Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक नागरिक संहिता वाले बयान को लेकर तीखा हमला किया है. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सरकार के लिए संविधान के हिसाब से धर्मनिरपेक्षता का पालन करना चाहिए यही सच्ची देश भक्ति और राजधर्म हैं. बसपा सुप्रीमो ने इस दौरान गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की. 


मायावती ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर पोस्ट किया और लिखा कि 'पीएम की ओर से 15 अगस्त को लाल किले से बाबासाहेब डा. भीमराव आंबेडकर के सभी धर्मों का एक समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को ’कम्युनल’ कहना क्या उचित? सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे यही सच्ची देशभक्ति और राजधर्म.' 



मायावती ने साधा पीएम मोदी पर निशाना
मायावती ने आगे लिखा, 'इतना ही नहीं बल्कि पीएम की ओर से देश की अपार गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और पिछड़ेपन आदि की ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याओं पर इससे प्रभावित करीब सवा सौ करोड़ लोगों में उम्मीद की कोई नई किरण नहीं जगा पाना भी कितना सही? लोगों के ’अच्छे दिन’ कब आएंगे?'


बसपा सुप्रीमो से पहले कांग्रेस ने भी पीएम मोदी के इस बयान पर निशाना साधा था. कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर संविधान निर्माता डॉ बाबा साहेब अंबेडकर के अपमान का आरोप लगाया और कहा कि अंबेडकर हिन्दू पर्सनल लॉ में जिन बड़े सुधारों के पैरोकार थे उनका आरएसएस और जनसंघ ने विरोध किया था. 


दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से धर्म निरपेक्ष नागरिक संहिता की पैरवी करते हुए भारत के विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प और एक राष्ट्र एक चुनाव की पैरवी की थी. पीएम मोदी ने कहा कि देश का बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम जी रहे हैं वो सचमुच सांप्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है. 


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