कलाकार और किस्से: फिल्म ‘शोले’ के तीन शब्द से बॉलीवुड में बनाई अलग पहचान, उस सीन को देख रो पड़े थे मैक मोहन
मैक मोहन को आज पूरे बॉलीवुड में सांभा के नाम से जानते हैं। फिल्म 'शोले' में बोले गए उनके तीन शब्द 'पूरे पचास हजार' लोगों के दिल में इस कदर घर कर गए कि उनका असली नाम भूल कर लोग उन्हें सांभा के रूप में ही पहचानने लगे।
मैक मोहन फिल्म ‘शोले’ में ज्यादा तो दिखाई नहीं दिए लेकिन उनके वो तीन शब्द उनको अमर बना गए। मैक मोहन ‘डॉन’, ‘कर्ज’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘जंजीर’, ‘रफूचक्कर’, ‘शान’, ‘खून पसीना’ जैसी कई फिल्मों में भी शानदार काम करते हुए नजर आए लेकिन जो शोहरत उन्हें 'शोले' से मिली वो शायद किसी और फिल्म से नहीं मिली।
मैक मोहन एक क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। मैक मुंबई के एक थिएटर में काम करने लगे थे। वहां उनकी मुलाकात शौकत कैफी से हुई। शौकत कैफी ने जब मैक मोहन का अभिनय देखा तो उसकी बहुत तारीफ की। थिएटर में मन लगाकर काम करो। यहीं से तुम्हें फिल्मों में भी काम मिलने लग जाएगा।
मैक मोहन को कपड़े और खुशबूदार इत्रों का बहुत शौक था। उन्होंने फिल्मों में ज्यादातर कपड़े अपने ही पसंद के पहने हैं। उनके डिजाइनर कपड़े ज्यादातर बांद्रा के मशहूर दर्जी माधव के यहां सिलवाए जाते थे। उन्हें घूमना फिरना भी बहुत पसंद था। वह घूमने फिरने लॉस एंजेलिस इतना जाते थे कि उनके पिता ने उनका दूसरा घर अमेरिका ही समझ लिया था। मैक मोहन वहां से महंगे महंगे सूट और परफ्यूम लेकर आते थे।
आप ये बात जानते ही होंगे कि हिंदी सिनेमा की अब तक की सबसे बड़ी फिल्म 'शोले' में मैक मोहन ने सांभा का किरदार निभाया है और आप ये भी जानते होंगे कि लगभग तीन घंटे लंबी फिल्म में सांभा ने सिर्फ एक ही संवाद बोला है और वो था 'पूरे पचास हजार'।
मैक मोहन ने फिल्म 'शोले' को संपादित होने के बाद जब देखा तो उन्हें बहुत निराशा हाथ लगी। एक इंटरव्यू के दौरान मैक मोहन ने बताया, 'जब मैंने फिल्म को देखा तो मैं रोने लग गया था। मैं सीधे फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी के पास गया और उनसे बोला कि रमेश जी आपने मेरा इतना थोड़ा सा किरदार भी क्यों रखा? आप चाहते तो इसे भी हटा ही देते। इस सवाल पर रमेश जी ने मुझसे कहा कि अगर ये फिल्म हिट हुई तो दुनिया मुझे सांभा के नाम से जानेगी और हुआ भी ऐसा ही। पता नहीं वह कौन सी घड़ी थी जिस घड़ी में रमेश जी ने यह शब्द बोले।'
मैक मोहन का जन्म ब्रिटिश शासन में कराची में हुआ था। उनके पिता सेना में अफसर थे। मैक मोहन का अपने परिवार के साथ कराची से लखनऊ और फिर लखनऊ से मुंबई आना हुआ।
हिंदी सिनेमा की फिल्म 'शोले' इतनी बड़ी हिट फिल्म है कि इस फिल्म का छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा किरदार पूरी दुनिया में मशहूर हैं। मैक मोहन ने 30 जून 1986 में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक मिनी से शादी की थी। इस शादी से उन्हें तीन बच्चे विनती, विक्रांत और मंजरी हुए।
साल 2010 में अजय देवगन, परेश रावल, कोंकणा सेन शर्मा, सतीश कौशिक, संजय मिश्रा जैसे सितारों से सजी फिल्म 'अतिथि तुम कब जाओगे' आई। इस फिल्म में मैक मोहन को भी एक किरदार के लिए लिया गया था। लेकिन, फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले ही मैक मोहन बीमार पड़ गए और उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यहां से वह ठीक नहीं हुए और 10 मई 2010 में उन्होंने इसी अस्पताल में अपनी अंतिम सांसें लीं।