बीते जमाने कीं 10 बेस्ट कॉमेडी फ़िल्में, जिसे आज भी देखने को करता है मन
बॉलीवुड में कॉमेडी फिल्मों का दौर कई दशकों से चला आ रहा है फिर भी पुराने समय की क्लासिक कॉमेडी फिल्मों और आज की फूहड़ता से भरी बिना सिर-पैर की कॉमेडी फिल्मों में जमीन-आसमान का फर्क है।
उस दौर की फिल्मों को हम पूरे परिवार के साथ बैठकर देख पाते थे और एक साफ़-सुथरी कहानी भी हमें हंसा-2 के लोट-पोट कर देती थी। आज हम बात करते हैं गुजरे ज़माने की ऐसी ही 10 बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों की।
पड़ोसन (1968)
सुनील दत्त, महमूद, किशोर कुमार और सायरा बानो अभिनीत ये फिल्म कॉमेडी के मामले में आज भी मील का पत्थर है। आर.डी. बर्मन के शानदार संगीत से सजी इस फिल्म का गाना ‘इक चतुर नार करके श्रृंगार’ उस समय सुपरहिट साबित हुआ।
बॉम्बे टू गोवा (1972)
अमिताभ बच्चन और अरुणा ईरानी की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा और महमूद भी अहम किरदारों में थे। इस फिल्म में बॉम्बे से गोवा तक बस का सफ़र दिखाया गया है जिसमें कई कहानियां एक साथ चलती हैं। 2007 में इसी नाम से फिल्म का रीमेक बनाया गया।
बावर्ची (1972)
उस समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना और जया भादुडी की ये फिल्म उस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से थी। इसमें असरानी और ए.के. हंगल भी सहायक भूमिकाओं में थे। एक संयुक्त परिवार में एक नौकर के आने के बाद होने वाले बदलाव को फिल्म में मजेदार ढंग से दिखाया गया।
चुपके-चुपके (1975)
ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस यादगार कॉमेडी फिल्म की स्टार कास्ट काफी लम्बी है। फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, शर्मीला टैगोर, जया भादुड़ी, असरानी और ओम प्रकाश ने काम किया।गोलमाल (1979)
अमोल पालेकर, उत्पल दत्त और बिंदिया गोस्वामी अभिनीत ये फिल्म एक सदाबहार कॉमेडी के रूप में याद की जाती है। इसके निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी थे। ये उस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी जिसने कई सारे अवार्ड्स अपने नाम किये।
शौक़ीन (1982)
बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में तीन उम्रदराज दोस्तों की कहानी दिखाई है। इस फिल्म में अशोक कुमार, उत्पल दत्त और ए.के. हंगल के अलावा मिथुन चक्रवर्ती और रति अग्निहोत्री अहम भूमिकाओं में थे।
अंगूर (1982)
विलियम शैक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक ‘कॉमेडी ऑफ एरर्स’ पर बनी इस फिल्म में संजीव कुमार और देवेन वर्मा दोहरी भूमिकाओं में थे। फिल्म का निर्देशन गुलजार ने किया जबकि संगीत आर.डी. बर्मन ने दिया।
चश्मे बद्दूर (1982)
सई परांजपे द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक रोमांटिक-कॉमेडी है जिसमें फारुख शेख, दीप्ति नवल, राकेश वेदी और रवि बासवानी ने अहम किरदार निभाया। इसी नाम से 2013 में डेविड धवन ने इसका रीमेक बनाया।
किसी से न कहना (1983)
ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में फारुख शेख, दीप्ति नवल और उत्पल दत्त मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म में उत्पल दत्त ने फारुख शेख के पिता का किरदार निभाया जिसमें वे अपने बेटे के लिए गांव की एक संस्कारी लड़की की तलाश करते हैं जबकि फारुख पहले से ही एक डॉक्टर के प्यार में पड़े होते हैं।
जाने भी दो यारों (1983)
कुंदन शाह की ये जबरदस्त कॉमेडी फिल्म आज भी दर्शकों को उतना ही गुदगुदाती है। नसीरुद्दीन शाह, रवि बासवानी, सतीश शाह और ओम पुरी जैसे दिग्गज अभिनेताओं से सजी ये फिल्म उस दौर की सफलतम फिल्मों में से एक है। 2006 में इस फिल्म को इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था।