कलाकार और किस्से: महाभारत के दुर्योधन को घर पर नहीं मिला था खाना, क्या थी वजह पढ़े...
लॉकडाउन के बीच दूरदर्शन पर इस वक्त 80 और 90 के दशक जैसा माहौल फिर से बना हुआ है। रामायण, महाभारत, सर्कस और ब्योमकेश बक्शी की शुरुआत जहां टीवी पर दोबारा हो चुकी है।
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देशभर में लॉकडाउन की वजह से कई बदलाव किए गए है, जैसा की टीवी पर ही देख सकते है। कोरोनावायरस मानो 80 और 90 के दशक को फिर से एक बार दोहरा रहा है। शक्तिमान और चाणक्य भी जल्दी ही दस्तक देने वाले हैं। इन शो को देखते हुए सोशल मीडिया पर यूजर्स अपनी पुरानी यादें ताजा कर रहे हैं। इस स्पेशल स्टोरी में आपको बताने दा रहे है 'महाभारत' के 'दुर्योधन' से जुड़े किस्से।
बीआर चोपड़ा की महाभारत में जिस अभिनेता ने दुर्योधन का किरदार निभाया था उनका नाम हैं पुनीत इस्सर। एक इंटरव्यू के दौरान पुनीत इस्सर ने कहा था, "मैं अपने आपको बेहद सौभाग्यशाली समझता हूं कि ऐसी महान कृति में काम करने का मौका मिला। वो संस्कृत में कहते हैं 'ना भूतो ना भविष्यति।' ये धारावाहिक भी ऐसे ही हैं।"
इंटरव्यू में पुनीत इस्सर ने आगे कहा था, "मैं आज जो हूं इसी सीरियल की वजह से हूं। इसके पहले मुझे फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलते थे लेकिन महाभारत ने सारी कहानी बदल दी। मेरा अस्तित्व दुर्योधन की वजह से ही है।" पुनीत ने इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म कुली का भी जिक्र किया था।
पुनीत इस्सर ने कहा था, "साल 1982 में 'कुली' फिल्म की दुर्घटना किसे याद नहीं, जब मेरे साथ एक एक्शन दृश्य करते वक्त सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को चोट लग गई थी। उसके बाद के कुछ साल मेरे लिए बड़े संघर्ष वाले थे। लेकिन 'महाभारत' ने मानो सब कुछ बदलकर रख दिया। इसके बाद मुझे फिल्मों में बड़े रोल मिलने लगे। मुख्य खलनायक की भूमिका मिलने लगी।"
इंटरव्यू में पुनीत इस्सर ने महाभारत के वक्त का एक किस्सा भी सुनाया था। पुनीत ने कहा था, "महाभारत के क्लाईमेक्स की शूटिंग जयपुर में चल रही थी। लोग दूर से शूटिंग देख रहे थे। कोई मेरे पास आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। एक बुजुर्ग महिला काफी देर बाद हिम्मत जुटाकर मेरे पास आई और बोली, 'राजा जी, अब गुस्सा थूक भी दो, दे दो ना पांडवों को पांच गांव'।"
वहीं एक और किस्से का जिक्र करते हुए पुनीत ने बताया था, 'इसी तरह से एक बार हमें एक मारवाड़ी उद्योगपति ने खाने पर आमंत्रित किया। मेरे अगल-बगल में अर्जुन (महाभारत वाले) और रूपा गांगुली (द्रौपदी) बैठे हुए थे। घर की महिलाएं आतीं, वो अर्जुन को परोसतीं, फिर रूपा को और मुझे परोसे बिना बढ़ जातीं। मैंने तब घर की बुजुर्ग महिला से पूछा, 'माताजी, मुझसे कोई गलती हुई क्या।' तो उन्होंने मुझे झिड़कते हुए कहा, 'चुप रहो, तुमने पांडवों के साथ इतना बुरा क्यों किया।' ये घटनाएं दर्शाती हैं कि लोग कितनी शिद्दत से इस धारावाहिक का अनुसरण करते थे और हमारे किरदार किस हद तक हमसे जुड़ गए थे।"
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