बॉलीवुड (Bollywood) एक्ट्रेस नरगिस (Nargis) भले ही आज हमारे बीच मौजूद ना हों लेकिन वो अपनी बेमिसाल एक्टिंग की वजह से आज भी करोड़ों दिलों में जिंदा हैं। बहुत ही कम लोगों को पता है कि नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था। उनकी मां इंडियन सिनेमा की जानी-मानी सिंगर थीं। बचपन में अपनी मां के साथ उन्होंने कुछ फिल्मों में नरगिस के नाम से कई किरदार निभाए जिस वजह से उनका नाम नरगिस पड़ गया। नरगिस कभी भी एक फिल्म स्टार नहीं बनना चाहती थीं। उनका सपना था कि वो एक डॉक्टर बन कर लोगों की सेवा करें। लेकिन मां की खुशी के लिए उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। महज 6 साल की छोटी सी उम्र से नरगिस ने बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लीड एक्ट्रेस के तौर पर नरगिस ने 1942 में महबूब खान के निर्देशन में बनी फिल्म तकदीर से करियर की शुरुआत की।
हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर (Raj Kapoor) के साथ नरगिस की जोड़ी रील और रीयल लाइफ दोनों में ही काफी हिट रही। नरगिस और राज कपूर का रिश्ता 9 साल तक चला। लेकिन जब शादी का वक्त आया तो राज कपूर ने अपनी पत्नी को तलाक देने से इंकार कर दिया और उसी दिन से नरगिस ने राज कपूर के साथ अपना रिश्ता खत्म कर लिया। राज कपूर से ब्रेकअप के बाद नरगिस की लाइफ में सुनील दत्त (Sunil Dutt) की एंट्री हुई। दोनों की पहली मुलाकात एक रेडियो शो में हुई जहां सुनील दत्त बतौर रेडियो जॉकी काम कर रहे थे। मदर इंडिया के सेट पर आग लगी और नरगिस उसमें फंस गई तब सुनील दत्त ने उन्हें अपनी जान पर खेलकर बचाया था। इस हादसे के बाद दोनों में दोस्ती हुई जो प्यार में बदल गई। 11 मार्च 1958 को सुनील दत्त और नरगिस ने शादी कर ली। शादी के बाद नरगिस ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया।
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महबूब खान के निर्देशन में बनी फिल्म मदर इंडिया हिंदी सिनेमा की सबसे क्रांतिकारी फिल्म साबित हुई। फिल्म मदर इंडिया ने कमाई के मामले में भी कई रिकॉर्ड बनाए। इतना ही नहीं मदर इंडिया पहली इंडियन फिल्म थी जिसे ऑस्कर में बेस्ट विदेशी भाषा की कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया। इतना ही नहीं इस फिल्म की 23 अक्टूबर 1957 में राष्ट्रपति भवन में एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई जिसमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस फिल्म को देखा था।
साल 1958 में भारत सरकार द्वारा नरगिस को देश का चौथा सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री दिया। इतना ही नही नरगिस के सम्मान में साल 1993 दिसंबर में भारतीय डाक द्वारा नरगिस की तस्वीर वाला एक रुपये का डाक टिकट भी जारी किया गया था।
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शादी के बाद नरगिस ने सुनील दत्त की मदद से अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप (Ajanta Arts Cultural Troupe) की शुरुआत की। जो देश की अलग अलग सीमाओं में जाकर सिपाहियों का मनोरंजन करता था। इतना ही नहीं नरगिस भारतीय मंदबुद्धि और अपाहिज समाज की पहली संरक्षक बनी। नरगिस को समाज में उनके योगदान के लिए साल 1980 में राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया। लेकिन बीमारी की वजह से वो कार्यकाल पूरा नहीं कर पाईं और 1981 में उनका निधन हो गया।