Know Lanka Minar Mystery: देश में धार्मिक स्थलों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. कई जगह ऐसी भी हैं जिनकी मान्यताएं विचित्र भी हैं. ऐसी ही एक जगह जालौन (Jalaun) में भी है. रक्षाबंधन का त्योहार है और जालौन से जुड़ी एक ऐसी कहानी हैं जो आपको कुछ पल के लिये सोचने पर मजबूर कर देगी. वैसे तो हमारा देश संस्कृति की पहचान के लिए पूरे विश्व में मशहूर है, लेकिन यहां कुछ ऐसे अनसुलझे रहस्य छुपे हुए हैं जिनके बारे में जानकर आप भी आश्चर्यचकित हो सकते हैं.
बुंदेलखंड की पावन धरा पर कई तरह की परंपराओं और रीति-रिवाजों का अनूठा मेल होता है. यहां बहुत से ऐसे अजीबो-गरीब रीति-रिवाज है जिनका पुराणों के अनुसार हमें पालन करना होता है. जालौन के कालपी की एक ऐसी ही एक मीनार है जिसे लंका मीनार के नाम से भी जाना जाता है. कालपी की यह मीनार लगभग 210 फीट ऊंची है. मीनार का निर्माण वकील बाबू मथुरा प्रसाद निगम ने कराया था. 200 साल से ज्यादा पुरानी इस मीनार की अजीब मान्यताएं हैं.
एक साथ नहीं जा सकते भाई-बहन
मान्यताओं के मुताबिक, लंका मीनार में भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते हैं. दरअसल, मीनार के ऊपर तक जाने के लिए सात परिक्रमाओं से होकर गुजरना पड़ता है. हिंदू धर्म के अनुसार भाई-बहन के द्वारा ये नहीं किया जा सकता. क्योंकि सात परिक्रमाओं का संबंध पति-पत्नी के सात फेरों के रिश्तों की तरह माना जाता है. इसी वजह से लंका मीनार के ऊपर भाई-बहन का जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. मंदिर के ठीक सामने शिव जी का मंदिर हैं जिसमे सैकड़ो भगवानो की मूर्तियां विराजमान हैं.
क्या कहते हैं इतिहासकार?
इतिहासकार अशोक कुमार बताते हैं कि लंका मीनार का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है. यह दिल्ली की कुतुब मीनार के बाद की दूसरी ऊंची मीनार है. इसका निर्माण गुड़, दाल, कौड़ी व अन्य सामग्रियों से हुआ है.
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