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कलाकार और किस्से: फिल्मों में काम नहीं करना चाहती थी रेखा, ऐसे पहुंचीं मायानगरी
रेखा का फिल्मी दुनिया का सफर काफी उतार चढाव वाला रहा। रेखा ने अपने करियर में लगभग 180 फिल्में की, जिनमें से कुछ फिल्में सफल हुई और कुछ असफल रही। रेखा ने अपने फिल्मी करियर में हर तरह के किरदार किए।
बॉलीवुड की वर्सेटाइल अभिनेत्री। रेखा आज भी उतनी ही जवान और खूबसूरत लगती है। जितनी की वो अपने जवानी के दिनों में दिखती थीं। बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री। कही जाने वाली रेखा ढलती उम्र के साथ और भी ज्यादा निखरती जा रही हैं।रेखा अपनी जिंदगी। वाकइ बेफिक्र और जिंदादिली के अंजाद में जिती आ रही है। रेखा का जन्म चेन्नई में 10 अक्टूबर 1954 को हुआ था। रेखा का पूरा नाम भानु रेखा गणेसन था। रेखा को हिंदी, तमिल और इंग्लिश तीनों भाषाओं का ज्ञान है। रेखा फिल्मों में काम करना नहीं चाहती थी और ना ही वो अपनी छोटी बेहन को फिल्मों में काम करने देना चाहती थी, लेकिन रेखा के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी नही थी इसलिए उनको फिल्मों में काम करना पडा।
फिल्मी दुनिया में रखा कदम
रेखा ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा और उन्होंने इसकी शुरुआत तलगू फिल्मों से की 13 साल की उम्र में रेखा को अपना घर चलाने के लिए फिल्मों में काम करना पड़ा। उनका कभी मन नहीं था फिल्मों में काम करने का और अपनी मां से हमेशा कहती रही मुझे फिल्मों में काम नहीं करना। जब उन्होने अपने अभिनय की शुरूआत की तो वो समय उनके जीवन का बहुत ही कठिन समय रहा। रेखा को उस समय हिंदी भाषा नहीं आती थी, जिसके कारण उनको शुरुआत में बहुत संघर्ष करना पड़ा साथ ही साथ रेखा को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।
1969 में उन्हें एक फिल्म का ऑफर आया फिल्म का नाम था अंजाना सफर तो जब ये फिल्म ऑफर आया तो रेखा जी को तो उन्होने अपनी मां से कहा मुझे फिल्म में काम नहीं करना। जैसे तैसे कर के उनकी मां ने इस फिल्म में काम करने के लिए मना लिया। जब इस फिल्म की शूटिंग करने के लिए रेखा राजी हुई तो वो थोड़ी मोटी हुआ करती थी। टीम के लोग उनको नाप तोल के खाना देते थे और साथ ही उनको काफी दिक्कतो का सामना करना पडा था वो हर दिन रोती थी वो सोचती थी क्यो वो आप बच्चो की तरह अपना बचपन नही बिता सकती। इस लिए रेखा ने अपनी छोटी बेहन को कभी भी फिल्मों में काम करने नहीं दिया।
दिलचस्प किस्सा
बात 1969 की है जब रेखा और बिस्वजीत कुलजीत पाल की फिल्म अंजाना सफर में काम कर रहे थे। रेखा बिल्कुल नई एक्ट्रेस थी और इस फिल्म के सिक्वेन्स में एक किसिंग सीन था। रेखा के अभिनय जीवन का पहला किसिंग सीन और उन्हे किस करने वाले थे दादा बिस्वजीत पहले रेखा इस किसिंग सीन के लिए राजी नहीं थी फिर उन्हे समझाया गया कि ये तो स्टोरी की डिमांड है ये तो आपको करना पडेगा। मजबूरन रेखा इस किसिंग सीन को करने के लिए राजी हो गई। जब वो दिन आया शूट का तो जब दादा बिस्वजीत किस करने के लिए आगे बडे तो रेखा को लग रहा था कि ना जाने वो क्या कर रही है और बार बार वो री टेक दे रही थी और इन सब की खबराहट के कारण वो बेहोश हो गई। सेट पर शूट पर किसी का बेहोश हो जाना ये पहला किस्सा था। किसिंग सीन के कारण ये फिल्म इतनी चर्चा में आ गई की जब सेंसर बोर्ड में गई तो सेंसर बोर्ड वालो ने ये कह दिया था की ये किसिंग सीन हटाओ फिर उसके बाद इस फिल्म को 10 साल के बाद दूसरे नाम से रिलीज किया गया और वो नाम था दो शिकारी।
फिल्मी करियर
रेखा का फिल्मी दुनिया का सफर काफी उतार चढाव वाला रहा। रेखा ने अपने करियर में लगभग 180 फिल्में की, जिनमें से कुछ फिल्में सफल हुई और कुछ असफल रही। रेखा ने अपने फिल्मी करियर में हर तरह के किरदार किए। फिर चाहे वह मुख्य किरदार हो या सहायक किरदार सभी किरदारों में उन्हें बहुत सराहा गया। अपने करियर के दौरान उन्होंने कई दमदार रोल किए और कई मजबूत फीमेल किरदार को पर्दे पर बेहतरीन तरीके से पेश किया। उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का और एक बार सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का जिसमें खूबसूरत, खून भरी मांग और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फिल्में शामिल हैं। उमराव जान के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है। 2010 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया। रेखा बाल कलाकार के तौर पर तेलगु फिल्म रंगुला रतलाम में दिखाई दीं जिसमें उनका नाम बेबी भानुरेखा बताया गया।
1990 में दिल्ली के कारोबारी मुकेश अग्रवाल से शादी कर ली। अफवाह यह भी उड़ी कि उन्होंने 1973 में अभिनेता विनोद मेहरा से शादी की लेकिन 2004 में सिमी ग्रेवाल के टीवी इंटरव्यू में मुकेश के साथ उनकी शादी का खंडन किया और उन्हें अपना वेलविशर बताया। वे अभी मुंबई के बांद्रा इलाके में रहती हैं।
रेखा के जीवन को अगर हम देखे तो बचपर तकलीफो भरा रहा। पिता के प्यार से वंचित एक बेटी अपने मन को मार कर फिल्मों में काम करना पड़ा बहुत कुछ सेहना पडा। जीवन में संघर्षो ने और मुसिबतो ने हमेशा घेरे रखा। घर बसाने की कोशिश की बस नहीं पाया और जिस से प्यार किया वो मिल नही पाया।
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संजीव श्रीवास्तव, फॉरेन एक्सपर्ट
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