बॉलीवुड(Bollywood)की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित(Madhuri Dixit) जिन्होंने 90 के दशक में हर दिल पर राज किया। माधुरी के डांस मूव्स ने हर किसी के पैरों को थिरकना सिखाया। लेकिन राम लखन और तेजाब जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम करने से पहले उन्हें अपने करियर को लेकर काफी संघर्ष करना पड़ा था। 90 के दशक में हर निर्माता-निर्देशक की पहली पसंद बनने वाली माधुरी का करियर किसी बड़ी फिल्म से शुरू नहीं हुआ था। उनका परिवार मुंबई के अंधेरी के वन-रूम फ्लैट में रहता था। वहीं बचपन से माधुरी को डांस करने का बहुत शौक था। महज 9 साल की छोटी सी उम्र में माधुरी ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में भरतनाट्यम और कथक का पुरस्कार भी जीता था। जिसके बाद उन्हें गणेश उत्सव पर जगह-जगह डांस करने के लिए बुलाया जाता था।


 


उस दौरान माधुरी के एक पड़ोसी ने उनके अंदर एक एक्ट्रेस को देखा और उनके माता-पिता से पूछा कि क्या वो उनकी बेटी माधुरी के लिए किसी फिल्म में काम करने के लिए बात चलाए। उन वक्त माधुरी के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी जिसके चलते उनके माता-पिता ने फिल्मों के लिए हां कर दी। फिर क्या था कुछ समय बाद ही उन्हें राजश्री प्रोडक्शंस की फिल्म अबोध में काम करने का मौका मिला। हालांकि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही और फिल्म फ्लॉप होने के बाद उन्हें काम मिलना मुश्किल हो गया। फिर एक असिस्टेंट फिल्म डायरेक्टर ने उन्हें बी-ग्रेड फिल्म के लिए साइन कर लिया। जिसका नाम था, मानव हत्या। इस फिल्म में माधुरी दीक्षित के हीरो थे शेखर सुमन।



इस फिल्म को साइन करके माधुरी हर दिन पछताने लगीं क्योंकि फिल्म का डायरेक्टर बी ग्रेड फिल्में डायरेक्ट करता था इसीलिए वो माधुरी से भी कुछ वैसे ही सीन शूट करने की बात करता रहता था। लेकिन माधुरी के मां-बाप ने ऐसे दृश्यों को फिल्माने से साफ इंकार कर दिया। फिल्म की शूटिंग चलते-चलते 6 महीने बीत गए और माधुरी को इसके लिए कोई फीस भी नहीं मिली थी। फिल्म का हाल देखते हुए फाइनेंसरों ने भी पैसे लगाने से मना कर दिया। जिसकी वजह से ये फिल्म अधूरी रह गई। लेकिन जब बॉलीवुड में हिट हो गई तो उसके बाद कुछ टीवी चैनलों पर वो फिल्म जितनी बनी थी वैसी ही लेटनाइट दिखाई गई। फिर भी माधुरी अपनी इस फिल्म का जिक्र कभी नहीं करती।



ये फिल्म भले ही बी-ग्रेड रही हो, लेकिन इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी किस्मत पलट गई। दरअसल इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उस समय के सबसे मशहूर फोटोग्राफर राकेश श्रेष्ठ ने माधुरी को देखा। माधुरी दीक्षित को पहली नजर देखते ही राकेश ने माधुरी के माता-पिता से पूछा कि क्या वो उनकी बेटी की तस्वीरें खींच सकते हैं। जिसपर माधुरी के माता-पिता ने कहा कि हमारे पास आपके जैसे महंगे और बड़े फोटोग्राफर को देने के लिए फीस नहीं है। तब राकेश श्रेष्ठ ने माधुरी की तस्वीरें खींचने के बदले फ्री में उनका पोर्टफोलियो बनाने का वादा किया। फिर क्या था राकेश ने माधुरी का पोर्टफोलियो बनाया और खुद उसे मशहूर निर्माता-निर्देशक सुभाष घई को दिखाया। सुभाष घई ने पहली नजर में फोटो देखते ही कह दिया कि मुक्ता आर्ट्स को उसकी नई हीरोइन मिल गई। इतना ही नहीं उन्होंने माधुरी के माता-पिता बुलाकर तीन फिल्मों के लिए माधुरी को साइन कर लिया।


 


माधुरी को साइन करने के बाद घई ने उस दौर के फिल्मी साप्ताहिक अखबार स्क्रीन में 6 पेज का बड़ा विज्ञापन दिया, जिसमें माधुरी की आंखें, होंठ, नाक, माथा और कान की तस्वीरें थी। लेकिन माधुरी की पूरी तस्वीर नहीं थी। इस विज्ञापन ने फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मचा दी। हर कोई जानना चाहता था कि सुभाष घई की ये नई हीरोइन आखिर है कौनॽ फिर जब माधुरी के बारे में इंडस्ट्री में लोगों को पता चला तो उन्हें साइन करने के लिए निर्माताओं की लाइन लग गई। लेकिन कॉन्ट्रेक्ट साइन करने से पहले सुभाष घई की भी एक शर्त थी कि वो उनकी 3 फिल्में पूरी करने के बाद ही किसी और के साथ काम कर सकेंगी। किस्मत ने ऐसी पलटी मारी की रातों रात माधुरी स्टार बन गई। उस दौर में उनकी मुस्कान, डांस और एक्टिंग की बराबरी कोई नहीं कर पाया।


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