सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आईफा अवार्ड समारोह की आयेाजन समिति के सदस्यों की मुख्यमंत्री कमल नाथ के साथ सोमवार को बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि इस आयेाजन को जो भी देखने आएगा, उसे टिकट लेना होगा, पास की व्यवस्था नहीं होगी। मुख्मयंत्री स्वयं इस आयोजन का टिकट पहले ही खरीद चुके हैं। राज्य सरकार की ओर से चार मंत्रियों बाला बच्चन, सुरेंद्र सिंह बघेल 'हनी', प्रियव्रत सिंह एवं जयर्वद्धन सिंह की समिति बनाई गई है। इस समिति से आयोजक संपर्क में रहकर व्यवस्थाएं संबंधी सहयोग प्राप्त कर सकेंगे।
कमल नाथ पहले कह चुके हैं कि वे इस आयोजन के जरिए राज्य को दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाना चाहते हैं। अब उन्होंने इस दिशा में कदमताल भी तेज कर दी है। मुख्यमंत्री ने आयेाजकों से कह दिया है कि वे अपने आयोजन के प्रचार के साथ राज्य की धरोहर, पर्यटन स्थल, धार्मिक और एतिहासिक स्थलों के अलावा यहां की खूबियों को भी प्रचारित करें, ताकि जो भी व्यक्ति इस आयोजन में आए वह मध्यप्रदेश को बेहतर तरीके से जान सके। साथ ही प्रचार की विषय-वस्तु ऐसी हो जो लोगों को रुचिकर लगे। मुख्यमंत्री ने आयोजकों से राज्य द्वारा यह आयोजन की रुचि को स्पष्ट करते हुए कहा, "इस आयोजन को लेकर हमारा उद्देश्य सिर्फ यह है कि इसके माध्यम से मध्यप्रदेश की एक प्रोफाइल बने और देश-विदेश में इसकी पहचान हो। मगर राज्य में होने वाले इस आयोजन का भाजपा विरोध कर रही है।"
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है कि जहां एक ओर किसान कर्जमाफी के इंतजाम में खुदकुशी कर रहे हैं, दलित-आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं, बेरोजगार हताश-निराश हैं, गरीबों की योजनाएं बंद हो रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर सरकार आईफा के आयोजन के जरिए वाहवाही लूटने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस के नेतृत्ववाली सरकार पर निशाना साधते हुए भार्गव ने कहा कि एक तरफ सरकार खजाना खाली होने की बात करती है और दूसरी तरफ आईफा के आयोजन पर 58 करोड़ खर्च करने जा रही है। वास्तव में यह आयोजन सरकार के निकम्मेपन, नाकारापन और वादाखिलाफी का जश्न है।