बॉलीवुड (Bollywood)  के इतिहास में बहुत से ऐसे डायरेक्टर रहे हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमा में कई बेहतरीन फिल्में देकर अपना नाम अमर कर दिया। ऐसे ही एक मशहूर निर्माता रहे जिन्होंने साल 1926-2002 तक बहुत सी बेहतरीन फिल्में दी। उनका नाम था नासिर हुसैन (Nasir Hussain). उनकी फिल्मों में काम करके ही देव आनंद (Dev anand) और शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) जैसे सितारों को फिल्मों में सफलता मिली। वहीं सत्तर के दशक में नासिर साहब ने सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के साथ भी एक फिल्म बनाई जिसका नाम है 'बहारों के सपने'  (1967)। आज की इस स्पेशल स्टोरी में हम आपको इसी फिल्म से जुड़ा एक मजेदार किस्सा बताने वाले है।



साल 1967 में फिल्म बनी 'बहारों के सपने', हालांकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखाया लेकिन बावजूद इसके ये फिल्म नासिर हुसैन के दिल के बेहद करीब थी जिसका कारण थाकि उन्होने इस फिल्म की कहानी लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हुए लिखी थी। इस फिल्म की कहानी के लिए नासिर हुसैन को अवार्ड भी मिला था तभी से उन्होंने ये सोच लिया था कि एक दिन वो इसकहानी पर फिल्म जरूर बनाएंगे और वो अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए मुंबई आए। लेकिन ये नासिर द्वारा निर्देशित पहली नहीं बल्कि पांचवी फिल्म दी। बहारों के सपने उनकी पिछली सभी फिल्मोंसे बिल्कुल अलग थी। ये फिल्म रंगीन फिल्मों के दौर में एक ब्लैक एंड वाइट फिल्म थी। इस फिल्म में लीड हीरोइन के किरदार के लिए नासिर नंदा को कास्ट करना चाहते थे लेकिन नंदा इस किरदार केलिए नहीं मानी। नंदा (Nanda) के इंकार के बाद इस फिल्म में आशा पारेश (Asha Parekh) को लिया गया। साथ ही इस फिल्म में राजेश खन्ना (Rajesh Khanna)  को हीरो लिया गया। तब राजेश खन्ना इंडस्ट्री में नए थे।



इससे पहले नासिर हुसैन की सभी फिल्मों में रोमांस दिखाया गया था। इस फिल्म से भी दर्शकों को यही उम्मीद थी। इसीलिए जब दर्शक इस फिल्म को देखने गए तो उन्हें काफी गुस्सा आया। दर्शकों के गुस्से का एक और कारण था कि इस फिल्म का एंड हैप्पी नहीं बल्कि काफी दुखत था। उस समय दर्शको को हैप्पी एंडिंग की आदत हो चुकी थी।लेकिन इस फिल्म के अंत में हीरो और हीरोइन दोनों ही मर जाते हैं।अपने दर्शकों के गुस्से से नासिर हुसैन भी काफी हैरान परेशान हो गए थे।



ऑडियंस के गुस्से की वजह से नासिर हुसैन ने दो दिन के बाद ही नया क्लाइमेक्स शूट किया। फिर इस फिल्म को दूसरे हफ्ते में नई और हैप्पी एंडिंग के साथ एक बार फिर से रिलीज किया गया। लेकिनफिल्म फिर भी चल नही पाई। जिसके बाद नासिर हुसैन ने ये सबक सीख लिया कि अब कभी भी अपनी फिल्म का दुखत अंत नहीं करेंगे। वहीं भले ही फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया था लेकिन इस फिल्मके गाने आजा पिया तोहे प्यार दूं और चुनरी संभाल गोरी दर्शकों के बेहद पसंद आए। इसी के साथ फिल्म बहारों के सपने ने ही फिल्म इंडस्ट्री को आरडी बर्मन जैसे बेहतरीन संगीतकार दिए। आपको बता देंकि अपने फिल्मी करियर में नासिर हुसैन ने 'तुमसा नहीं देखा', 'जब प्यार किसी से होता' है, 'फिर वही दिल लाया हूं', 'तीसरी मंजिल', 'यादों की बारात', 'हम किसी से कम नहीं' जैसी कई शानदार फिल्में बनाई।