हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा भले ही आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी फिल्में हमेशा उन्हें दर्शकों के दिलों में जिंदा रखेंगी। यश चोपड़ा एक ऐसे प्रतिभाशाली डायरेक्टर थे जिन्होंने बॉलीवुड को कई सुपरस्टार दिए। य़श चोपड़ा ने बहुत संघर्ष के बाद इंडस्ट्री में वो मुकाम हासिल किया था जहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं होती। उनकी फिल्में हर पीढ़ी के लोगों के दिल के करीब हैं।
यश चोपड़ा के पिता कभी नहीं चाहते थे कि वो फिल्म लाइन में अपना करियर बनाए क्योंकि जब यश 19 साल के थे तब उनके बड़े भाई बी आर चोपड़ा डायरेक्टर थे, उनका एक भाई कैमरामैन था, एक भाई डिस्ट्रीब्यूटर था, इसीलिए उनके पिता चाहते थे कि घर में कोई तो ऐसा हो जो अलग लाइन पकड़े। फिर क्या था पिता ने यश को जालंधर से मुंबई भेजा ताकि वो अपना पासपोर्ट बनवाएं और इंग्लैंड जाकर इंजीनियर बनकर वापस आएं। यश मुंबई पहुंच गए मगर उन्हें इंजीनियरिंग बनने में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी, एक बार उन्होंने कहा भी था कि -'मैं तो एक कील भी दीवार में नहीं लगा सकता था और आज भी वही हाल है।' कुछ दिन के बाद उन्होंने अपने दिल की बात सुनने की ठान ली, क्योंकि जब दिल में डायरेक्टर बनने की चाह थी तो इंजीनियरिंग कैसे करते?
यश चोपड़ा अपने बड़े भाई बी आर चोपड़ा से काफी प्रभावित थे, साथ ही उन्हें फिल्मी दुनिया बहुत पसंद थी। यश भी अपने भाई की तरह ही डायेक्टर बनना चाहते थे। फिर एक दिन उन्होंने अपने बड़े भाई बीआर से हिम्मत कर कह ही दिया- 'भाईसाब, मुझे इंजीनियर नहीं बनना, आपकी तरह डायरेक्टर बनना चाहता हूं।' यश की बात सुनकर बीआर बोले-'तुम जानते भी हो कि कैसे बनते हैं डायरेक्टर?' ये सुनकर यश चोपड़ा ने कहा- ' हां इतना जानता हूं कि इसके लिए कोई सबजेक्ट नहीं, जिंदगी को पढ़ना पड़ता है, मैं आपको असिस्ट करुंगा।' छोटे भाई की ये बात सुनकर बीआर ने कहा- 'तुम मेरे असिस्टेंट मत बनो, मैं तुम्हारे लिए अपने किसी और दोस्तों से बात कर लेता हूं क्योंकि तुम मेरे भाई हो, मुझसे तुम नहीं सीख पाओगे।' मगर यश जी ने भी कह दिया कि 'मुझे तो आपका स्टाइल सीखना है।' भाई ने कहा कि आईएस जौहर फिल्म ‘नास्तिक' बनाने जा रहे हैं तुम पहले उन्हें असिस्ट कर लो।'
फिल्म की शूटिंग फिल्मिस्तान में चल रही थी, अगले दिन यश वहां चले गए, दोस्त का भाई होने की वजह से जौहर ने यश के खाने-वाने का अच्छे से ख्याल रखा और यश वहीं पूरे दिन शूटिंग देखते रहे। उस शाम फिल्म के सेट पर शशघर मुखर्जी और जो उस समय के काफी नामी प्रड्यूसर हुआ करते थे, उन्होंने डायरेक्टर आईएस जौहर से पूछा 'शूट कब खक्त होगा'? डायरेक्टर ने कहा- 'कल तक', तब मुखर्जी ने कहा, 'कल तक नहीं आज ही शूट खत्म करो।' जौहर ने कहा, 'ठीक है हो जाएगा'।
पैकअप के बाद यश अपने घर ना जाकर भाई के दो दोस्त थे, जीवन और मनमोहन कृष्ण उनके पास पहुंचे और बोले, 'ये तो काफी मुश्किल है, जो डायरेक्टर कल खत्म होने वाली शूटिंग को आज ही खत्म कर देगा, उससे मैं क्या सीख पाउंगा। तुम भाईसाहब से बात करो कि वो मुझे अपना असिस्टेंट बना लें या वो भी नहीं तो अपने साथ अपरेंटिस बना लें।' अगले दिन जब वो बीआर चोपड़ा से मिले तो उन्होंने यश को अपने साथ ही रख लिया औऱ ऐसे यश चोपड़ा ने अपने डायरेक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए पहीली सीढ़ी पर कदम रखा।