केंद्र सरकार का दावा- कोरोना में ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई एक भी मौत, मायावती ने बोला हमला
बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत ना होने का दावा अति दुर्भाग्यपूर्ण है.
Mayawati attacks on Government: केंद्र सरकार द्वारा कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं होने का दावा किये जाने के बाद इस पर सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर सरकार को आड़े हाथ ले रहे हैं. वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. मायावती ने गुरुवार को कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत न होने के केंद्र सरकार के दावे को अति दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
बसपा प्रमुख ने ट्वीट के जरिये केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'भारत में ऑक्सीजन की कमी से कोरोना की दूसरी लहर में खासकर जो अफरातफरी व मौतें आदि हुईं. तो उससे निपटने के लिए केंद्र सरकार को विदेशी सहायता तक भी लेनी पड़ी, यह किसी से भी छिपा नहीं है, फिर भी ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं होने का दावा करना अति दुर्भाग्यपूर्ण व अति-दुखद है."
2.ऐसे मिथ्या बयानों से जनता में केन्द्र के प्रति अविश्वास भी पैदा हो रहा है कि आगे कोरोना की तीसरी लहर अगर आई तो क्या होगा? जबकि केन्द्र एवं राज्य सरकारों की भी प्राथमिकता व उत्तरदायित्व जनता के प्रति शत-प्रतिशत होना चाहिए व राजनैतिक एंव सरकारी स्वार्थ के प्रति कम।
— Mayawati (@Mayawati) July 22, 2021
मायावती ने आगे कहा कि ऐसे मिथ्या बयानों से जनता में केंद्र के प्रति अविश्वास भी पैदा हो रहा है कि आगे कोरोना की तीसरी लहर अगर आई तो क्या होगा? जबकि केंद्र एवं राज्य सरकारों की भी प्राथमिकता व उत्तरदायित्व जनता के प्रति शत-प्रतिशत होना चाहिए व राजनैतिक एवं सरकारी स्वार्थ के प्रति कम."
बता दें कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में को सूचित किया कि दूसरी लहर के दौरान विशेष रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की भी मौत की जानकारी नहीं दी. मंगलवार को स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी. उन्होंने यह भी बताया ‘‘बहरहाल, कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी. महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई.’’
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