Bollywood के एक ऐसे गीतकार जिन्होंने लगभग 4 दशकों तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। जिनके गीतों ने आज भी दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई हुई है उस कलाकार का नाम है आनंद बक्शी (Anand Bakshi)। उन्होंने अपने 45 सालों के लंबे फिल्मी करियर में 4 हजार से ज्यादा गाने लिखे। जिनमें से ज्यादातर सुपरहिट रहे। इसीलिए आज की इस स्पेशल स्टोरी के हीरो हैं आनंद बख्शी।
आनंद बक्शी का जन्म 1930 में पाकिस्तान (Pakistan) के शहर रावलपिंडी में हुआ था। उनके पिता रावलपिंडी के एक बैंक में मैनेजर थे। बहुत छोटी सी उम्र में आनंद टेलीफोन ऑपरेटर के तौर पर सेना में शामिल तो हो गए लेकिन फिल्मी दुनिया से वो खुद को ज्यादा दूर नहीं रख पाए। बंटवारे के बाद आनंद बक्शी का परिवार भारत आ गया। लेकिन बॉलीवुड में काम मिलना आसान नहीं था। उनकी कई कोशिशों के बाद जब फिल्मों में उन्हें काम नहीं मिला तो आनंद एक बार फिर सेना में भर्ती हो गए। आंनद ने 3 साल तक सेना की नौकरी करने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि वो बंदूक के लिए नहीं बल्कि कलम के लिए बने हैं और और फिर कहते हैं ना सच्चे दिल से कुछ चाहों तो भगवान भी आपकी मदद करता है।
आनंद को उन्हें साल 1957 में पहली बार गीत लिखने का मौका मिला लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। फिर साल 1963 में सुपरस्टार राज कपूर (Raj Kapoor) ने उन्हें अपनी फिल्म 'मेंहदीं लगे मेरे हाथ' में गीत लिखने का मौका दिया। जिसके बाद आनंद को लगातार सफलता मिलती रही। उनकी सफलता में 'आराधना', 'अमर प्रेम' और 'कटी पतंग' जैसी फिल्मों का नाम सबसे ऊपर आता है और इन्हीं फिल्मों के कांधे चढ़कर मशहूर कलाकार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बने।
आनंद बक्शी ने फिल्मकारों की कई पीढ़ियों के साथ काम किया। उनकी सबसे बड़ी खूबी ये थी कि समय के साथ फिर साल 1965 में एक फिल्म आई जिसने आनंद को एक गीतकार के रूप में असली पहचान दिलवाई और वो फिल्म थी 'जब जब फूल खिले' इस फिल्म के सारे गाने सुपरहिट रहे। भले ही वो आज हमारे बीच ना रहे हों लेकिन उनका नाम हमेशा उन गीतकारों में शुमार रहेगा जिन्होंने दशकों तक भारतीय सिनेमा को एक से बढ़कर एक गीत दिए हैं। आपको बता दें कि साल 2002 में 72 साल की उम्र में आनंद बक्शी का निधन हो गया था।
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