बॉलीवुड इंडस्ट्री में मनोज बाजपेयी ने साल 1994 में फिल्म 'द्रोहकाल' से कदम रखा था। इस फिल्म में मनोज बाजपेयी का रोल काफी छोटा था, लेकिन उनके लिए किसी सपना सच होने से कम नहीं था, क्योंकि इससे पहले उन्होंने स्ट्रगल का एक लंबा दौर देखा था। साल 2013 में एक इंटव्यू के दौरान मनोज ने अपने स्ट्रगल पर बात की और उन्होंने उस दौर के बारे में बताया था जब उनके मन में आत्महत्या जैसा ख्याल भी आया था।
बॉलीवुड में यूं तो आए दिन नई एंट्रीज का दौर चलता रहता है। कई हिट होते हैं कई फ्लॉप, लेकिन यहां तक पहुंचने का रास्ता बिल्कुल आसान नहीं होता। कई लोग सालों-साल स्ट्रगल करके भी फिल्मों में एंट्री लेने में कामयाब नहीं हो पाते हैं।
मनोज बाजपेयी ने बताया था कि वो हमेशा से ही एक हीरो बनना चाहते थे। दिल्ली में आकर उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के बारे में सुना था। मनोज ने यहां एडमिशन लेने का मन बना लिया लेकिन एनएसडी में दाखिले के लिए 3 बार फॉर्म भरा, मगर किन्हीं कारणों से वो तीनों बार रिजेक्ट कर दिए गए। इसे लेकर बात करते हुए मनोज बाजपेयी ने इंटरव्यू में बताया था कि जब वो रिजेक्ट हुए तो ऐसा लगा कि उनका सपना टूट सा गया और वो खुदकुशी करने वाले थे।
फिर उनकी लाइफ में एक्टर रघुवीर यादव आए और उनके कहने पर बैरी जॉन की वर्कशॉप ज्वॉइन कर ली। बैरी जॉन मनोज के टैलेंट से इतने इंप्रेस हुए कि उन्हें अपना असिस्टेंट बना लिया।
उनका संघर्ष भले ही लंबा चला, लेकिन आज उन्हें इंडस्ट्री के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में गिना जाता है। वो बॉलीवुड से लेकर बेव सीरीज की दुनिया तक धमाके कर चुके हैं।