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चंद्रशेखर से नगीना का बदला मीरापुर उपचुनाव में लेंगी मायावती, पटखनी देने के लिए बनाई नई रणनीति

UP By Election 2024: बबसपा सुप्रीमो मायावती ने मीरापुर उपचुनाव से पहले ही चंद्रशेखर आजाद को बड़ी पटखनी दे डाली है. मायावती ने शाह नजर को चुनाव मैदान में उतारा है, शाह नजर चंद्रशेखर के खास रहें हैं.

Meerapur By Election 2024: बसपा सुप्रीमो मायावती नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद को पटखनी देने के लिए बड़ी रणनीति पर काम कर रही हैं. वह नगीना लोकसभा सीट का बदला चंद्रशेखर आजाद से मीरापुर और अन्य सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में लेने जा रहीं हैं. मायावती ने इसको लेकर एक खास और बड़ा प्लान बनाया है और यदि ये प्लान सफल रहा तो फिर चंद्रशेखर आजाद के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, लेकिन चंद्रशेखर आजाद भी राजनीति में अब नए नहीं हैं.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मीरापुर उपचुनाव से पहले ही चंद्रशेखर आजाद को बड़ी पटखनी दे डाली है. यहां से मायावती ने शाह नजर को चुनाव मैदान में उतारा है. शाह नजर चंद्रशेखर आजाद के बेहद खासम खास रहें हैं और उनके मजबूत नेताओं में से एक थे, लेकिन मायावती ने आजाद समाज पार्टी के खेमे में ही सेंध लगाकर बड़ा संदेश देने का काम किया है. इसे मायावती की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मीरापुर से जाहिद हसन को प्रत्याशी घोषित किया है.

मुनकाद अली और गिरीश चन्द्र भी करेंगे चंद्रशेखर की घेराबंदी 

सांसद चंद्रशेखर आजाद की घेराबंदी के लिए लखनऊ से भी पैनी नजर रखी जा रही है. मायावती के खासमखास पूर्व सांसद मुनकाद अली और पूर्व सांसद गिरीश चन्द्र को सहारनपुर और बरेली मंडल की भी जिम्मेदारी दी गई है. मीरापुर मुजफ्फरनगर जिले की विधानसभा सीट है और वह सहारनपुर मंडल में आती है, इस लिहाज से दोनों को सहारनपुर का प्रभारी बनाना भी मायावती की बड़ी रणनीति का हिस्सा है और चंद्रशेखर आजाद की घेराबंदी की भी झलक इसमें दिखती है. इसी के साथ ही मायावती उन नेताओं की भी पार्टी में वापसी करा रहीं हैं, जिन्हें पार्टी से निष्काषित कर दिया गया था. इनमें प्रशांत गौतम का भी बड़ा नाम है, जिन्हें न सिर्फ घर वापसी कराई गई बल्कि मेरठ मंडल के जिलों का प्रभारी भी बनाया गया है.

मायावती और चंद्रशेखर में सियासी जंग क्यों हुई और कड़ी

बसपा सुप्रीमो मायावती और चंद्रशेखर आजाद के यूं तो सियासी खींचतान पहले से ही चली आ रही है, लेकिन इस सियासी लड़ाई को नया मोड नगीना लोकसभा चुनाव से मिला. साल 2019 में बसपा से गिरीशचंद्र सांसद बने थे, लेकिन 2024 के चुनाव में चंद्रशेखर आजाद ने बाजी मार ली और मायावती से ये सीट छीन ली और संसद का सफर तय करने में कामयाब हो गए. बस यहीं से मायावती ने चंद्रशेखर को पटखनी देने के लिए अपना प्लान लिया और इस प्लान को धीरे धीरे धरातल पर भी उतार दिया गया. मायावती चंद्रशेखर आजाद की घेराबंदी का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती हैं. चंद्रशेखर आजाद ने जैसे ही सबसे पहले यूपी विधानसभा उपचुनाव की 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया, उसके कुछ वक्त बाद ही मायावती ने भी उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर डाली. मायावती का ये फैसला वाकई चौंकाने वाला था, क्योंकि बसपा पहली बार चुनाव मैदान में उतर रही है.

आकाश आनंद नगीना में हुए फेल, अब मीरापुर में भी बढ़ाएंगे कदम 

लोकसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की राह मुश्किल करने के लिए जहां बीजेपी और सपा ने पूरी ताकत झोंक रखी थी. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी चंद्रशेखर की राह में कांटे बिछाने के लिए नगीना पहुंचे थे. उन्हें नगीना से ही प्रोजक्ट किया गया था, लेकिन हर रणनीति चंद्रशेखर के आगे फेल हो गई और चंद्रशेखर बड़े नेता बनकर उभरे. आकाश आनंद ने चंद्रशेखर आजाद को लेकर जिस भाषा शैली का इस्तेमाल किया उस पर कभी चंद्रशेखर आजाद आक्रामक नजर नहीं आए बल्कि ये कहते रहे छोटा भाई है. नगीना में चंद्रशेखर ने जीत ही नहीं दर्ज की बल्कि मुस्लिम दलितों का बड़ा गठबंधन भी बनाकर खुद को साबित करने का काम किया. इस बात ने भी बसपा और चंद्रशेखर आजाद में और तल्खी ला दी. हालांकि अभी रालोद बीजेपी गठबंधन और समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन जैसे ही दोनों पार्टी के प्रत्याशी घोषित होंगे वैसे ही चुनाव और दिलचस्प भी होगा.

चंद्रशेखर आजाद ने हरियाणा में गठबंधन करके चला बड़ा दांव

बसपा सुप्रीमो मायावती भले ही यूपी विधानसभा उपचुनाव में मीरापुर सहित 10 सीटों पर चंद्रशेखरआजाद की घेराबंदी करने में जुटी हों, लेकिन चंद्रशेखर आजाद ने हरियाणा में जननायक जनता पार्टी से गठबंधन करके बड़ा दांव चला है. सांसद चंद्रशेखर आजाद और दुष्यंत चौटाला के हाथ मिल गए हैं और करीब 20 सीटों पर आजाद समाज पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने भी जा रही है. साफ है कि चंद्रशेखर आजाद की घेराबंदी आसान नहीं होगी, क्योंकि सांसद बनने के बाद सियासी अखाड़े के वो भी मंझे हुए खिलाड़ी बन गए हैं. लड़ाई अब आमने-सामने की होगी.

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