UP Politics: सपा के दलित कार्ड पर मायावती का संदेश, सत्ता को बताया मास्टर चाबी, अगले चुनाव पर दिया बड़ा बयान
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दलित कार्ड के बाद से बसपा (BSP) ने भी अब सियासी संदेश देना शुरू कर दिया है. मायावती (Mayawati) ने अब ट्वीट कर अब कार्यकर्ताओं को अगले चुनाव के लिए संदेश दिया है.
UP News: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दलित कार्ड के बाद से बसपा (BSP) ने भी अब सियासी संदेश देना शुरू कर दिया है. दरअसल, सपा ने दलित वोट बैंक के सहारे 2024 की नया पार करने की तैयारी कर रही है. वहीं बसपा के सामने अपने काडर वोट बैंक को सहेजने की चुनौती बढ़ गई है. जिसके बाद बीएसपी प्रमुख मायावती (Mayawati) ने कांशी राम (Kanshi Ram) के परिनिर्वाण दिवस पर ट्वीट कर अपने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है.
सपा ने दलित वोट बैंक को साधने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले 15 अप्रैल 2021 को बाबा साहब वाहिनी बनाने का ऐलान किया था. इसका असर यह रहा की पूर्व कैबिनेट मंत्री केके गौतम, इंद्रजीत सरोज समेत बसपा के कई दलित नेताओं ने सपा का रुख किया. जिसके बाद सपा के प्रांतीय और राष्ट्रीय सम्मेलन में बार-बार दलितों के उत्पीड़न और अंबेडकर के सपनों को साकार करने की दुहाई दी गई.
मायावती का संदेश
इसके बाद बसपा भी अपने काडर वोट बैंक को बचाने में जुट गई है. इसका स्पष्ट संदेश कांशी राम के परिनिर्वाण दिवस पर किए गए ट्वीट में दिख गया है. मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा, "देश में खासकर यूपी के लोगों ने यहां चार बार अपनी पार्टी की सत्ता प्राप्त करके यह देख लिया है कि सत्ता वह मास्टर चाबी है जिससे तरक्की के बंद दरवाजे खुल सकते हैं, इसीलिए यह अभियान हर कीमत पर जरूर जारी रहना चाहिए. यही आज के दिन का संदेश है और इसी संकल्प के साथ कार्य भी करना है."
बता यही खत्म नहीं हुई बसपा प्रमुख ने अपने अगले ट्वीट में लिखा, "यूपी में होने वाला अगला कोई भी चुनाव आपकी परीक्षा हो सकती है, जिसमें सफलता उम्मीद की नई किरण साबित होगी." माना जा रहा है कि बसपा भी जानती है कि उसका काडर वोट जरा भी खिसका तो सत्ता में आने के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब मायावती अपने काडर वोट को लेकर खास तौर पर एक्टिव दिख रही हैं.
दूसरी ओर सपा विभिन्न कमेटियों में उनकी भागीदारी बढ़ाने की तैयारी में भी लग गई है. जिससे अंबेडकर के नाम पर दलितों को रिझाने की कोशिश हो सके. सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पार्टी पांच फीसदी दलितों को अपने पाले में लाने में सफल रही तो प्रदेश की सियासी तस्वीर बदल जाएगी.
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