिलने शुरू हो गए थे। परवीन ने अपने करियर की शुरुआत बतौर मॉडल की थी। मॉडलिंग के साथ साथ परवीन बॉबी अहमदाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी कर रही थीं। उसके बाद वो मुंबई में आ गईं। इसी दौरान उनपर निर्माता निर्देशक बीआर इशारा की नजर पड़ी। जब बीआर इशारा ने उन्‍हें देखा तो उस वक्त उन्होंने मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी। उस समय उनके हाथ में सिगरेट भी थी। इशारा उनके इस लुक से इतने ज्‍यादा प्रभावित हो गये कि उन्‍होंने अपनी फिल्म में उनको तुरंत ही साइन कर लिया। उस फिल्म का नाम था चरित्र।

1973 में शुरू किया फ‍िल्‍मी सफर 



परवीन ने बतौर अभिनेत्री 1973 से अपना फ‍िल्‍मी करियर शुरू किया। उनकी पहली फिल्म में परवीन के अपोजिट क्रिकेटर सलीम दुर्रानी थे। वो अलग बात थी कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हुई, लेकिन इसके बाद परवीन बॉबी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिल्म जगत में एंट्री लेने के बाद परवीन के वेस्टर्न लुक ने सबको उनका दीवाना बना दिया। इसके बाद उनकी फिल्म आई धुएं। यही वह वक्त था जब परवीन ने डैनी को अपना दिल दे दिया। लेकिन ये रिश्ता ज्यादा दिनों तक चल नहीं सका।

आगे बढ़ा फ‍िल्‍मी कॅरियर



परवीन बॉबी के कॅरियर में उस वक्त बड़ा मोड़ आया जब फिल्म 'मजबूर' में उन्हें अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला। ये सफर आगे बढ़ा और 1975 में फिल्म 'दीवार' में भी परवीन और अमिताभ साथ नजर आए। इस फिल्म से परवीन बॉबी ने दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया। इसके बाद 1977 में मनमोहन देसाई के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'अमर अकबर एंथोनी' में एक बार फिर परवीन ने अमिताभ के साथ काम किया। उनकी यह फिल्म भी सुपरहिट रही। इस बीच उन्‍होंने 'काला पत्थर' और 'सुहाग' जैसी सुपरहिट फिल्मों में शशि कपूर के साथ किरदार निभाया। 1981 में परवीन बॉबी ने 'कालिया', 'क्रांति' और 'आहिस्ता-आहिस्ता' जैसी सुपरहिट फिल्मों में एक्टिंग की इसके बाद फिल्म 'नमक हलाल' परवीन बॉबी के फ‍िल्‍मी कॅरियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई।

अमिताभ और परवीन की जोड़ी को मिली खासी सराहना  



अमिताभ बच्चन के साथ परवीन बॉबी ने करीब आठ फिल्मों में काम किया। दर्शकों ने उनकी जोड़ी को खूब पसंद किया। बताया जाता है कि बॉलीवुड में शुरुआती दिनों से ही परवीन बॉबी अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर खासी सुर्खियों में रहीं। उनके करीब तीन साल के कॅरिअर में उन्‍हें तीन आदमियों के साथ जोड़ा गया। बदकिस्मती से तीनों ही शादीशुदा थे। डैनी से हुए ब्रेकअप ने परवीन बॉबी को काफी दर्द पहुंचाया।

ऐसा क्या हुआ था जो परवीन बॉबी को सबकी नजरो से होना पड़ा ओझल



परवीन बॉबी अपने करियर को लेकर सातवें आसमान पर थीं। 80 के दशक के बाद उन्होंने द  बर्निंग ट्रेन, शान, क्रांति, कालिया, नमक हलाल, देश प्रेमी और अशांती जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी। काम का असर अब दिखने लगा था और कई फिल्में साइन करने के बाद परवीन बॉबी काफी परेशान रहने लगीं थीं। धीरे-धीरे उनकी तबीयत खराब होने लगी। वो अपना इलाज कराने के लिए बिना चुपचाप देश से बाहर चली गईं।

किस हालत में हुआ था परवीन बॉबी का कमबैक



1983 में जब अचानक से परवीन बॉबी सब कुछ छोड़कर चली जाती हैं। तो उनको लेकर अफवाहों का बाजार गर्म हो जाता है। कई फिल्मों वो काम नहीं कर पाती हैं, एक साल तक परवीन का कुछ पता नहीं चलता। 1989 में परवीन बॉबी नए रुप के साथ वापस लौटीं। परवीन बॉबी मानसिक हालत ठीक नहीं थी और वो किसी से बात नहीं करती थीं। बोल्ड अदाकार अब काफी डरी सहमी सी नजर आती थी।

 90 दशक के बाद क्या हुआ उनकी जिंदगी में



90 के दशक में परवीन के पास कोई फिल्म नहीं थी। काम नहीं था तो परेशानी भी बढड गई थी। पैसों की दिक्कत आने लगी। इसी वक्त उन्होंने ईसाई धर्म को अपना लिया। 22 जनवरी 2005 में जिस घर में वो रहती थीं उनके घर के पास रहने वाले लोगों को कई दिन से वो घर के बाहर नहीं दिखीं....दरवाजें के बाहर घर का कुछ समान भी पड़ा हुआ था।



एक आलीशान फ्लैट में रहने वाली परवीन बॉबी की मौत का पता तब चला जब उनके घर से भयंकर दुर्गंध आने लगी। जब घर का दरवाजा खोला गया तो अंदर का मंजर देखकर लोगों के होश उड़ गए। बिस्तर पर परवीन बॉबी की सड़ी हुई लाश पड़ी थी। तारीख थी 22 जनवरी 2005 और जगह थी जुहू मुंबई। कभी लोगों का अपनी अदाओं से मन मोह लेने वाली परवीन बेसुध और बेजान पड़ी थीं। खामोशी के साथ परवीन दुनिया को अलविदा कह गई थीं।

परवीन बाबी की वसीयत किस के नाम हुआ !



परवीन बिलकुल अकेली रह गईं थीं। आखिरी वक्त में जब परवीन को अपनी जायदाद का वारिस तलाश करना था तो उन्हें दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया। हर रिश्ते से चोट खा चुकी परवीन अपनी जायदाद का 80 फीसदी हिस्सा गरीबों के नाम कर गईं। इसका खुलासा परवीन की मौत के 11 साल बाद हुआ। 11 साल तक परवीन बॉबी की वसीयत की जांच चलती रही 14 अक्टूबर 2016 को इस बात की पुष्टि हो गई कि ये वसीयत सही है और परवीन ने ही अपनी दौलत गरीबों के नाम कर दी थी।