एंटरटेनमेंट डेस्क। बॉलीवुड के एक ऐसे कलाकार जिन्हें हम सुरों के बादशाह कहते है। हिंदी सिनेमा के जानेमाने बैक्ग्राउंड सिंगर जो सुरों के सौदागर है। जी हां हम बात कर रहे हैं नब्बे के दशक के सबसे मशहूर सिंगर कुमार सानू की। कलाकार और किस्से में कुमार सानू से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सो के बारे में जानेंगे।



नब्बे के दशक के सबसे मशहूर सिंगर केदारनाथ भट्टाचार्य उर्फ कुमार सानू ने फिल्मी दुनिया में उनके दो अनोखे रि‍कॉर्ड हैं। पहला तो ये की उन्होने लगातार पांच साल फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने किया और दूसरा ये की कुमार सानू ने एक ही दिन में 28 गाने रि‍कॉर्ड किए है।



इसके बाद कुमार सानू एक शो में गए और जब वो वहां पहुंचे तो स्टेज खाली जा रहा था। उस वक्त वहां पर 22,000 से ज्यादा लोग मौजूद थे। कुमार सानू को उस स्टेज पर गाना गाने के लिए भेज दिया और जब कुमार सानू स्टेज पर पहुंचे तो इतनी भीड को देखकर डर गए, लेकिन उन्होंने जो पहला गाना गया था वो था किशोर कुमार का गाना ‘वादा तेरा वादा’। उस गाने के लिए कुमार सानू को ख़ूब तालियां मिली। फिर क्या था, उस दिन से कुमार सानू का करियर ग्राफ ऊपर उठता चला गया।



कुमार सानू कोलकाता में अपनी अवाज में गाने रिकोर्ड करके कैसेट बना कर बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टर के पास जाते थे, लेकिन उनको वहां से निकाल दिया जाता था। फिर किस्मत ऐसी पलटी कि उन म्यूजिक डायरेक्टर ने ही उनको मुबंई में आकर गाने दिए और 8-8 दिन बैठ कर गाने रिर्कोड किए।



किशोर कुमार के फैंस की कोई कमी नहीं है पर किशोर कुमार के ऐसे फैन बहुत कम हैं जो किशोर कुमार के संगीत के रास्ते पर चलते हों। उन्हीं में से एक है कुमार सानू जो किशोर कुमार को अपना आर्दश मानते हैं और उन्हीं के रास्ते पर चलकर अपनी संगीत की कला को जारी रखे हुए है। आपको बता दें, कुमार सानू उनकी आवाज में ही कार्यक्रमों में गीत गाया करते थे।



वो अस्सी के दशक में प्लेबैक सिंगर बनने का सपना लेकर मुंबई आए थे। मुंबई आने के बाद कुमार सानू को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मुलाकात जाने माने गजल गायक और संगीतकार जगजीत सिंह से हुई जिनकी सिफारिश पर उन्हें फिल्म आंधियां में गाने का अवसर मिला।



कुमार सानू को गाने गाना का पहला मौका बांग्लादेशी फिल्म ‘तीन कन्या’ में मिला था। जो 1986 में रिलीज हुई थी।



क्या आपको पता है उनका नाम केदारनाथ भट्टाचार्य से कुमार सानू किसने रखा, तो चलिए आपको बताते है इसकी पीछे की कहानी। कुमार सानू की एक मुलाकात हुई संगीतकार कल्याणजी-आनंद जी से। कल्याण जी ने उनसे कहा कि तुम अपना नाम केदारनाथ भटृाचार्य से बदल कर कुमार सानू रख लो। फिर उसके बाद क्या था कुमार सानू को अमिताभ बच्चन की फिल्म जादूगर में गाना गाने का मौका मिल गया।



कुमार सानू की किस्मत का सितारा साल 1990 में आई फिल्म ‘आशिकी’ से चमका। बेहतरीन गीत-संगीत से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ अभिनेता राहुल राय, गीतकार समीर और संगीतकार नदीम-श्रवण को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया बल्कि कुमार सानू को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया।



कुमार सानू ने हिंदी सिनेमा में ऐसा स्थान बनाया है जहां उन्हें दूसरा किशोर कुमार कहा जाता है। नदीम श्रवण के संगीत निर्देशन में और कुमार सानू की आवाज में गाए हुए गाने, ‘सांसों की जरूरत हो जैसे’, ‘नजर के सामने जिगर के पार’, ‘अब तेरे बिन जी लेंगे हम’, ‘धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना’, ‘मैं दुनिया भूला दूंगा तेरी चाहत में’ आज भी दर्शको के बीच याद किए जाते हैं।



फिल्म आशिकी की सफलता के बाद कुमार सानू को कई अच्छी फिल्मों के ऑफर मिलने शुरू हो गये जिनमें ‘सड़क’, ‘साजन’, ‘दीवाना’, ‘बाजीगर’ जैसी बड़ी बजट की फिल्में शामिल थीं। इन फिल्मों की सफलता के बाद कुमार सानू ने सफलता की नई बुलंदियों को छुआ।



कुमार सानू ने करीब 350 से अधिक फिल्मों में गाने गाए है। फिल्म के गानों में कुमार सानू ने ऐसा जादू बिखेरा कि सब उनके दीवाने हो गए। उन्होने करीब 20,000 से ज्यादा गाना गाए है। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है।



चलो ये ते रही उनकी करियर की बात, अब मैं आपको बताती हूं उनकी लव स्टोरी की किस्से। ये बात तो किसी से नहीं छूपी है कि उनका अफैयर एक्ट्रैस मीनाक्षी शेषाद्रि से था। जी हां ऐसा कहा जाता है कि दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे।



इन दोनों की मुलाकात फ़िल्म ‘जुर्म’ के गाने ‘जब कोई बात बिगड़ जाये’ के सेट पर हुई थी और फिर क्या था उन्हें एक दूसरे से प्यार हो गया, लेकिन बात तब बिगड़ गयी जब कुमार सानू की पहली पत्नी से तलाक का मामला सामने आया था। फिर क्या था मिनाक्षी ने अपनी राहे अलग कर ली और अमेरिका के एक इन्वेस्टमेंट बैंकर से शादी कर ली।



ये किस्सा भी बड़ा ही दिलचस्प है, कुमार सानू का दम लगा के हईशा के नाम से कोलकाता साल्ट लेक में एक बहुत बड़ा रेस्टोरेंट है। एक फैन उनके रेस्टोरेंट में मिलने पहुच गया और पहुचने के बाद उसने कुमार दा को अपने दोनों हाथ दिखाए। उस फैन के सीधे हाथ में कुमार सानू लिखा था और उल्टे हाथ में  केदारनाथ भट्टाचार्य। दिवानगी की हद तो देखो कुमार सानू की एक फैन ने तो कुमार दा की फोटो से ही शादी कर ली थी। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए 2009 में उन्हें देश के चौथे सबसे बडे नागरिक सम्मान पदमश्री पुरस्कार से नवाजा भी गया है।