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कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार

किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 में छोटे से शहर खंडवा एमपी में हुआ था। ये एक बंगाली परिवार में जन्में थे और इनकी असली नाम आभास कुमार गांगुली था। किशोर कुमार के पिता एक वकील थे। किशोर कुमार के दो भाई और एक बहन थी। इनके भाइयों का नाम अशोक कुमार, अनूप कुमार और इनकी बहन का नाम सती देवी था। किशोर कुमार के बडे भाई अशोक कुमार ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया है। 

किशोर कुमार के जीवन में 4 नंबर की बड़ी अहमियत रही है। 4 अगस्त को पैदा हुए। अपने बहन-भाई में चौथे नंबर पर थे। किशोर कुमार ने शादी भी 4 की थी। पहली शादी उन्होंने रुमा देव से की दूसरी शादी मधुबाला से, तीसरी योगिता बाली से और चौथी शादी लीना से। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार एक बार की बात है। एक किस्सा उनके बडे भाई से जुड़ा हुआ है। किशोर कुमार जब एक साल के थे तो उनके बडे भाई बाहर पढ़ाई करने चले गए थे। जब किशोर कुमार 4 साल के हुए, तो उनको ऐसा लगता था कि उनकी दो बहन और सिर्फ मैं हूं, लेकिन जब अशोक कुमार पढ़ाई करके वापस आए तो किशोर कुमार की मां ने अपने बड़े बेटे को बहुत प्यार करना शुरु कर दिया। तभी किशोर कुमार ने अपनी मां से पूछा मां ये कौन हैं। तुम मुझसे अब कम प्यार करने लगी हो। उनकी मां ने बताया की ये तुम्हारे बडे भाई है। जब तुम छोटे थे तो अशोक कुमार बाहर पढने चले गए थे। उसके बाद किशोर कुमार को पता चला की वो तीन बहन-भाई नहीं चार बहन-भाई है। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार किशोर कुमार की अवाज बचपन में बहुत खराब थी। उनका गला बैठा हुआ था। एक दिन की बात है। जब किशोर दा की मां रसोई में काम कर रही थी। सब्जी काट रही थी। तो किशोर कुमार भागकर अपनी मां के पास आए और इत्फाक से ऐसा हो गया की दराती से उनके पैर की उंगली कट गई। दर्द के मारे जोर-जोर से रोने लगे अस्पताल में ले जाया गया। डॉक्टरो ने उनकी पैर की उंगली ठीक कर दी, लेकिन उनको सारी-सारी रात दर्द होता था। काफी दिनों तक दर्द के मारे रोते थे। किशोर कुमार के इस रोने की वजह से उनका गला साफ हो गया। तो किशोर कुमार इतना रोये  कि उनकी आवाज पाक हो गई। आवाज जो निखर के आई। वो बन गई मधुर किशोर कुमार की आवाज। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार एक बार की बात है। किशोर कुमार का बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता था। एक दिन क्लास में किशोर कुमार को उनके गुरू जी ने कहा की कल पहाड़ा याद करके आना। किशोर दा ने एक धुन में पहाडा याद किया और अपनी क्लास में सबको उसी धुन में याद कराया। जैसे तैसे उन्होंने पढ़ाई खत्म की और जब कॉलेज में दाखिला लिया तो अपना पाठ गुनगुना के याद करते थे। किशोर कुमार को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। जब घर वालों ने ये देखा कि किशोर कुमार को संगीत का बहुत शौक है। तो किशोर कुमार के बडे भाई अशोक कुमार ने उनको छोटा सा हारमोनियम ला कर दिया। इस वक्त दादा मुनी यानि अशोक कुमार फिल्मी दुनिया में अपने पैर जमा चुके थे। हम उस वक्त की बात कर रहें जब सभी एक्टर और एक्ट्रेस को खुद गाने गाने पड़ते थे। किशोर कुमार सहगल की आवाज में हारमोनियम पर सुर लगा के गाना गाते थे। एक दिन किशोर कुमार के बडे भाई अशोक कुमार ने कहा हमें भी गाना सुनाओ तुम सहगल की अवाज में गाना गा कर सुनाओ। तो किशोर दा ने कहा, सहगल की आवाज में आपको गाना सुनना है तो 5 आने लगेंगे और आपकी अवाज में सुनना है तो एक आना लगेगा। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार किशोर कुमार का संगीत के प्रति जुनून देखकर उनके बडे भाई को लगा कि मुंबई भेजना चाहिए। अशोक दा अपने छोटे भाई को साथ लेकर मंबुई में आ गए। तो इस तरह से किशोर कुमार पहुंच गए अपने भाई का दामन थाम के मुंबई। जब किशोर कुमार मंबुई पहुंचे तो उन्होंने स्टूडियो के काफी चक्कर काटे। 1946 में किशोर दा कि मेहनत रंग लाई। म्यूजिक डायरेक्टर सरस्वती देवी ने किशोर दा को एक फिल्म में काम करने का मौका दिया। फिल्म का नाम था 80 days, लेकिन किशोर दा को जो भी फिल्म में गाने का मौका दिया। वो उनको कोरस में गाना था। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार 1948 की बात है एक दिन किशोर कुमार घर पर बैठे हुए थे। अशोक कुमार के बडे भाई से मिलने आए म्यूजिक डायरेक्टर खेमचंद प्रकाश। वही किशोर कुमार अपने कमरे में रिहर्सल कर रहे थे। खेमचंद ने किशोर कुमार के लिए कहा इसमें बहुत टैलेंट है और खेमचंद प्रकाश ने किशोर दा को दिया पहला ब्रैक फिल्म का नाम था जिद्दी। यहां से शुरू हुई किशोर कुमार के करियर की पारी। बडे भाई ने क्यों निकलवा दिया किशोर कुमार को फिल्म कंपनी बाम्बे टॉकिज से क्यों किया बडे भाई ने ऐसा ! किशोर कुमार को बनाने का श्रेय उनके बडे भाई अशोक कुमार को जाता है। दादा मुनि ने उनको सहारा दिया। पहला ब्रेक मिला, पहला गाना मिला ‘मरने की दुआएं क्यो मांगू’ सब कुछ अच्छा था, लेकिन ऐसा दौर आया की किशोर कुमार के बडे भाई इतने नाराज हो गए की उन्हे कठोर फैसला लेना पड़ा। 1950 में किशोर दा धीरे-धीरे अपना नाम कमा रहें थे। लगातार काम भी मिल रहा था। जब किशोर दा बाम्बे टॉकिज में थे तो इनकी मुलाकात हुई रूमा गौहर ठाकुरता से रूमा देवी वहां एक फिल्म की शूटिंग कर रही थी। दोनो का मिलने बैठना शुरु हो गया। मुलाकाते बडी ये मुलाकाते प्यार में बदल गई और एक दिन शादी करने का फैसला कर लिया। किशोर कुमार के घर पर जब ये बात पता चली तो बहुत हंगामा हो गया। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार किशोर कुमार ब्रहाम्ण परिवार से थे। रूमा देवी ब्राह्म्ण नहीं थी। इस बात को लेकर परिवार में इतना मत-भेद हो गया और उनके बडे भाई भी बहुत नराज हो गए। अशोक कुमार इस शादी से एक दम खिलाफ थे और गुस्से में आकर किशोर कुमार को बाम्बे टॉकिज से निकलवा दिया। साथ ही साथ अपने घर से भी निकाल दिया। किशोर कुमार के पास कोई घर नहीं था, कोई काम नहीं था, कोई सहारा नहीं था। इस मुश्किल वक्त में किशोर कुमार का साथ दिया। खेमचंद प्रकाश जी ने और उसके बाद उनको सहारा दिया सचिन देव बर्मन ने पूरा सहारा दिया। सचिन देव बर्मन किशोर दा से बहुत प्यार करते थे। हमेशा किशोर दा ने सचिन देव बर्मन को अपने पिता की तरह माना। जब भी किशोर कुमार सचिन देव बर्मन के स्टूडियो में जाते थे तो एक दम सीधे होकर एंटर करते थे। कोई शरारत नहीं, कोई मस्ती नहीं। किस के लिए गुस्से में आकर किशोर कुमार ने सर मुंडवा दिया ! किशोर कुमार बहुत शरारती थे। ये बात तो सब जानते है, लेकिन किस हद तक शूटिंग के दौरान सेट पर एकदम से सब को डरा देना। सेट से भाग जाना, बिना पैसे लिए हुए रिकोर्डिंग ना करना। आपको बता दे किशोर दा अपने असिस्टेंट से कोड वर्ड में बात करते थे। जब किसी से पैसे लेने होते थे तो तो बोलते थे चाय पी ली। यानि इसका मतलब होता था पैसे आ गए। किशोर दा जब एक्टर बन चुके थे तो वो ऋषिकेश मुखर्जी के साथ एक फिल्म कर रहें थे। उस फिल्म का नाम था मुसाफिर किशोर दा साउथ से एक फिल्म की शूटिंग करके वापस लौट रहे थे। तो उनका ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म में शूटिंग करने का मन नही था। तो उन्होने कोशिश की शूटिंग टल जाए। लेकिन ऐसा नही हुआ जिस दिन शूटिंग का दिन था सब कुछ तैयारी हो चूकी थी। सब कुछ रेडी था। अब सब लोग किशोर दा का इंतजार कर रहे थे। 1 नहीं 2 नहीं बल्कि 5 घंटे बीत गए, लेकिन किशोर दा का कुछ अता-पता नही था। हार कर ऋषिकेश मुखर्जी को उनके घर जाना पडा। तो उन्होने वहां देखा की किशोर कुमार ने शूटिंग ना करने के लिए अपना सर मुंडवा लिया था, लेकिन ऋषिकेश मुखर्जी भी बहुत तेज़ दिमाग के थे। उन्होने मेकअप मैन से पहले ही केह दिया था। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार किशोर दा का सर का नाप ले लेना वीक बनवा लेना क्योकि वो बहुत शरारती है। फिर उसके बाद मुसाफिर फिल्म की शूटिंग हुई। 1950 में जिद्दी फिल्म की शूटिंग चल रही थी तो माली का रोल करने वाला एक्टर नहीम आया तो उनके बडे भाई ने कहा ये माली वाला रोल तुम कर लो। किशोर दा ने माली का रोल कर लिया। जिद्दी फिल्म से किशोर दा ने अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत करी और लगभग 102 फिल्मे की इतनी सारी फिल्में करते करते उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड आया जब उन्होने कुछ ज्यादा ही काम अपने हाथ में ले लिया। काफी फिल्में साइन कर ली और जब किशोर दा फिल्मों की शूटिंग के लिए डेट नही निकाल पाए तो फिल्म के प्रोड्यूसर ने उन पर केस दायर कर दिया था और सिनेमा जगत में किशोर कुमार की एक्टिंग करने पर रोक लगा दी गई थी। किशोर कुमार पर क्यो जड दिया गया केस और क्यो लगा दी गई रोक उनकी एक्टिंग करने पर उनका करियर फिल्म वक्त की अवाज पर खत्म हुआ। 1988 में वक्त फिल्म रिलीज हुई थी। जहां उन्होने आशा भोसले के साथ अपना आखरी गीत गाया। किशोर कुमार ने अपने सालो के सफर में 2,905 गाने गाए। जिनमें से 8 गानों के लिए उन्हे फिल्मफेयर के अवॉर्ड से नवाजा गया। किशोर कुमार ने की चार शादी किशोर कुमार ने चार शादीयां की उन्होने पहली शादी रूमा देवी की थी। कुछ वक्त के साथ रहने के बाद उनका तलाक हो गया। फिर उसके बाद उन्होने दूसरी शादी मधुबाला से की और मधुबाला को हार्ट की प्रोब्लम थी। जिसके कारण उनकी मौत हो गई। तीसरी शादी योगिता बाली से हुई। उनके साथ भी उनकी शादी सफल नहीं रही। किशोर दा कि चौथी पत्नी लीना चन्दावरकर एक पहले शादी कर चूकी थी। कलाकार और किस्से: पैर की उंगली में लगी चोट से इस तरह गायक बने किशोर कुमार 1986 में किशोक कुमार को दिल का दौरा पड़ा था। जिस वजह से कम रिकॉर्डिंग करने लगे। बीमार पड़ने के बाद वो अपने जन्म स्थान खंडवा लौटने की भी योजना बना रहे थे। फिर से उन्हे अचानक दूसरा दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद किशोर कुमार का देहांत 13 अक्टूबर 1987 को 58 साल की आयु में हो गया। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार उनके जन्मस्थल खंडवा में ही हुआ था।
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