Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 'बुलडोजर कार्रवाई' पर रोक लगा दी है. 'बुलडोजर कार्रवाई' के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सार्वजनिक सड़क या रेलवे या जल निकायों पर अतिक्रमण के मामले को छोड़कर बिना अनुमति के देश में 1 अक्टूबर तक कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी. इस फैसले पर मायावती की प्रतिक्रिया आई है.


मायावती ने कहा, 'बुलडोजर विध्वंस कानून का राज का प्रतीक नहीं होने के बावजूद इसके प्रयोग की बढ़ती प्रवृति चिन्तनीय. वैसे बुलडोजर व अन्य किसी मामले में जब आम जनता उससे सहमत नहीं होती है तो फिर केन्द्र को आगे आकर उस पर पूरे देश के लिए एक-समान गाइडलाइन्स बनाना चाहिए, जो नहीं किए जा रहे हैं.'



बीएसपी चीफ ने कहा, 'रना बुलडोजर एक्शन के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देकर केन्द्र सरकार की जिम्मेवारी को खुद नहीं निभाना पड़ता, जो यह जरूरी था. केन्द्र व राज्य सरकारें संविधान व कानूनी राज के अमल होने पर जरूर ध्यान दें.' 


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महिमा मंडन बंद करने के लिए कहा
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) से बुलडोजर कार्रवाई के महिमामंडन को बंद करने को कहा है. उन्होंने कहा कि बुलडोजर का महिमामंडन करने का काम किया गया है. अगर आप सार्वजनिक सड़क या रेलवे लाइन पर स्थित मंदिर या गुरुद्वारा या मस्जिद को ध्वस्त करना चाहते हैं तो हम आपसे सहमत होंगे, लेकिन किसी अन्य मामले में इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.


हालांकि, सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने आदेश पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में विभिन्न राज्यों में नोटिस जारी की गई. मैं पूरे देश से ऐसा करने के लिए नहीं कह सकता हूं. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि मैं संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत ऐसा आदेश पारित कर रहा हूं. आप दो सप्ताह तक अपने हाथ को क्यों नहीं रोक सकते?