लखनऊ. उत्तर प्रदेश में जब से उपचुनाव की तारीखों के ऐलान हुआ है, बीएसपी सुप्रीमो मायावती के तेवर सरकार और मुख्यमंत्री को लेकर काफी तल्ख हो गए हैं. दरअसल उत्तर प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोट डाले जाने हैं और बीएसपी भी इन उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है.


मुख्यमंत्री निशाने पर


बीएसपी की राजनीति का अंदाज दूसरी सियासी पार्टियों से जुदा है. बीएसपी उपचुनाव चुनाव में अपने कैंडिडेट नहीं उतारती थी, लेकिन 2019 में जब 11 सीटों पर उपचुनाव हुए तब बीएसपी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे और एक बार फिर बीएसपी इन 7 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है. शायद यही वजह है कि सरकार और मुख्यमंत्री के प्रति ट्वीट पर सलाह की मुद्रा में रहने वाली मायावती उपचुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही लगातार प्रदेश सरकार पर सीधा हमला बोल रही हैं. इतना ही नहीं उनके निशाने पर अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी आ गए हैं.


ट्विटर पर तल्ख हुये तेवर


उत्तर प्रदेश में उपचुनाव का ऐलान केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने 29 सितंबर को किया और उसके बाद एक अक्टूबर को मायावती ने जिस तरीके से सरकार को घेरा वह उनके ट्विटर पर साफ दिखता है. बीएसपी सुप्रीमो का टि्वटर अकाउंट खंगालने पर आप देख सकते हैं कि कैसे एक अक्टूबर को मायावती ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफा तक मांग लिया. हालांकि यही मायावती हैं जिन्होंने कुछ समय पहले ट्विटर पर योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी. इतना ही नहीं हाथरस की घटना को लेकर मायावती ने 5 अक्टूबर को जो ट्वीट किया उसमें सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने और अहंकारी होने का भी सीधा सीधा आरोप लगा दिया.


इस तरह कर रही हैं ट्वीट


6 अक्टूबर को मायावती के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से जो ट्वीट किया गया उसमें सरकार के उस पक्ष को लेकर सवाल खड़ा कर दिया गया जिसमें हाथरस की घटना के पीछे यह दलील दी जा रही थी कि दरअसल योगी सरकार को बदनाम करने के लिए प्रदेश में दंगा भड़काने के लिए यह पूरी साजिश रची गई. मायावती ने ट्वीट किया कि दंगा भड़काने की बात कही सरकार की चुनावी चाल तो नहीं. फिर 12 अक्टूबर का ट्वीट देखिए तो साफ पता चलता है कि बसपा के निशाने पर ना सिर्फ सरकार बल्कि मुख्यमंत्री भी हैं. गोंडा में पुजारी को गोली मारी गई तो मायावती ने ट्वीट करते हुए यहां तक लिख दिया कि संत की सरकार में संत सुरक्षित नहीं हैं. वहीं, बलिया की घटना को लेकर 16 अक्टूबर को जो ट्वीट किया उसमें लिखा कि यूपी में कानून व्यवस्था अब दम तोड़ चुकी है.


पिछले लंबे समय से विपक्ष भी मायावती पर सरकार की भाषा बोलने का आरोप लगाता चला रहा है और ऐसे में अगर उपचुनाव में बीएसपी के उम्मीदवार मैदान में हैं, विपक्ष इस आरोप को जनता के बीच जाकर उठाएगा तो कहीं इसका खामियाजा पार्टी को ना उठाना पड़े, शायद ये भी एक ट्विटर पर बदली रणनीति की वजह हो सकती है. जिसके तहत मायावती अब सरकार को सलाह नहीं दे रहीं बल्कि उन पर सीधा हमला कर रही हैं.


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