वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण यानि की गुरु दत्त। इनके पिता हेडमास्टर थे और बाद में बैंक में काम करने लगे और मां शुरुआती दौर में सिर्फ घर संभालती थी और बाद में टीचर बन गई। गुरु दत्त का बचपन कोलकाता में बीता। गुरु दत्त ने कोलकाता में पढ़ाई लिखाई की और यही वजह थी की उन्होंने अपने नाम के पीछे पादुकोण से दत्त कर लिया था, क्योकि दत्त बंगाली सर नेम है। गुरुदत्त बहुत अच्छे छात्र थे पर पैसों की कमी की वजह से उन्होने उदय शंकर का ग्रुप ज्वाइन किया। उस दौर में उदय शंकर बहुत मशहूर डांसर थे। ये ही वजह रही की गुरु दत्त ने फिल्मों में बतौर डांस डायरेक्टर से शुरुआत की थी।



आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कोलकाता में गुरु दत्त ने बतौर टेलिफोन ऑपरेटर काम किया था और फिर साल 1944 में मुंबई आ गए। उस ज़माने में मुंबई के नजदीकी शहर पुणे में ज्यादा फिल्में बनाई जाती थी। वहीं की प्रभात फिल्म कम्पनी में गुरु दत्त को नौकरी मिल गई। यहां पर गुरु दत्त बतौर डांस डायरेक्टर काम कर रहे थे और असिस्टेंट डायरेक्टर भी। एक्टिंग से गुरु दत्त का नाता अभी इतना गहरा नही था पर ये दौर काफी मुश्किलों भरा था। प्रभात फिल्म कम्पनी में गुरु दत्त का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हुआ और ये फिर बेरोज़गार हो गए। ये वक्त इतना कठिन था कि ऐसा माना जाता है की इसी दौर में गुरु दत्त ने अपनी आप बीती लिखी जिसका नाम रखा गया ‘कशमकश’ जो बाद में फिल्म ‘प्यासा’ के रुप में नजर आई।



ये वो वक्त भी था जब गुरु दत्त की जिंदगी में उनका पक्का दोस्त आया और ये दोस्त आगे जा कर बना लीजेंडरी देवानंद। इन दोनों ने एक दूसरे से बहुत ही अनोखा वादा किया था। अगर देवानंद प्रोड्यूसर बनेंगे तो वो ज़रुर गुरु दत्त को एक फिल्म डायरेक्ट करने के लिए देंगे और गुरु दत्त कभी डायरेक्टर बने तो ज़रुर देवानंद को अपनी फिल्मों में लेगे। जैसे ही देव साहब ने फिल्म ‘बाज़ी’ प्रोड्यूस की तो उसमें गुरु दत्त को बतौर डायरेक्टर लिया और जब गरु दत्त प्रोड्यूसर बने तब देवानंद को फिल्म तो ज़रुर दी पर उस फिल्म को डायरेक्ट नही कर पाएं। उस फिल्म के डायरेक्टर थे राज खोसला। तो इस तरह गुरु दत्त अपना वादा पूरा नही कर पाए और उस फिल्म का नाम है ‘सी.आई.डी’।



गुरु दत्त साहब की एक के बाद एक फिल्म हिट होती जा रही थी। चाहे वो आर-पार हो या मिस्टर एंड मिसेज़ 55 हो, सी.आई.डी या फिर प्यासा। साल 1957 तक गुरु दत्त ने अपना एक अलग मुकाम बना लिया था और फिल्म इंडस्ट्री में भी सबने ये मान लिया था कि ये एकदम अलग हुनर है और गुरु दत्त इस बात से बेखबर थे कि वो एक ऐसी फिल्म बनाने वाले हैं, जिसके बाद वो डायरेक्शन से संन्यास ले लेंगे और इस फिल्म का नाम था ‘कागज़ के फूल’।



ये किस्से बहुत मशहूर हैं कि, सबने गुरु दत्त को समझाया था कि फिल्म ‘कागज़ के फूल’ ना बनाए ये फिल्म नहीं चलेगी और तब गुरु दत्त ने कहा था कि मैं ये फिल्म अपने लिए बना रहा हूं और ऐसा ही हुआ ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। इस फिल्म की असफलता के बाद गुरु दत्त संभल नही पाए और फिल्मों से डायरेक्शन पूरी तरह से छोड़ दी। वो और बात अलग है की आगे जा कर ये फिल्म एक क्लासिक माने जाने लगी। ऐसा भी माना जाता है की ये फिल्म भी गुरु दत्त की जिंदगी पर ही बेस्ड थी। जहां पर एक डायरेक्टर एक नई हिरोइन की मोहब्बत में पड़ जाता है। कुछ लोग तो इसमें गुरु दत्त को निजी जीवन को भी ढूंढने की कोशिश करते है। क्योकि गुरु दत्त और वहीदा रहमान का रिशता भी बहुत मशहूर रहा। वहीदा रहमान को ब्रेक भी इन्होने ही दिया था और इन दोनों की प्रेम की खबरे सुर्खियों में भी रही।



फिल्म ‘कागज़ के फूल’ के साथ वक्त ने एक ऐसा सितम किया की गुरु दत्त ने डायरेक्शन छोड़ दी और बहुत जल्द फिल्म ‘चौदहवीं का चाँद’ बनाई गई। जो बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही। जिसके बाद गुरु दत्त ने कहा था, जिंदगी में दो ही चीज़े होती है या तो आप सफल होते है या फिर असफल। डायरेक्शन छोड़ने के बाद इन्होने फिल्म ‘साहिब बीबी और गुलाम’ बनाई। गुरु दत्त ने ना सिर्फ अच्छी फिल्में ही नही बनाई बल्कि बहुत अच्छा संगीत भी हमारे सामने रखा। फिल्म ‘प्यासा’ के लिए ये बात मशहूर है कि गुरु दत्त चाहते थे कि इसमें दिलीप कुमार, नरगिस और मधुबाला काम करें। फिर बहुत सोचने के बाद वो इस फैसले पर आए की दिलीप कुमार के सामने गुरु दत्त की नहीं चलेगी। इस लिए ये रोल खुद गुरु दत्त ने निभाया। मधुबाला और नरगिस दोनों ही गुलाबो का किरदार निभाना चाहती थीं, जिसके बाद उस किरदार को वहीदा रहमान ने निभाया और ये ही वजह रही कि फिल्म ‘प्यासा’ में दिलीप कुमार, मधुबाला और नरगिस बहार हुए। गुरु दत्त, माला सिन्हा और वहीदा रहमान ने इतिहास रच दिया।



अगर हम गुरु दत्त के निजी जीवन पर रुख करें तो हमें पता चलता है कि गुरु दत्त एक बहुत ही अच्छे कलाकार थे और उनकी लव मैरिज हुई थी। उस ज़माने की मशहूर सिंगर गीता दत्त के साथ और इनके तीन बच्चे हुए। तकरीबन हर फिल्म में गुरु दत्त गीता दत्त की अवाज़ का इस्तेमाल करते और गीता जी भी एक बहुत ही अनोखी अवाज़ की मलिका रही। उनका हर एक गाना सुपरहिट रहा। पर इन दोनों की शादी में तुफान आने लगा। गीता दत्त वहीदा रहमान और गुरु दत्त के बीच के संबंधो को लकेर बहुत परेशान थी और ये ही वजह रही की वो इस से अलग हो गई और इन सब परेशानीओं में गुरु दत्त ने शराब का सहारा लिया और शराब ने उनकी हालत बहुत खराब कर दी थी।



भारतीय सिनेमा में गुरु दत्त एक ऐसे डायरेक्टर जिन्होने वक्त से आगे की फिल्में बनाई। वो अपने ही वक्त में बहुत मायूस हुए और ऐसा माना जाता है की शराब और नींद की गोलीयों को ज्यादा लेने से उनकी मौत हो गई। जब गुरु दत्त ये दूनिया छोड़ कर चले गए बहुत ही तनाव भरी थी। ऐसा माना जाता है की गुरु दत्त इंतजार कर रहे थे की गीता दत्त उनसे मिलने जरुर आएगी और साथ में बच्चो को भी लाएगी पर गीता जी नहीं आई। गुरु दत्त की मौत ने फिल्म इंडस्ट्री को हिला दिया। उनके चाहने वालो ने इस बात पर विश्वास ही नही किया की इतना यंग डायरेक्ट कैसे इस दूनिया से जा सकता है। आज तक गुरु दत्त की जीवन का रहस्य लोगो के मन में अलग-अलग सवाल उठाता रहता है।