Braj ki Holi: ब्रज की होली को और खास बनाने के लिए जुटे मथुरा जेल में बंद कैदी, तैयार कर रहे खास गुलाल
Holi 2023: ब्रज की होली को और खास बनाने के लिए मथुरा जेल में बंद 6 कैदी खास गुलाल तैयार करने में जुटे हैं. जेल में अरारोट में सब्जियों को मिलाकर हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है.
Braj ki Holi 2023: विश्व प्रसिद्ध ब्रज के रंगोत्सव पर इस बार कैदियों द्वारा तैयार हर्बल गुलाल उड़ेगा. मथुरा (Mathura) के जिला कारागार में बंद छह कैदियों द्वारा होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार किया है. जो ईको फ्रेंडली के साथ-साथ आपकी त्वचा के लिए भी अनुकूल है. वहीं इस पहल से जेल में निरुद्ध कैदी भी आत्मनिर्भर बन रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशभर में बने कारागारों को कौशल विकास मिशन के माध्यम से कैदियों को स्वावलंबी बनाया जा रहा है. मथुरा की जिला कारागार में जेल प्रशासन कौशल विकास मिशन के तहत कैदियों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिलाकर आत्मनिर्भर बनाने में जुटा हुआ है.
ब्रज की होली को और खास बनाने के लिए मथुरा जेल में बंद 6 कैदी खास गुलाल तैयार करने में जुटे हैं. जेल में अरारोट में सब्जियों को मिलाकर हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए अरारोट में पालक को पीसकर उसमें से हरा रंग निकाल कर इसे तैयार किया जा रहा है. इसी तरह मेथी को पीसकर हल्का हरा रंग, चुकंदर को पीसकर लाल रंग, हल्दी पाउडर का प्रयोग कर पीला गुलाल तैयार किया जा रहा है. इसमें खुशबू बनी रहे इसके लिए इत्र मिलाया जा रहा है.
ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है
मथुरा जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि होली का त्योहार आते ही हर साल जेल में कई कुंतल गुलाल तैयार किया जाता है. जेल में बंद कैदी सोनू, सनी, रिंकू, अशरफ, विजय, हरेंद्र सिंह कई दिनों से हर्बल गुलाल तैयार करने में लगे हुए हैं. ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है. यहां होली की शुरूआत बसंत पंचमी से हो जाती है. बसंत पंचमी से रंग गुलाल उड़ना शुरू होता है. 27 फरवरी को लड्डू मार और 28 फरवरी को बरसाने में लट्ठ मार होली मनाई जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक, होली पर ब्रज में हर साल हजारों कुंतल गुलाल उड़ाया जाता है.
जिला जेल में बन रहा गुलाल आम लोगों तक पहुंचाने के लिए भी जेल प्रशासन ने इंतजाम किए हैं. जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में कैदियों के बनाए जा रहे गुलाल पर करीब 180 रुपए प्रति किलो की लागत आ रही है. इस गुलाल को 200 रुपए किलो के हिसाब से बेचा जाएगा. गुलाल के 100-100 ग्राम के पैकेट जेल के मुख्य द्वार पर बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे. इससे कारागार में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. जिससे वह जब भी जेल से रिहा हों, तो समाज के बीच रहकर अच्छा व्यवहार कर सकें. साथ ही अपने और अपने परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर सकें.
मथुरा जिला कारागार में करीब 1700 कैदी बंद हैं
ऐसा पहली बार नहीं है, जब उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदी इस तरह की क्रिएटिविटी दिखा रहे हैं. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान की पोशाक बनाते हैं तो, रक्षा बंधन पर इको फ्रेंडली राखी बनाते हैं. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे कौशल विकास मिशन कार्यक्रम के तहत कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. बता दें कि वर्तमान में मथुरा जिला कारागार में करीब 1700 कैदी बंद हैं.