स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्तूबर 1955 में हुआ था। पिता शिवाजीराव गिरधर पाटील राजनीति में थे और मां विद्या ताई पाटिल एक समाज सेविका थीं। स्मिता का जन्म पूणे में हुआ था। पूणे शहर के रेणुका स्वरूप मेमोरियल स्कूल में स्मिता पाटिल ने पढ़ाई की और उस वक्त किसी को एहसास नहीं हुआ था कि ये लड़की आगे जा कर बहुत बड़ा नाम कमाने वाली है। स्मिता पाटिल ने शुरुआत करी टेलीविजन के सामने बतौर न्यूज रीडर। ऐसा कहा जाता है कि वे एक बड़ी दबंग पर्सनालिटी वाली महिला रही थी। अक्सर पेंट और शर्ट पहन कर ये न्यूज पढ़ने जाती थीं और ऊपर से साड़ी पहल लेती थीं। इससे पता चलता था एक मॉडर्न ख्याल वाली लड़की, थोड़ी सी शरारत भी करती है पर मर्यादा को भी मानती है।


स्मिता पाटिल के चहरे पर डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने गौर किया और उसके बाद अपनी फिल्म ''चरणदास चोर'' में पहला ब्रेक दिया। इस ब्रेक की पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। क्या आपको पता है कि स्मिता पाटिल को चरणदास चोर में काम करने के लिए एक बड़ा फैसला लेना पड़ा था।


ये भी एक महशहूर किस्सा है कि कैसे स्मिता पाटिल बतौर न्यूज रीडर टेलीविजन पर नज़र आने लगी थीं। हुआ यूं था कि इनकी दिसचस्पी खेल में थी और उसी दौरान इनकी तबीयत बहुत खराब हो गई, इतनी खराब हुई कि इन्हें तमाम खेल छोडने पड़े और फिर ये डिप्रेशन में चली गईं। ऐसे में इनकी बहन ने हाथ थामा और इन्हें टेलीविजन स्टूडियो का दरवाजा दिखाया। नए लोग नया मीडियम देख कर इनका मन जरा खुश हुआ और ये डिप्रेशन से बाहर आईं।


श्याम बेनेगल के साथ इन्होंने फिल्म ''भूमिका'' में काम किया, जिसमें इन्होंने अभिनेत्री का ही किरदार निभाया था। इस फिल्म के लिए इनकी बहुत प्रशंसा हुई। साल 1977 और 1978 तक स्मिता पाटिल ने सिर्फ आर्ट सिनेमा तक ही रूख किया हुआ था। पर धीरे-धीरे इन्हें कामर्शियल सिनेमा का हाथ भी थामना पड़ा, उसकी वजह साफ थी कि वो कलाकार जो कमर्शियल सिनेमा में नाम कमा चुके थे उनके साथ आर्ट सिनेमा के डायरेक्टर भी काम करना चाहते थे। ऐसे में स्मिता पाटिल ने अपना मन बनाया और कमर्शियल सिनेमा में कूद पड़ीं। हालांकि ये फैसला बहुत कठिन था।


फिल्म ''नमक हलाल'' का एक किस्सा आपको बताते हैं, स्मिता पाटिल ने जब गाना ''आज रपट जाए तो हमें ना उठइयों'' साथ में थे अमिताभ बच्चन। तब ये फूट फूट के रोयी, वजह ये नहीं थी कि अमिताभ बच्चन के साथ काम कर रही थीं, वजह ये भी नहीं थीं की ये कमर्शियल फिल्म थी, वजह ये थी कि पहली बार इन्होंने साड़ी पहन कर बारिश में भीगते हुए नाच गाना किया था। जो स्मिता पाटिल को गवारा नहीं था और शूटिंग के बाद ये बहुत रोई। तब अमिताभ बच्चन ने इन्हें समझाया था और इनकी हिम्मत बढ़ाई थी।


उसके बाद ये दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन के साथ नजर आई थीं और उस फिल्म का नाम था ''शक्ति'' जिसमें इनके अभिनय की खूब तारीफ हुई। धीरे-धीरे स्मिता पाटिल ने आर्ट सिनेमा और कमर्शियल सिनेमा के बीच का बैलेंस हासिल कर लिया था। एक तरफ फिल्में थी मंडी, चक्र और दूसरी तरफ थी शक्ति, नमक हलाल और ऐसे में ये नजर आई महेश भट्ट की फिल्म ''अर्थ'' में जिसमें इनके सामने थी शबाना आज़मी। इस फिल्म में एक कड़ी टक्कर हुई थी शबाना और स्मिता के बीच में पर अंत में जीत फिल्म की हुई। इस फिल्म को भी बहुत पसंद किया गया था। जैसे की फिल्म अर्थ में स्मिता का किरदार था कि वो शादीशुदा मर्द के साथ प्यार करने लगती हैं और उसी के साथ घर बसाने की इच्छा रखती हैं कुछ वैसा ही इनके निजी जीवन में हुआ।


इनकी जिंदगी में आए एक्टर राज ब्बर जिसकी शादी नादिरा ब्बर से हो चुकी थी और इनका एक पूरा परिवार था। पर स्मिता पाटिल के साथ ये इन्वॉल्व हुए और इन दोनों ने अपने रिश्ते को शादी के अंजाम तक पहुंचाया। ये वो वक्त था जब स्मिता पाटिल को क्रिटिसाइज किया जा रहा था कि इसने तो राज बब्बर का घर तोड़ दिया। स्मिता पाटिल के घर वाले इस शादी से बिल्कुल खुश नहीं थे। ये एक संपूर्ण अभिनेत्री की तरह सिल्वर स्क्रीन पर छा गई थी और तब इनकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया जिसने ज़रा खुशी तो दी पर इनके परिवार के लिए जिंदगी भर का गम राजब्बर से शादी के बाद स्मिता पाटिल ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम रखा प्रतीक जिसका जन्म 28 नवंबर 1986 में हुआ। स्मिता उस वक्त 31 साल की थी और बच्चे को जन्म देने के बाद उनकी तबियत ठीक नहीं रही और 13 दिसंबर 1986 में स्मिता पाटिल इस दूनिया को छोड कर चली गईं। स्मिता पाटिल एक ऐसी अभिनेत्री थीं जिसने नए एक्टर्स और सुपरस्टार्स जैसे कि राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन का भी खूब साथ निभाया। भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्मिता पाटिल का नाम हमेशा गर्व से लिया जाएगा।