Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपराधों के आरोपी व्यक्तियों के घरों या संपत्तियों को ध्वस्त करने की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए इसे "बुलडोजर न्याय" का मामला बताया. न्यायालय ने घोषणा की कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा. अब इसपर बीएसपी चीफ मायावती की पहली प्रतिक्रिया आई है.
मायावती ने कहा, 'देश में आपराधिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई कानून के तहत् होनी चाहिए तथा इनके अपराध की सजा उनके परिवार व नजदीकी लोगों को नहीं मिलनी चाहिए. यह सब हमारी पार्टी की रही सरकार ने ’क़ानून द्वारा क़ानून का राज’ (Rule of Law By Law) स्थापित करके भी दिखाया है.'
बीएसपी चीफ ने कहा, 'बुलडोजर का भी इस्तेमाल अब मा. सुप्रीम कोर्ट के आने वाले निर्णय के मुताबिक ही होना चाहिए. हालांकि उचित तो यही होगा कि इसका इस्तेमाल करने की जरूरत ही ना पड़े क्योंकि आपराधिक तत्वों को सख्त कानूनों के तहत् भी निपटा जा सकता है.'
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कठोर कार्रवाई होनी चाहिए- मायावती
उन्होंने आगे कहा, 'जबकि आपराधिक तत्वों के परिवार व नजदीकियों पर बुलडोजर का इस्तेमाल करने की बजाय सम्बन्धित अधिकारियों पर ही कठोर कार्यवाही होनी चाहिये, जो ऐसे तत्वों से मिलकर, पीड़ितों को सही न्याय नहीं देते हैं. सभी सरकारें इस ओर जरूर ध्यान दें.'
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अनधिकृत निर्माण को भी “कानून के अनुसार” ध्वस्त किया जाना चाहिए और राज्य के अधिकारी सजा के तौर पर आरोपी की संपत्ति को ध्वस्त नहीं कर सकते. पीठ ने टिप्पणी की कि न केवल आरोपी का, बल्कि दोषी के घर का भी ऐसा हश्र नहीं हो सकता.
बता दें कि मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पक्षकारों से दिशानिर्देश तैयार करने के लिए अपने सुझाव रिकॉर्ड पर रखने को कहा. केंद्र के दूसरे सबसे बड़े विधि अधिकारी सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि किसी अचल संपत्ति को सिर्फ इसलिए नहीं ध्वस्त किया जाना चाहिए क्योंकि उसके मालिक/कब्जाधारी पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है.