पीएम मोदी की इस पहल से बसपा सुप्रीमो मायावती हुईं खुश, कर दी बड़ी मांग
UP News: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को अपने फैसले में कहा था, 'राज्यों के पास अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण मिल सके.
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BJP SC-ST MP Meet PM Modi: अनुसूचित जाति (एससी) अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटे के उप-वर्गीकरण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एसटी/एससी समुदायों से संबंधित लोकसभा और राज्यसभा के बीजेपी सांसदों ने आज शुक्रवार (9 अगस्त) संसद भवन में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. अब इस मुलाकात को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती खुश हैं और उन्होंने एक बड़ी मांग की है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर लिखा-"माननीय प्रधानमंत्री द्वारा आज उनसे भेंट करने गए बीजेपी के SC/ST सांसदों को यह आश्वासन देना कि SC/ST वर्ग में क्रीमी लेयर को लागू नहीं करने तथा एससी-एसटी के आरक्षण में कोई उप-वर्गीकरण भी नहीं करने की उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा, यह उचित व ऐसा किए जाने पर इसका स्वागत. किन्तु अच्छा होता कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष बहस में केन्द्र सरकार की तरफ से एटार्नी जनरल द्वारा आरक्षण को लेकर एससी व एसटी में क्रीमी लेयर लागू करना तथा इनका उप-वर्गीकरण किये जाने के पक्ष में दलील नहीं रखी गयी होती, तो शायद यह निर्णय नहीं आता.
1. माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा आज उनसे भेंट करने गए बीजेपी के SC/ST सांसदों को यह आश्वासन देना कि SC/ST वर्ग में क्रीमी लेयर को लागू नहीं करने तथा एससी-एसटी के आरक्षण में कोई उप-वर्गीकरण भी नहीं करने की उनकी माँगों पर ग़ौर किया जाएगा, यह उचित व ऐसा किए जाने पर इसका स्वागत।
— Mayawati (@Mayawati) August 9, 2024
वहीं बसपा सुप्राीमो ने लिखा-"सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहां इस निर्णय का इस्तेमाल करके SC/ST वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं. अतः संविधान संशोधन बिल इसी सत्र में लाया जाए.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते एससी/एसटी वर्ग के कोटे में उपवर्गीकरण को मंजूरी दी थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी कैटेगरी के अंदर नई उपश्रेणियां बनाई जा सकती हैं और इसके तहत अत्यंत पिछड़े तबके को अलग से आरक्षण दिया जा सकता है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य सरकारें कोटे के भीतर कोटे की अनुमति दे सकती हैं, लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह निर्णय राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के आधार पर न लिया जाए. यदि ऐसा होता है, तो निर्णय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है.
एजेंसी इनपुट के साथ
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